जिस जमाने में पौने पांच रुपये का एक डॉलर हुआ करता था, उस जमाने में सिनेमा की टिकट रूपये, डेढ़ रुपये की हुआ करती थी। लेकिन, फिल्म ‘मुगल ए आजम’ की टिकट सिर्फ टिकट नहीं यादों का पूरा गुलदस्ता होता था। इसमें फिल्म की एक टिकट होती, फिल्म के फोटोग्राफ्स होते, फिल्म के गानों की बुकलेट होती और होतीं दूसरी कई यादगार चीजें। और कीमत, पूरे सौ रुपये। जी हां, सुनकर आप चौंक सकते हैं कि भला सन 60 में सौ रुपये की सिनेमा टिकट किसने खरीदी होगी। तो जनाब जान लीजिए कि फिल्म की एडवांस बुकिंग जिस दिन खुली उस दिन आसपास के शहरों के लोग भी बंबई पहुंच गए थे मराठा मंदिर के सामने फिल्म की टिकट के लिए लाइन लगाने। बवाल हो गया था मुंबई में फिल्म ‘मुगल ए आजम’ का सिनेमाघरों में रिलीज होना। किसी फिल्म का एक साथ देश के डेढ़ सौ सिनेमाघरों में रिलीज होना उस वक्त का रिकॉर्ड था। मराठा मंदिर इस फिल्म के लिए ही रंग रोगन करके फिर से चमकाया गया था। प्रीमियर पर प्रिंट हाथियों पर लदकर आया। सिनेमा के बाहर भव्य सेट सा बनाया गया। फिल्म के सारे पोस्टर एक जैसे रंग में छापे जा सकें, इसके लिए के आसिफ ने उन दिनों की एक मशहूर पेंट कंपनी का पूरास्टॉक खरीद लिया था।