इनमें भी भू-माफिया जेल नहीं गए, बल्कि कब्जे को खाली करा दिया गया। खैर, कब्जा हटने के बाद पीड़ितों को भी लगता है कि उनका काम हो गया, इस वजह से वे भी फिर पैरवी नहीं करते। रोजाना ही पुलिस और प्रशासनिक अफसरों तक पहुंचने वाली शिकायतों में से 30 फीसदी जमीन के विवाद से जुड़ी होती हैं। पुलिस वाले प्रशासनिक मामला बताकर, वहां पर शिकायत की दलील देते हैं तो प्रशासनिक अमला वापस पुलिस के पास भेज देता है। एकदम फुटबाल की तरह। क्या गोरखपुर में अब भी रह गए हैं, भू-माफिया?, हिंदू सेवाश्रम में आयोजित जनता दर्शन में गुरुवार को सीएम योगी के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों से तल्खी से पूछे गए इस सवाल से तमाम पीड़ितों के मन में उम्मीद जागी है कि शायद अब कुछ होगा। लेकिन, अब तक के मामलों में हुई कार्रवाई से इसकी धुंधली सी उम्मीद भी नहीं जगाती।
शिवम सिंह, गोरखपुर। Published by: vivek shukla Updated Sat, 07 Aug 2021 12:57 PM IST
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में जमीन के मामलों में कब्जे की शिकायतें मुख्यमंत्री के जनता दरबार में पहुंचने के बाद सीएम ने आंखें तरेरी तो कब्जे ढहा दिए गए, मगर कब्जा करने वाले के खिलाफ नजीर बनने लायक कोई कार्रवाई नहीं की गई। यहां तक की उनकी गिरफ्तारी तक नहीं हुई। नतीजा, भू-माफिया आज भी स्वच्छंद हैं। उनकी फ्रेंचाइजी लेकर, छुटभैया, कमजोर लोगों की जमीनों पर कब्जे कर ले रहे हैं। जबरन एग्रीमेंट, औने-पौने दाम पर एग्रीमेंट के बाद पूरी रकम देने की बजाए प्रताड़ित करने की अनगिनत कहानियां लोगों की जुबान पर हैं। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, शहर के पॉश इलाके गोलघर के खोवा मंडी गली में कब्जा का मामला हो या किनारे बसी अमरूद मंडी का, सभी जगहों पर भू-माफिया द्वारा जमीन कब्जा करने के मामले सामने आ चुके हैं।