नई दिल्ली: काबुल एयरपोर्ट इस समय दुनिया की सबसे खतरनाक जगह है और काबुल एयरपोर्ट ही इस समय दुनिया का सबसे बड़ा फ्लैश पॉइंट, जहां इस समय हजारों-लाखों जिंदगियां दांव पर लगी हुई हैं. अफगानिस्तान के हजारों लोग इस समय आजाद होने के लिए बेकरार हैं और वो सब काबुल हवाई अड्डे के आसपास ये उम्मीद लगाए बैठे हैं कि शायद उनकी किस्मत खुल जाए और वो देश से बाहर भागने में कामयाब हो जाएं.

जिंदा रहने की कोई गारंटी नहीं

Zee Media भारत का पहला ऐसा न्यूज चैनल है, जो काबुल एयरपोर्ट के अन्दर प्रवेश करने में कामयाब रहा. आज आप पहली बार काबुल हवाई अड्डे के अन्दर की तस्वीरें देख पाएंगे. इसलिए आज आपको Zee News की ये जोखिम भरी रिपोर्टिंग मिस नहीं करनी चाहिए. काबुल एयरपोर्ट पर किसी को भी अन्दर जाने की अनुमति नहीं मिलती और अन्दर पहुंचने के बाद जिन्दा बाहर आएंगे या नहीं इसकी भी गारंटी भी नहीं है. लेकिन हमारे संवादता एयरपोर्ट के अन्दर गए भी और जिन्दा बाहर लौट कर आ भी गए.

आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में तालिबान ने साफ कर दिया है कि अमेरिका और NATO देशों की सेनाओं के पास सिर्फ 31 अगस्त तक का समय है और जिन देशों को भी अपने नागरिक या शरणार्थियों को अफगानिस्तान से निकालना हैं उन्हें एक भी दिन की अतिरिक्त मोहलत नहीं दी जाएगी. यानी काबुल एयरपोर्ट पर लोगों की भीड़ और भी ज्यादा बढ़ने वाली है. त्रासदी भरी और भी तस्वीरें दुनिया को देखनी पड़ेंगी. इसी त्रासदी को करीब से दिखाने के लिए Zee News की टीम काबुल एयरपोर्ट के अंदर पहुंची.

एयरपोर्ट के बड़े हिस्से पर नाटो का कब्जा 

काबुल हवाई अड्डे को आप दो हिस्सों में बांट सकते हैं. इसका 30 प्रतिशत हिस्सा वो है जहां से आम लोग अफगानिस्तान से बाहर जाते हैं और 70 प्रतिशत हिस्सा ऐसा है जो अमेरिका और NATO देशों की सेनाओं के नियंत्रण में है. फिलहाल इसी हिस्से से काबुल में फंसे लोगों को बाहर निकाला जा रहा है बाकी का पूरा एयरपोर्ट बंद है.

हमारे संवाददाता अनस मलिक सेना के नियंत्रण वाले इसी हिस्से से काबुल एयरपोर्ट के अंदर पहुंचे. जब हमारी टीम वहां पहुंची तो रात हो चुकी थी. लेकिन लोगों को यहां से निकालने का काम जारी था. उस समय काबुल एयरपोर्ट के अंदर और रनवे पर करीब 5 हजार लोग मौजूद थे. इन्हें बाहर निकालने के लिए अलग-अलग देशों की एयरफोर्स के बड़े-बड़े कार्गो विमान खड़े थे. यानी लोगों को बाहर निकालने का काम दिन और रात चल रहा है.

अब तक 30 हजार लोगों ने छोड़ा देश

पिछले 24 घंटे में करीब साढ़े 18 हजार लोगों को काबुल से बाहर निकाला जा चुका है और कुल मिलाकर 15 अगस्त से लेकर अब तक 30 हजार लोग अफगानिस्तान छोड़ चुके हैं. लेकिन काबुल एयरपोर्ट के अंदर पहुंचना आसान नहीं था. बीच में तालिबान की भी चेक पोस्ट थी और अमेरिकी सैनिकों की भी चेक पोस्ट थी, जो किसी भी बाहरी व्यक्ति को एयरपोर्ट के अंदर नहीं जाने देते. लेकिन हमारी टीम किसी तरह से ऐसा करने में सफल हो गई. इसके बाद रात के अंधेरे में हमारी टीम ने काबुल एयरपोर्ट की जो तस्वीरें देखी वो आपने आज से पहले टेलीविजन पर नहीं देखी होंगी. 

हमारी टीम काबुल के जिस होटल में रुकी हुई थी, उस होटल के कमरे में एक फोन की घंटी बजी. फोन करने वाले ने हमसे कहा कि हमें काबुल एयरपोर्ट के अंदर जाने की इजाजत मिल गई है. लेकिन इसके लिए हमें पहले कतर के दूतावास पहुंचना था. तालिबानियों से करीबी की वजह से सिर्फ कतर और पाकिस्तान के दूतावास ही नियमित तरीके से लोगों को यहां से निकाल पा रहे हैं.

एयरपोर्ट के अंदर घुसना तक मुश्किल

इसके बाद Zee News और WION के संवाददाता अनस मलिक एक गाड़ी में बैठकर काबुल एयरपोर्ट की तरफ बढ़ने लगे. पहले हम तालिबानियों की एक चेक पोस्ट से होकर गुजरे और फिर हमारा सामना अमेरिकी सैनिकों से हुआ. फिर हमारी टीम उस काबुल एयरपोर्ट के अंदर पहुंची जिसका 70 फीसदी हिस्सा अमेरिका और NATO देशों के नियंत्रण में है. एयरपोर्ट के अंदर बाहर की तरह चीख पुकार नहीं थी. रनवे के दोनों तरफ अलग-अलग देशों की वायुसेनाओं के ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट खड़े थे. इनके इंजन से आती जोरदार आवाज एयरपोर्ट के सन्नाटे को चीर रही थी.

एयरपोर्ट पर रोशनी ज्यादा नहीं थी लेकिन ये अंधेरा तालिबान के अत्याचारों के अंधेरे के आगे हल्का लग रहा था. रनवे पर बड़ी तादाद में वो लोग मौजूद थे जो किसी भी तरह से अफगानिस्तान से बाहर निकलना चाहते थे. ये लोग उन खुशनसीब लोगों में से थे जिन्हें एयरपोर्ट के अंदर आने दिया गया.

21वीं सदी की सबसे बड़ी त्रासदी

एयरपोर्ट पर करीब 5 हजार लोग इन विमानों में चढ़ जाने का इंतजार कर रहे थे. हमारी करीब पिछले तीन घंटों से काबुल एयरपोर्ट के रनवे पर ही मौजूद थी. हमें सूरज की हल्की-हल्की रोशनी दिखाई देने लगी थी. लेकिन क्या इसके साथ ही एयरपोर्ट पर मौजूद 5 हजार लोगों के जीवन में भी नई सुबह आने वाली थी?

काबुल एयरपोर्ट से पहले ही हम ऐसी तस्वीरें दिखा चुके हैं जिन्हें 21वी सदी की सबसे बड़ी त्रासदी कहा जा रहा है. लोग हवाई अड्डे से उड़ने वाले विमानों में किसी भी तरह से सवार हो जाना चाहते हैं. कुछ लोग तो अपनी जान खतरे में डालकर विमान से लटकने के लिए भी तैयार हैं. एयरपोर्ट के अंदर घुसने और विमान पकड़ने की कोशिश में पिछले एक हफ्ते में करीब 20 अफगानी नागरिक मारे जा चुके हैं.

नागरिक से शरणार्थी बने लोग

इसी त्रासदी का सच जानने के लिए Zee News और WION की टीम ने करीब 12 घंटे काबुल एयरपोर्ट पर बिताए. यहां मौजूद लोगों को के चेहरे पर अपना देश छोड़ने का दर्द साफ देखा जा सकता है. एयरपोर्ट पर मौजूद लोगों को देखकर आपको समझ आ जाएगा कि जब किसी देश के नेता स्वार्थी हो जाते हैं तो उस देश के लोग कैसे शरणार्थी बन जाते हैं.

हमारी टीम रात से काबुल एयरपोर्ट के रनवे पर मौजूद थी. हजारों लोग अलग-अलग देशों के विमानों में चढ़ने के लिए तैयार थे. बच्चे आखिरी बार हाथ हिलाकर अपने देश को अलविदा कह रहे थे. माएं बच्चों का हाथ भी थामे थीं और उनके खाने-पीने का भी इंतजाम कर रही थीं. पुरुष घर से जो कुछ अपने साथ लेकर आए थे उसे आखिरी बार टटोल कर देख रहे थे.

जीवन के साथ जुआ खेलते लोग

Zee News देश का पहला ऐसा चैनल है जो शरणार्थियों को यहां से ले जा रहे कतर वायुसेना के विमान में चढ़ा और इस विमान में सवार उन लोगों से बात की जो अपने स्वार्थी नेताओं की वजह से शरणार्थी बनने पर मजबूर हो गए. ये लोग शरणार्थी के तौर पर एक जुआ खेल रहे हैं क्योंकि 40 दिनों के बाद इस बात का फैसला होगा कि ये लोग कतर की राजधानी दोहा से अमेरिका जाकर नया जीवन शुरू करेंगे या फिर इन्हें वापस अफगानिस्तान लौटना होगा.

काबुल एयरपोर्ट और इसके रनवे के चप्पे-चप्पे पर अमेरिका और NATO देशों के सैनिक मौजूद हैं जो विमान में चढ़ने वाले एक एक व्यक्ति की तलाशी ले रहे हैं. क्योंकि अगर जरा सी भी चूक हुई और इस विमान में कोई आतंकी चढ़ गया तो फिर खेल पलट जाएगा.

एयरपोर्ट के बाहर हालात और खराब हैं. बाहर करीब 25 से 30 हजार लोग अंदर जाने का इंतजार कर रहे हैं. एयरपोर्ट की दीवार के एक तरफ उम्मीद और खुशी है तो दूसरी तरफ बेबसी और बदहवासी. हालांकि काबुल एयरपोर्ट के अंदर हालात अब पहले से कुछ बेहतर हुए हैं. लेकिन एयरपोर्ट के बाहर अब भी स्थिति खराब बनी हुई है. 25 से 30 हजार लोग अब भी एयरपोर्ट के अंदर घुसने का इंतजार कर रहे हैं.

बड़े देशों को अपने कुत्तों की चिंता

तालिबान ने इन लोगों को बाहर निकालने के लिए सिर्फ 31 अगस्त तक की डेडलाइन दी है. अब इन लोगों को डर है कि अगर 6 दिनों में इन लोगों ने काबुल नहीं छोड़ा तो तालिबान इन्हें जिंदा नहीं रहने देगा. ये लोग एयरपोर्ट की सुरक्षा कर रहे विदेशी सैनिकों से विनती कर रहे हैं कि इन्हें अंदर जाने दिया जाए. लेकिन इनकी कोई सुनवाई नहीं है. इनमें से कई ऐसे अफगानी नागरिक भी हैं जिन्होंने कई वर्षों तक अमेरिका जैसे देशों की सरकारों के लिए काम किया है. लेकिन जब ये लोग एयरपोर्ट पहुंचे तो इन्हें बाहर ही रोक दिया गया.

जैसे जैसे समय बीत रहा है एयरपोर्ट के बाहर मौजूद इन लोगों की उम्मीदें टूट रही हैं. जो लोग एयरपोर्ट के अंदर पहुंच चुके हैं उन्हें सामान की तरह विमानों में ठूसा जा रहा है और जो लोग बाहर हैं उन्हें जानवरों की तरह खदेड़ा जा रहा है. लेकिन अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी जैसे देशों को फिक्र है तो अपने कुत्तों और उस शराब की जिन्हें ये देश शरणार्थियों से भी पहले अपने साथ ले जाना चाहते हैं.





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By attkley

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