न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: गौरव पाण्डेय
Updated Fri, 01 Oct 2021 07:51 PM IST
सार
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो के डाटा के विश्लेषण में देश में होने वाले अपराधों का आंकड़ा सामने आया है। इसके हिसाब से साल 2020 में बच्चों के खिलाफ रोज 350 से ज्यादा अपराध हुए। इसके साथ ही बाल विवाह और ऑनलाइन शोषण की घटनाओं में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है।
सांकेतिक तस्वीर – फोटो : पिक्साबे
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देश में पिछले साल बच्चों के खिलाफ अपराध के कुल एक लाख 28 हजार 531 मामले दर्ज किए गए थे। इसके अनुसार कोरोना वायरस महामारी के दौरान देश में हर रोज बच्चों के खिलाफ अपराध के 350 से अधिक मामले घटित हुए। यह जानकारी शुक्रवार को एक एनजीओ ‘क्राइ’ (बाल अधिकार और आप) ने एनसीआरबी (राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो) के डाटा का विश्लेषण करने के बाद साझा की है।
हालांकि, क्राइ ने अपने विश्लेषण में कहा है कि साल 2019 के मुकाबले 2020 में बच्चों के खिलाफ अपराध के मामलों में गिरावट आई है। इसने कहा कि एनसीआरबी का डाटा बताता है कि साल 2019 में ऐसे एक लाख 48 हजार 185 मामले दर्ज किए गए थे। इसका मतलब है कि 2019 में रोजाना बच्चों के खिलाफ 400 से अधिक आपराधिक घटनाएं हुईं। यह साल 2020 के मुकाबले 13.3 फीसदी अधिक है।
इस डाटा का एक राज्यवार विश्लेषण बताता है कि बच्चों के खिलाफ अपराध में केवल पांच राज्यों में ही करीब आधी (49.3 फीसदी) घटनाएं हुईं। ये राज्य मध्यप्रदेश (13.2 फीसदी), उत्तर प्रदेश (11.8 फीसदी), महाराष्ट्र (11.1 फीसदी), पश्चिम बंगाल (7.9 फीसदी) और बिहार (5.1 फीसदी) हैं। 2019 की तुलना में शीर्ष पांच राज्यों में पश्चिम बंगाल ने दिल्ली का स्थान लिया है। यहां ऐसे मामले 63 फीसदी बढ़े हैं।
बाल विवाह की 50 तो ऑनलाइन शोषण की घटनाएं 400 फीसदी बढ़ीं
बाल अधिकार संगठन ने कहा कि भले ही बच्चों के खिलाफ अपराध की कुल संख्या में कमी दर्ज की गई है, लेकिन बाल विवाह की घटनाएं 50 फीसदी बढ़ी हैं और ऑनलाइन शोषण की घटनाओं में एक साल में 400 फीसदी की बढ़त हुई है।
इसके अलावा दशक के हिसाब से तुलना करें तो पिछले एक दशक (2010-2020) में देश में बच्चों के खिलाफ अपराध की घटनाएं 381 फीसदी बढ़ी हैं। वहीं, इसी अवधि में देश में कुल अपराधों की संख्या में 2.2 फीसदी का इजाफा हुआ है।
क्राइ का विश्लेषण बताता है कि बाल विवाह रोक अधिनियम, 226 के तहत दर्ज किए जाने वाले मामलों में 50 फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। 2019 में ऐसे 525 मामले सामने आए थे जबकि 2020 में इनकी संख्या बढ़कर 785 हो गई।
विस्तार
देश में पिछले साल बच्चों के खिलाफ अपराध के कुल एक लाख 28 हजार 531 मामले दर्ज किए गए थे। इसके अनुसार कोरोना वायरस महामारी के दौरान देश में हर रोज बच्चों के खिलाफ अपराध के 350 से अधिक मामले घटित हुए। यह जानकारी शुक्रवार को एक एनजीओ ‘क्राइ’ (बाल अधिकार और आप) ने एनसीआरबी (राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो) के डाटा का विश्लेषण करने के बाद साझा की है।
हालांकि, क्राइ ने अपने विश्लेषण में कहा है कि साल 2019 के मुकाबले 2020 में बच्चों के खिलाफ अपराध के मामलों में गिरावट आई है। इसने कहा कि एनसीआरबी का डाटा बताता है कि साल 2019 में ऐसे एक लाख 48 हजार 185 मामले दर्ज किए गए थे। इसका मतलब है कि 2019 में रोजाना बच्चों के खिलाफ 400 से अधिक आपराधिक घटनाएं हुईं। यह साल 2020 के मुकाबले 13.3 फीसदी अधिक है।
इस डाटा का एक राज्यवार विश्लेषण बताता है कि बच्चों के खिलाफ अपराध में केवल पांच राज्यों में ही करीब आधी (49.3 फीसदी) घटनाएं हुईं। ये राज्य मध्यप्रदेश (13.2 फीसदी), उत्तर प्रदेश (11.8 फीसदी), महाराष्ट्र (11.1 फीसदी), पश्चिम बंगाल (7.9 फीसदी) और बिहार (5.1 फीसदी) हैं। 2019 की तुलना में शीर्ष पांच राज्यों में पश्चिम बंगाल ने दिल्ली का स्थान लिया है। यहां ऐसे मामले 63 फीसदी बढ़े हैं।
बाल विवाह की 50 तो ऑनलाइन शोषण की घटनाएं 400 फीसदी बढ़ीं
बाल अधिकार संगठन ने कहा कि भले ही बच्चों के खिलाफ अपराध की कुल संख्या में कमी दर्ज की गई है, लेकिन बाल विवाह की घटनाएं 50 फीसदी बढ़ी हैं और ऑनलाइन शोषण की घटनाओं में एक साल में 400 फीसदी की बढ़त हुई है।
इसके अलावा दशक के हिसाब से तुलना करें तो पिछले एक दशक (2010-2020) में देश में बच्चों के खिलाफ अपराध की घटनाएं 381 फीसदी बढ़ी हैं। वहीं, इसी अवधि में देश में कुल अपराधों की संख्या में 2.2 फीसदी का इजाफा हुआ है।
क्राइ का विश्लेषण बताता है कि बाल विवाह रोक अधिनियम, 226 के तहत दर्ज किए जाने वाले मामलों में 50 फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। 2019 में ऐसे 525 मामले सामने आए थे जबकि 2020 में इनकी संख्या बढ़कर 785 हो गई।