एएनआई, कोलकाता
Published by: Kuldeep Singh
Updated Mon, 25 Oct 2021 12:58 AM IST

सार

कोलकाता मेट्रो ने नॉन-एसी डिब्बों को हटाने की प्रक्रिया को यादगार बनाने के लिए महानायक उत्तम कुमार स्टेशन पर ‘डाउन द मेमोरी लेन’ नामक एक प्रदर्शनी का आयोजन भी किया। इसका परिचालन साल 1984 में आज ही के दिन शुरू हुआ था।

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कोलकाता मेट्रो रेलवे ने रविवार को नॉन-एसी डिब्बों को औपचारिक रूप से विदाई दी। इन डिब्बों में से कुछ डिब्बे 1984 में देश की पहली अंडरग्राउंड रेलवे की स्थापना के समय से सेवा में थे।

कोलकाता मेट्रो ने नॉन-एसी डिब्बों को हटाने की प्रक्रिया को यादगार बनाने के लिए महानायक उत्तम कुमार (पूर्व में टॉलीगंज) स्टेशन पर ‘डाउन द मेमोरी लेन’ नामक एक प्रदर्शनी का आयोजन भी किया। 

                                                          

फोटो प्रदर्शनी का आयोजन
कोलकाता मेट्रो के महाप्रबंधक मनोज जोशी ने कहा, इन डिब्बों की विदाई के हिस्से के रूप में हमने एक फोटो प्रदर्शनी का आयोजन किया है, जिसमें मेट्रो रेलवे के अतीत, वर्तमान और भविष्य को दर्शाया गया है

मेट्रो रेल के नेटवर्क को और बढ़ाने के लिए काम जारी
जोशी ने कहा कि यह उन पलों को फिर से जीने का अवसर है, जिन्हें शहर ने मेट्रो रेलवे के साथ साझा किया है, जो कि लोगों के जीवन का अभिन्न अंग बन गई है।उन्होंने कहा, मेट्रो रेल के नेटवर्क को बढ़ाने का काम जारी है और दो से तीन वर्षों के भीतर मेट्रो के नए मार्गों पर परिचालन शुरू कर दिया जाएगा।

साल 1984 में शुरू की गई थी कोलकाता मेट्रो की सेवा
कोलकाता मेट्रो की आधिकारिक शुरुआत तो 1984 में की गई थी लेकिन इसे बनाने को लेकर विचार की शुरुआत ब्रिटिश इंडिया से हो चुकी थी। कोलकाता में अंडरग्राउंड ‘ईस्ट वेस्ट ट्यूब रेलवे’ का प्रस्ताव 1921 में ब्रिटिश इंजीनियर हार्ले डालरिंपल ने दिया था। लेकिन लंबे समय तक ये प्रस्ताव पर कोई अमल नहीं किया गया।क्योंकि बार-बार फंड को लेकर दुहाई दी जाती थी। इस प्रोजेक्ट के काम में असली तेजी आई आजादी के बाद मुख्यमंत्री बिधान चंद्र रॉय के समय में, लेकिन उस समय भी कोई उल्लेखनीय काम नहीं हो पाया। 70 के दशक में मेट्रो के काम में तेजी आई और कोलकाता में पहली मेट्रो 1984 में चली।

विस्तार

कोलकाता मेट्रो रेलवे ने रविवार को नॉन-एसी डिब्बों को औपचारिक रूप से विदाई दी। इन डिब्बों में से कुछ डिब्बे 1984 में देश की पहली अंडरग्राउंड रेलवे की स्थापना के समय से सेवा में थे।

कोलकाता मेट्रो ने नॉन-एसी डिब्बों को हटाने की प्रक्रिया को यादगार बनाने के लिए महानायक उत्तम कुमार (पूर्व में टॉलीगंज) स्टेशन पर ‘डाउन द मेमोरी लेन’ नामक एक प्रदर्शनी का आयोजन भी किया। 

                                                          

फोटो प्रदर्शनी का आयोजन

कोलकाता मेट्रो के महाप्रबंधक मनोज जोशी ने कहा, इन डिब्बों की विदाई के हिस्से के रूप में हमने एक फोटो प्रदर्शनी का आयोजन किया है, जिसमें मेट्रो रेलवे के अतीत, वर्तमान और भविष्य को दर्शाया गया है

मेट्रो रेल के नेटवर्क को और बढ़ाने के लिए काम जारी

जोशी ने कहा कि यह उन पलों को फिर से जीने का अवसर है, जिन्हें शहर ने मेट्रो रेलवे के साथ साझा किया है, जो कि लोगों के जीवन का अभिन्न अंग बन गई है।उन्होंने कहा, मेट्रो रेल के नेटवर्क को बढ़ाने का काम जारी है और दो से तीन वर्षों के भीतर मेट्रो के नए मार्गों पर परिचालन शुरू कर दिया जाएगा।

साल 1984 में शुरू की गई थी कोलकाता मेट्रो की सेवा

कोलकाता मेट्रो की आधिकारिक शुरुआत तो 1984 में की गई थी लेकिन इसे बनाने को लेकर विचार की शुरुआत ब्रिटिश इंडिया से हो चुकी थी। कोलकाता में अंडरग्राउंड ‘ईस्ट वेस्ट ट्यूब रेलवे’ का प्रस्ताव 1921 में ब्रिटिश इंजीनियर हार्ले डालरिंपल ने दिया था। लेकिन लंबे समय तक ये प्रस्ताव पर कोई अमल नहीं किया गया।क्योंकि बार-बार फंड को लेकर दुहाई दी जाती थी। इस प्रोजेक्ट के काम में असली तेजी आई आजादी के बाद मुख्यमंत्री बिधान चंद्र रॉय के समय में, लेकिन उस समय भी कोई उल्लेखनीय काम नहीं हो पाया। 70 के दशक में मेट्रो के काम में तेजी आई और कोलकाता में पहली मेट्रो 1984 में चली।



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By attkley

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