नई दिल्लीः हम आपको बताएंगे कानपुर के उस व्यापारी से, जिसके घर पर लगभग 200 करोड़ रुपये कैश मिला है. हैरानी की बात ये है कि ये व्यक्ति बहुत साधारण से घर में रहता है.. और आज भी एक पुराने स्कूटर पर चलता है. यानी इसके पास एक गाड़ी तक नहीं है. तो फिर इसके पास इतना पैसा आया कहां से?.. इसका कहना है कि इसे भारी मात्रा में पुश्तैनी सोना मिला, जिसे बेच बेच कर इसने ये 200 करोड़ रुपये बैंक में जमा करने की बजाय घर में ही छिपा कर रख लिया. ये बात पता चलने के बाद इस व्यक्ति के पड़ोसी बहुत हैरान हैं और सोच रहे हैं कि उन्हें ये बात कैसे पता नहीं चली? पीयूष जैन के Lifestyle को देखने के बाद आप ये ज़रूर सोचेंगे कि जिस पैसे का कोई फायदा ना हो, जिससे कुछ ख़रीदा ना जा सके, वो पैसा कागज की रद्दी के बराबर है और उसका क्या फायदा?

पीयूष जैन के घर से मिला 23 किलो सोना

पीयूष जैन ने अपने घर के हॉल में एक Water Tank बनवाया हुआ था. और जब इसकी जांच की गई तो इस टैंक के नीचे एक तहखाना मिला. टैंक का कवर हटाने पर सबसे पहले चंदन के तेल का ड्रम मिला. इस ड्रम को हटाया गया तो उसके नीचे 17 करोड़ रुपये कैश मिला. और इसी के नीचे 23 किलोग्राम  GOLD BRICK यानी सोने की ईंटें भी मिलीं. ये सब कुछ पीयूष जैन के घर में तहखाने में बोरियों में भरकर रखा हुआ था. जो नोट बरामद किये गये, उनमें से ज्यादातर वर्ष 2016 से 2017 के बीच के हैं. माना जा रहा है कि नोटबंदी के बाद ये पैसा इस तहखाने में दबाया गया था. इनके अलावा दो-दो हज़ार रुपए के नोट भी बड़ी मात्रा में तहखाने से बरामद हुए हैं.

अब तक 194 करोड़ रुपए कैश बरामद

अब तक पीयूष जैन के पास से अब तक 194 करोड़ रुपए कैश बरामद किया जा चुका है. इनमें 177 करोड़ 45 लाख रुपए कानपुर से बरामद किये गए हैं. और 17 करोड़ रुपए कन्नौज वाले घर से बरामद किये गए हैं. बरामद की गईं सोने की ईंटों की कुल कीमत भी 11 करोड़ आंकी गई है. इसके अलावा जो चंदन का तेल बरामद किया गया है, उसकी मात्रा 600 किलोग्राम है.

स्कूटर से ही कहीं आता-जाता था पीयूष जैन

पीयूष जैन के पास जो लगभग 200 करोड़ रुपये मिले हैं, उनसे उत्तर प्रदेश के 93 लाख लोगों को मुफ्त वैक्सीन लगाई जा सकती थी. पीयूष जैन के पास से अब तक 194 करोड़ रुपए कैश बरामद हो चुके हैं लेकिन इस बात पर उसके पड़ोसियों को विश्वास नहीं हो पा रहा है. पीयूष जैन ने दौलत भले ही कितनी बना ली हो, लेकिन सादगी का एक मास्क उसने हमेशा चेहरे पर लगाकर रखा. और पीयूष की सादगी का ये मास्क था उसका पुराना स्कूटर. कन्नौज की तंग गली में पीयूष ने मकान तो देर-सबेर पक्का और बड़ा बना लिया, लेकिन वो हमेशा एक स्कूटर से ही चलता था था, स्कूटर से ही कहीं आता-जाता था.

देर से सोकर उठता था और सीधे काम पर

पीयूष ने कभी किसी को एहसास नहीं होने दिया कि उसके पास बहुत पैसा है. पीयूष जैन को ना पहचान पाने की कई और भी वजह रहीं. ..एक तो ये कि उसका आसपास के लोगों से मिलना-जुलना बहुत कम था. …वो आसपास के बहुत ही कम लोगों से कभी बातचीत किया करता था. देर से सोकर उठता था और स्कूटर से सीधे अपने काम पर निकल जाता था. इसके अलावा उसने घर भी ऐसा बनवाया था जिसमें से आसपास से किसी के ताकझांक करने की गुंजाइश बहुत कम थी. इससे आप भी ये सोचेंगे कि ये पैसा जब कागज की रद्दी की तरह सड़ रहा था तो ऐसे पैसे का क्या फायदा?

पैसा ही सबसे बड़ा दुश्मन बन गया!

एक कहानी याद आ रही है. एक गांव में सुखीराम नाम का एक व्यक्ति रहता था. जिसके घर में कोई महंगी वस्तु नहीं थी. वो बहुत गरीब था. जब वो घर से कहीं दूर जाता था तो घर पर ताला भी नहीं लगाता था. लेकिन एक दिन उसकी लॉटरी लगी और उसे 10 लाख रुपये का इनाम मिला. ये पैसा मिलने के बाद उसे लगा कि अगर उसने ये पैसा बैंक में जमा कराया तो बैंक इसे खा जाएगा. उसने घर में ही ये पैसा रखा. लेकिन इस पैसे ने उसे घर तक ही सीमित कर दिया. इस पैसे ने उसका सुकून खत्म कर दिया. वो अपनी पत्नी को शक की नज़रों से देखने लगा. अपने बच्चों को शक की नज़रों से देखने लगा क्योंकि उसे लगता था कि उसका परिवार ये पैसा उससे छीनना चाहता है. एक दिन जब परिवार के सभी लोग उससे अलग हो गए तो उसे पता चला कि जिस पैसे की वो हिफाजत कर रहा था, वही पैसा उसका सबसे बड़ा दुश्मन है.





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By attkley

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