रविंद्र महमिया/झुंझुनूं: राजस्थान की स्वाति शर्मा का स्विट्जरलैंड स्थित जिनेवा में विश्व व्यापार संगठन (WTO) में बतौर लीगल ऑफिसर सलेक्शन हुआ है. काजड़ा जैसे छोटे से गांव से निकलकर दुनिया के सबसे बड़े व्यापारिक संस्थान में जॉब लेने के लिए स्वाति ने बहुत मेहनत की है. साधारण परिवार और छोटे शहर से निकलकर WTO में जॉब लगने तक की इनकी यात्रा लोगों के लिए मिसाल है. 

स्कूली पढ़ाई में औसत थी स्वाति 

झुंझुनूं के छोटे से गांव काजड़ा की रहने वाली स्वाति ने बताया, “मन में कुछ ठान लें और उसके लिए मेहनत करें तो कोई भी मुकाम पाया जा सकता है. इस सफर को तय करने में कई परेशानियां थीं. मैं हमेशा से कोई टॉपर स्टूडेंट नहीं थी. स्कूली पढ़ाई में औसत थी, लेकिन कुछ बड़ा करने का हमेशा से जज्बा था. निरंतर आगे बढ़ाने की लगन थी. मैं लगातार पढ़ाई से कभी थकी नहीं. मेरा उद्देश्य नया कुछ सीखना ही होता था.”

सपना था कि दुनिया के टॉप संस्थानों के साथ काम करूं

स्वाति ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा के बारे में बताया, “उनके पिता शिवकुमार शर्मा सूरजगढ़ पंचायत समिति के सीबीईओ कार्यालय में जेईएन हैं. प्रारम्भिक पढ़ाई गांव के ही हिन्दी मीडियम स्कूल में हुई. इसके बाद सूरजगढ़ के टैगोर स्कूल और चिड़ावा के डालमिया स्कूल में पढ़ाई की. लॉ की पढ़ाई के लिए देहरादून गई. देहरादून में लॉ की पढ़ाई के लिए एडमिशन हुआ तो बहुत खुश हुई, लगा किसी मुकाम की ओर बढ़ रही हूं. परिवार का पूरा सपोर्ट था. सेकेंड ईयर में थी, तब इंटरनेशनल लॉ में पोस्ट ग्रेजुएट करने का सोच लिया था. इसे पूरा भी किया. इसके आगे सपना था कि दुनिया के टॉप संस्थानों के साथ काम करूं.”

बहुत चैंलेजिंग सब्जेक्ट चुना था पढ़ाई के लिए 

स्वाति बताती हैं, “मेरे परिवार में किसी ने लॉ की पढ़ाई नहीं की थी लेकिन मैंने बहुत चैंलेजिंग सब्जेक्ट चुना. कॉलेज में लॉ करने वाले अधिकतर स्टूडेंट का बैक ग्राउंड लॉ से ही था. किसी के पिता जज थे, किसी के नामी वकील. उन्हें पूरी गाइडेंस भी मिल रही थी. सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि मैं हिन्दी मीडियम से पढ़ी थी. लॉ की पूरी पढ़ाई इंग्लिश मीडियम में थी.” 

यह भी पढ़ें: 40 लाख रुपये सैलरी वाली कॉरपोरेट जॉब छोड़कर बनीं सफाईकर्मी, इस हादसे से हिल गई थी जिंदगी

छह माह की ट्रेनिंग के बाद WTO ओएमसी में जॉब ऑफर

स्वाति ने जॉब ऑफर के बारे में बताते हुए कहा,  “जुलाई 2020 में लॉ की पढ़ाई पूरी हो गई थी. अपने सपने पूरे करने के लिए दुनिया के टॉप लॉ इंस्टीट्यूट में रिसर्च के लिए ट्राई शुरू किया. इस बीच वोरिक यूनिवर्सिटी यूके की प्रोफेसर डॉ. रीना पटेल से मुलाकात हुई. इनकी गाइडेंस में लंदन में इंटरनेशनल लॉ में रिसर्च करना शुरू किया. वर्ल्ड ट्रेड इंस्टीट्यूट स्विट्जरलैंड के डायरेक्टर पीटर वॉनडेन बॉस से मुलाकात हुई जिन्होंने मेरी रिसर्च और काम को सराहा और मुझे मौका दिया. बेल्जियम में छह माह की ट्रेनिंग के बाद WTO ओएमसी में जॉब ऑफर हुई.”

किसी भी मुकाम पर जाने के लिए पेरेंट्स का साथ बहुत ही जरूरी

स्वाति इंदिरा नूई, गीता गोपी नाथन और स्वर्गीय एपीजे अब्दुल कलाम को अपना आदर्श मानती हैं. उनका कहना है कि हर माता-पिता को अपने बच्चों कौशल पर ध्यान देना चाहिए, उन्हें आगे बढ़ाना चाहिए. हम मध्यमवर्गीय आय वाले परिवार आते हैं, ऐसे में फाइनेंस की भी समस्या थी लेकिन पापा ने कभी कोई दिक्कत नहीं आने दी. किसी भी मुकाम पर जाने के लिए पेरेंट्स का साथ बहुत ही जरूरी है. 

लाइव टीवी





Source link

By attkley

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *