बिहार विधानसभा में सोमवार को भाजपा-जेडीयू के बीच दिखा गतिरोध अब खत्म हो चुका है। बिहार विधानसभा स्पीकर विजय सिन्हा के साथ बदसलूकी के मामले में भाजपा और जेडीयू के बीच जारी सियासी खींचतान पर विराम लग गया है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद आगे आकर ये विवाद खत्म कर दिया है।

नीतीश कुमार ने गतिरोध खत्म करने के लिए मंगलवार को विधानसभा अध्यक्ष के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की। बैठक में नीतीश के अलावा विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा, बिहार के दोनों उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री विजय चौधरी, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे और ऊर्जा मंत्री विजेंद्र यादव भी मौजूद रहे। बैठक में सीएम नीतीश कुमार और स्पीकर विजय सिन्हा के बीच मुलाकात हुई। विधानसभा के एनेक्सी भवन में करीब बीस मिनट तक दोनों के बीच बातचीत हुई। सूत्रों के मुताबिक दिल्ली से हस्तक्षेप के बाद विधानसभा अध्यक्ष मान गए।

मुकेश सहनी की कैबिनेट से छुट्टी चाहती है भाजपा
दरअसल, लखीसराय के पुलिस उपाधीक्षक और थाना प्रभारी के खिलाफ जांच को लेकर जेडीयू और भाजपा के बीच तलवार खिंची हुई है। बिहार की राजनीति में भाजपा और जेडीयू के बीच यह प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गई। पूरे मामले के बाद सीएम नीतीश ने तत्काल हाईलेवल बैठक बुलाकर साफ कर दिया कि वह इस तरह की बातें बर्दाश्त नहीं करेंगे। वहीं, विकासशील इन्सान पार्टी (वीआईपी) के अध्यक्ष मुकेश सहनी सीएम नीतीश कुमार के पक्ष में खड़े दिख रहे हैं, जबकि भाजपा आर-पार के मूड में उतर गई है। भाजपा एक तरफ मुकेश सहनी की कैबिनेट से छुट्टी कराना चाहती है तो दूसरी तरफ जेडीयू के साथ रिश्ते बिगड़ रहे हैं।

नीतीश ने दी थी संविधान देखने की नसीहत 
विधानसभा में सोमवार को गुस्से में तमतमाए सीएम नीतीश कुमार ने स्पीकर को संविधान देखने की नसीहत तक दे डाली थी, जिसके बाद विजय सिन्हा और नीतीश कुमार मंगलवार को सदन में नहीं पहुंचे। ऐसे में सवाल उठने लगे कि साढ़े चार साल के बाद क्या फिर जेडीयू और भाजपा की दोस्ती में दरार आ जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

वहीं, नीतीश कुमार द्वारा बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा के कथित अपमान के मुद्दे पर विपक्ष के हंगामे के चलते मंगलवार को सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। विधानसभा अध्यक्ष अपने कक्ष के अंदर बैठे रहे और उन विधायकों से मिले, जो हंगामे के कारण सदन से बाहर आ गए थे। वहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सूफी दरगाह मनेर शरीफ में थे। 

प्रमुख विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के विधायक, स्पीकर और नीतीश कुमार के बीच तनातनी के विरोध में काला पट्टे पहनकर विधानसभा पहुंचे, लेकिन भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रेम कुमार को अध्यक्ष की कुर्सी पर देखकर वे और भड़क गए। विधायकों ने हंगामा करना शुरू कर दिया और मांग की कि अध्यक्ष तथा मुख्यमंत्री सदन में आएं और विवाद का कारण बताएं। सबसे पहले दो बजे तक के लिए कार्यवाही स्थगित कर दी गई। विपक्षी सदस्य ‘नीतीश कुमार मुर्दाबाद’ और ‘नीतीश कुमार होश में आओ’ जैसे नारे लगाते हुए आसन के करीब आ गए, जिससे कार्यवाही शाम 4.50 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। 

क्या हुआ था सोमवार को?
बिहार विधानसभा में सोमवार को उस समय विकट स्थिति पैदा हो गई, जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा के बीच इस बात को लेकर तीखी नोकझोंक हुई कि क्या सरकार द्वारा जांच किए जा रहे मामले जिसे विशेषाधिकार समिति को भी भेजा गया हो, उसे सदन के पटल पर बार-बार उठाया जा सकता है। मुख्यमंत्री ने अपना आक्रोश तब व्यक्त किया जब विधानसभा अध्यक्ष ने कैबिनेट मंत्री बिजेंद्र यादव से सदन को कुछ दिनों के बाद यह बताने को कहा कि लखीसराय में एक घटना के संबंध में क्या कार्रवाई की गई। 

लखीसराय स्पीकर विजय कुमार सिन्हा का विधानसभा क्षेत्र भी है। जांच को लेकर विधानसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री के बीच नोकझोंक को कुछ लोगों द्वारा जनता दल यूनाइटेड (जदयू) और भाजपा के बीच तनावपूर्ण संबंधों के प्रतिबिंब के रूप में भी देखा जा रहा है। जदयू का नेतृत्व नीतीश कुमार करते हैं और विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा सहयोगी भाजपा से आते हैं। 



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By attkley

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