न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चेन्नई
Published by: गौरव पाण्डेय
Updated Fri, 25 Mar 2022 10:07 PM IST
सार
हाईकोर्ट ने 20 जुलाई 2018 के एक सरकारी आदेश का उल्लेख करते हुए कहा कि पहली बार जुड़वां बच्चे पैदा होने पर भी दूसरी बार मातृत्व अवकाश के लाभ का विस्तार किया गया है।
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मद्रास हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक मामले में फैसला सुनाया कि पहली शादी से जन्मे दो बच्चों को जीवित अवयस्क करार नहीं दिया जा सकता है। क्योंकि, वो अलग हो चुके महिला के पति के साथ रहते हैं। अदालत ने तमिलनाडु सरकार को निर्देश दिया कि महिला कर्मचारी की दूसरी शादी से जन्म लेने वाले तीसरे बच्चे के लिए एक साल का मातृत्व अवकाश प्रदान करे। न्यायाधीश वी पार्थिबन ने यह फैसला उमा देवी नामक महिला की रिट याचिका पर सुनाया।
महिला ने याचिका में 28 अगस्त 2021 को धर्मपुरी जिले के मुख्य शिक्षाधिकारी के आदेश को रद्द करने और संबंधित अधिकारियों को 11 अक्तूबर 2021 से 10 अक्तूबर 2022 तक पूरा वेतन और अन्य सभी फायदों के साथ मातृत्व अवकाश का निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया था। शिक्षाधिकारी ने अपने फैसले में कहा था कि मातृत्व अवकाश केवल दो जीवित संतानों के लिए दिया जाता है, दूसरी शादी के बाद तीसरी संतान के लिए इसका प्रावधान नहीं है।
उमा देवी का विवाह साल 2006 में ए सुरेश नामक व्यक्ति के साथ हुई थी। दोनों के दो बच्चे हुए थे लेकिन साल 2017 में दोनों का तलाक हो गया था। इसके अगले साल उमा ने एम राजकुमार नामक शख्स से शादी कर ली थी और बाद में मातृत्व अवकाश के लिए आवेदन किया था। लेकिन जिला शिक्षाधिकारी ने उनका आवेदन खारिज कर दिया था। इसके खिलाफ उमा देवी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और इस संबंध में एक रिट याचिका दायर की थी।
विस्तार
मद्रास हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक मामले में फैसला सुनाया कि पहली शादी से जन्मे दो बच्चों को जीवित अवयस्क करार नहीं दिया जा सकता है। क्योंकि, वो अलग हो चुके महिला के पति के साथ रहते हैं। अदालत ने तमिलनाडु सरकार को निर्देश दिया कि महिला कर्मचारी की दूसरी शादी से जन्म लेने वाले तीसरे बच्चे के लिए एक साल का मातृत्व अवकाश प्रदान करे। न्यायाधीश वी पार्थिबन ने यह फैसला उमा देवी नामक महिला की रिट याचिका पर सुनाया।
महिला ने याचिका में 28 अगस्त 2021 को धर्मपुरी जिले के मुख्य शिक्षाधिकारी के आदेश को रद्द करने और संबंधित अधिकारियों को 11 अक्तूबर 2021 से 10 अक्तूबर 2022 तक पूरा वेतन और अन्य सभी फायदों के साथ मातृत्व अवकाश का निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया था। शिक्षाधिकारी ने अपने फैसले में कहा था कि मातृत्व अवकाश केवल दो जीवित संतानों के लिए दिया जाता है, दूसरी शादी के बाद तीसरी संतान के लिए इसका प्रावधान नहीं है।
उमा देवी का विवाह साल 2006 में ए सुरेश नामक व्यक्ति के साथ हुई थी। दोनों के दो बच्चे हुए थे लेकिन साल 2017 में दोनों का तलाक हो गया था। इसके अगले साल उमा ने एम राजकुमार नामक शख्स से शादी कर ली थी और बाद में मातृत्व अवकाश के लिए आवेदन किया था। लेकिन जिला शिक्षाधिकारी ने उनका आवेदन खारिज कर दिया था। इसके खिलाफ उमा देवी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और इस संबंध में एक रिट याचिका दायर की थी।