सार

उन्हाेंने यह सफाई पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम व विपक्ष के कई नेताओं के शनिवार को आए बयानों के बाद दी, जिनमें कहा गया कि उत्पाद शुल्क में कमी लाकर सरकार केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी कम कर रही है।

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विपक्ष के दावों को झुठलाते हुए कहा है कि पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क घटाने का राज्यों की केंद्रीय करों में हिस्सेदारी को नुकसान नहीं होगा। पेट्रोल व डीजल पर लगने वाले सड़क व बुनियादी ढांचा उपकर में कमी की गई है। उपकर संग्रह राज्यों से साझा नहीं किया जाता।

उन्हाेंने यह सफाई पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम व विपक्ष के कई नेताओं के शनिवार को आए बयानों के बाद दी, जिनमें कहा गया कि उत्पाद शुल्क में कमी लाकर सरकार केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी कम कर रही है। हालांकि रविवार को चिदंबरम ने माना कि उनका शनिवार का बयान सही नहीं था, सरकार ने केवल केंद्र सरकार को जाने वाले कर संग्रह में कमी की।

वित्त मंत्री ने बताया : राज्यों को इसलिए नुकसान नहीं
वित्त मंत्री ने बताया कि मूल उत्पाद शुल्क (बीईडी), विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क (एसएईडी), सड़क व बुनियादी ढांचा उपकर (आरआईसी) और कृषि व बुनियादी ढांचा विकास उपकरण (एआईडीसी) मिलकर पेट्रोल-डीजल पर कुल उत्पाद शुल्क बनाते हैं। इसमें से बीईडी ही राज्यों से साझा होता है, बाकी नहीं। सरकार ने आरआईसी में यह कमी की है, बल्कि नवंबर 2021 में जब पेट्रोल पर 5 और डीजल पर 10 रुपये घटाए थे, तब भी कर के इसी मद में कमी की थी।

केंद्र व राज्य में कर बंटवारे का फॉर्मूला

  • केंद्र द्वारा जमा किया 41 प्रतिशत कर राज्यों को जाता है। इसमें उपकर शामिल नहीं होता। पेट्रोल-डीजल पर ज्यादातर कर उपकरों से बनते हैं।
  • केंद्र शनिवार से पहले पेट्रोल पर 27.90 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 21.80 रुपये प्रति लीटर कर ले रही था।
  • इसमें पेट्रोल व डीजल पर बीईडी क्रमश: 1.40 और 1.80, एसएईडी क्रमश: 11 व 8, एआईडीसी क्रमश: 2.50 व 4 और आरआईसी क्रमश: 13 व 8 रुपये प्रति लीटर था। 
  • केवल बीईडी राज्यों से साझा होता है, जो पेट्रोल पर 1.40 व डीजल पर 1.80 रुपये प्रति लीटर है।
कटौती से 2.20 लाख करोड़ बोझ
वित्त मंत्री के अनुसार शनिवार को हुई कमी से केंद्रीय कर संग्रह में 1 लाख करोड़ रुपये तक का असर एक साल में होगा। 21 नवंबर में हुई कमी से भी 1.20 लाख करोड़ की कमी का अनुमान है।

पिछली सरकार से विकास पर दोगुना खर्च
आरबीआई के आंकड़ों के हवाले से वित्त मंत्री ने बताया कि 2014 से 2022 तक एनडीए सरकार ने 90.9 लाख करोड़ रुपये विकास पर खर्च किए। वहीं 2004 से 2014 तक यूपीए ने 49.2 लाख करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। एनडीए ने 24.85 लाख करोड़ रुपये भोजन, ईधन और उर्वरक सब्सिडी में खर्च किये तो यूपीए ने 10 साल में 13.9 लाख करोड़ रुपये की ही सब्सिडी दी थी। 

विस्तार

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विपक्ष के दावों को झुठलाते हुए कहा है कि पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क घटाने का राज्यों की केंद्रीय करों में हिस्सेदारी को नुकसान नहीं होगा। पेट्रोल व डीजल पर लगने वाले सड़क व बुनियादी ढांचा उपकर में कमी की गई है। उपकर संग्रह राज्यों से साझा नहीं किया जाता।

उन्हाेंने यह सफाई पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम व विपक्ष के कई नेताओं के शनिवार को आए बयानों के बाद दी, जिनमें कहा गया कि उत्पाद शुल्क में कमी लाकर सरकार केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी कम कर रही है। हालांकि रविवार को चिदंबरम ने माना कि उनका शनिवार का बयान सही नहीं था, सरकार ने केवल केंद्र सरकार को जाने वाले कर संग्रह में कमी की।

वित्त मंत्री ने बताया : राज्यों को इसलिए नुकसान नहीं

वित्त मंत्री ने बताया कि मूल उत्पाद शुल्क (बीईडी), विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क (एसएईडी), सड़क व बुनियादी ढांचा उपकर (आरआईसी) और कृषि व बुनियादी ढांचा विकास उपकरण (एआईडीसी) मिलकर पेट्रोल-डीजल पर कुल उत्पाद शुल्क बनाते हैं। इसमें से बीईडी ही राज्यों से साझा होता है, बाकी नहीं। सरकार ने आरआईसी में यह कमी की है, बल्कि नवंबर 2021 में जब पेट्रोल पर 5 और डीजल पर 10 रुपये घटाए थे, तब भी कर के इसी मद में कमी की थी।

केंद्र व राज्य में कर बंटवारे का फॉर्मूला

  • केंद्र द्वारा जमा किया 41 प्रतिशत कर राज्यों को जाता है। इसमें उपकर शामिल नहीं होता। पेट्रोल-डीजल पर ज्यादातर कर उपकरों से बनते हैं।
  • केंद्र शनिवार से पहले पेट्रोल पर 27.90 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 21.80 रुपये प्रति लीटर कर ले रही था।
  • इसमें पेट्रोल व डीजल पर बीईडी क्रमश: 1.40 और 1.80, एसएईडी क्रमश: 11 व 8, एआईडीसी क्रमश: 2.50 व 4 और आरआईसी क्रमश: 13 व 8 रुपये प्रति लीटर था। 
  • केवल बीईडी राज्यों से साझा होता है, जो पेट्रोल पर 1.40 व डीजल पर 1.80 रुपये प्रति लीटर है।


कटौती से 2.20 लाख करोड़ बोझ

वित्त मंत्री के अनुसार शनिवार को हुई कमी से केंद्रीय कर संग्रह में 1 लाख करोड़ रुपये तक का असर एक साल में होगा। 21 नवंबर में हुई कमी से भी 1.20 लाख करोड़ की कमी का अनुमान है।

पिछली सरकार से विकास पर दोगुना खर्च

आरबीआई के आंकड़ों के हवाले से वित्त मंत्री ने बताया कि 2014 से 2022 तक एनडीए सरकार ने 90.9 लाख करोड़ रुपये विकास पर खर्च किए। वहीं 2004 से 2014 तक यूपीए ने 49.2 लाख करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। एनडीए ने 24.85 लाख करोड़ रुपये भोजन, ईधन और उर्वरक सब्सिडी में खर्च किये तो यूपीए ने 10 साल में 13.9 लाख करोड़ रुपये की ही सब्सिडी दी थी। 



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By attkley

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