G7 Summit in Germany: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जर्मनी में आयोजित जी7 समिट में हिस्सा लिया. जी7 एक अनौपचारिक मंच है जो दुनिया के प्रमुख औद्योगिक देशों – अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम (यूके), कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली और जापान के नेताओं को एक साथ लाता है. भारत इस समूह का हिस्सा नहीं है, लेकिन इसके बावजूद पीएम मोदी भाग लेने के लिए पहुंचे.

बता दें कि मेजबान देश गैर-सदस्यों को शिखर सम्मेलन में भागीदार देशों के रूप में भाग लेने के लिए आमंत्रित करता है. जर्मनी के चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ ने जी7 2022 की बैठक में भारत को आमंत्रित किया. जिन अन्य देशों को आमंत्रित किया गया उनमें अर्जेंटीना, इंडोनेशिया, सेनेगल और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं.

संयुक्त राष्ट्र, विश्व स्वास्थ्य संगठन, विश्व व्यापार संगठन, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक सहित कई अंतरराष्ट्रीय संगठन भी शिखर सम्मेलन में भाग लिए.  2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से वह तीसरी बार जी7 समिट में हिस्सा लिए. पिछले साल, पीएम मोदी को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कॉर्नवाल शिखर सम्मेलन में आमंत्रित किया था, जहां भारत ने वर्चुअली हिस्सा लिया था. 

इससे पहले भारत को साल 2019 में  Biarritz Summit में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया गया था. फ्रांस के राष्ट्रपति ने भारत को गुडविल पार्टनर बताते हुए समिट में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया था. वहीं, मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान, भारत ने जी8 शिखर सम्मेलन में पांच बार भाग लिया था.

भारत को क्यों किया गया आमंत्रित 

G7 शिखर सम्मेलन के लिए जर्मनी के निमंत्रण को भारत और जर्मनी के बीच घनिष्ठ साझेदारी की परंपरा को बनाए रखने की दिशा में एक और कदम के रूप में देखा जा रहा है. 

वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के मुताबिक, भारत G7 शिखर सम्मेलन में एक नियमित आमंत्रित देश बन गया है क्योंकि इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारत को दुनिया के सामने आने वाली चुनौतियों को हल करने के लिए किसी भी निरंतर प्रयास का हिस्सा बनने की जरूरत है. 

न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के समन्वयक जॉन किर्बी ने बैठक से पहले कहा था कि भारत को इस वजह से आमंत्रित किया गया, क्योंकि सम्मेलन का एजेंडा गहन और विविध है और यह रूस से उन्हें अलग करने की कोशिश करने के बारे में नहीं है. 

बता दें कि जी7 का गठन 1975 में किया गया था. वैश्विक अर्थव्यवस्था पर चर्चा के लिए पहली बार छह प्रमुख औद्योगिक देशों की बैठक हुई. पहली बैठक तत्कालीन-फ्रांसीसी राष्ट्रपति वालेरी गिस्कार्ड डी’स्टाइंग और जर्मन चांसलर हेल्मुट श्मिट की एक पहल थी और पेरिस से 50 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में चेटौ डी रामबौइलेट में आयोजित की गई थी. 

कनाडा 1976 में और रूस 1998 में इसमें शामिल हुआ, तब इसे आठ का समूह कहा जाता था, लेकिन क्रीमिया पर कब्जा करने के बाद, G7 देशों ने मार्च 2014 में रूस के बिना समिट करने का फैसला किया.  रूस कि सदस्यता को निलंबित कर दिया गया है. 

तेज रफ्तार पैसेंजर ट्रेन के टकराने से ट्रक के उड़ गए परखच्चे, 3 लोगों की मौत; 40 से ज्यादा घायल

अब भारत के खिलाफ दुष्प्रचार नहीं कर सकेगा पाकिस्तान, मोदी सरकार ने ऐसे कर दी बोलती बंद





Source link

By attkley

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *