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नाटो के 30 सहयोगियों ने स्वीडन, फिनलैंड को सदस्य बनाने के प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। अब दोनों देशों का सदस्यता संबंधी अनुरोध विधायी मंजूरी के लिए गठबंधन की राजधानियों को भेजा गया। यूक्रेन पर हमले के बाद रूस को रणनीतिक तौर पर अलग-थलग करने के प्रयास के तहत यह कार्रवाई की गई। नाटो महासचिव जेंस स्टोल्टेनबर्ग ने कहा, यह फिनलैंड, स्वीडन व नाटो के लिए ऐतिहासिक क्षण है।
हालांकि गठबंधन में समझौते के बावजूद, तुर्की इन दोनों देशों को अंतिम रूप से शामिल करने पर अभी भी बाधा खड़ी कर सकता है। इसके पीछे तुर्की के नेता रजब तैयब एर्दोगॉन की वह चेतावनी है जिसमें उन्होंने तुर्की की संसद द्वारा समझौते के अनुमोदन से इनकार की बात कही थी। स्वीडन-फिनलैंड के लिए यह एक बाधा है क्योंकि नाटो में उन्हें शामिल करने को अंतिम रूप देने के लिए सभी 30 देशों के औपचारिक अनुमोदन की जरूरत होगी।
अभी मतदान नहीं कर सकेंगे दोनों देश
प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर होने का मतलब स्वीडन और फिनलैंड के नाटो खेमे में और अधिक जगह बनाने से है। करीबी साझेदार के रूप में, वे पहले ही गठबंधन की कुछ बैठकों में भाग ले चुके हैं। दोनों देश अब आधिकारिक आमंत्रितों के रूप में, राजदूतों की सभी बैठकों में भाग ले सकते हैं। लेकिन उनके पास मताधिकार नहीं होगा।
लुहांस्क छोड़ने के बाद यूक्रेनी बलों ने दोनेस्क में संभाला नया मोर्चा
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा लुहांस्क की महीनों से जारी लड़ाई में अपनी जीत की घोषणा करने के बाद यूक्रेनी फौज शहर से बाहर आ गई। इसके बाद उसने दोनेस्क में दूसरे अहम मोर्चों पर मोर्चा संभाल लिया है। यूक्रेन किसी भी सूरत में इसे खोना नहीं चाहता है। इसके लिए उसने यहां अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। लुहांस्क को खोने के बाद अब यूक्रेन की सेना दोनेस्क के लिए नई रक्षात्मक रणनीति तैयार कर रही है। उधर, पुतिन ने दोनेस्क के सैन्य ठिकानों पर कब्जा करने का आदेश दे दिया है।
हर तरफ रूसी हवाई हमलों के निशान
रूसी हमलों से अपनी जान बचाकर दिनीप्रो के शरणार्थी शिविर में शरण लेने वाली नीना ने बताया कि शहर में हर तरफ रूस के हवाई हमलों के निशान हैं। यहां अब कुछ नहीं बचा है। यह शहर दुनिया का सबसे बुरा चेहरा बन चुका है। यहां मानवीय आधार पर कोई वितरण केंद्र तक नहीं बचा है। सब कुछ खत्म हो गया है। यहां लोगों के मकान अब खंडहर में तब्दील हो चुके हैं।