भू-धंसाव से जोशीमठ नगर के सुनील, मनोहर बाग और सिंहधार वार्ड में दरारें धीरे-धीरे और गहरी होने लगी हैं। बदरीनाथ हाईवे पर जिन होटलों का ध्वस्तीकरण किया जा रहा है उनके पीछे के मकानों में पड़ी दरारें गहरी हो रही हैं। कई मकानों के दीवारों पर दरारें इतनी चौड़ी हो गई हैं कि उनसे आर-पार दिखने लग गया है जिससे यह मकान तिरछे होने लगे हैं।
Joshimath: क्षतिग्रस्त भवनों का मुआवजा तय, पुनर्वास के तीन विकल्पों को कैबिनेट की मंजूरी, सर्किल रेट 15% बढ़ा
होटल माउंट व्यू और मलारी इन के ध्वस्तीकरण का कार्य अंतिम चरण में है। यहां जमीन में धीरे-धीरे भू-धंसाव भी बढ़ता जा रहा है। होटलों के पीछे के मकानों में जनवरी माह में दरारें जहां हल्की थीं वहां अब बड़ी-बड़ी दरारें दिखने लगी हैं। होटलों के ध्वस्तीकरण के कारण प्रशासन ने इन मकानों में रह रहे लोगों को पहले ही राहत शिविरों में शिफ्ट कर दिया था।
लोग सवाल उठा रहे हैं कि होटलों का ध्वस्तीकरण पूरा होने के बाद इन मकानों का क्या होगा। यहां दरारें बढ़ने के साथ मकान तिरछे होने लगे हैं जिससे लोगों की चिंता बढ़ गई है। प्रभावितों का कहना है कि होटलों का ध्वस्तीकरण पूरा होने के बाद प्रशासन की टीम यहां से चली जाएगी। उसके बाद उनके मकानों को लेकर क्या कार्रवाई होगी इसको लेकर संशय बना हुआ है।
सिंहधार वार्ड में भारतीय स्टेट बैंक शाखा के पास प्रकाश भोटियाल के मकान में दरारें बढ़ती जा रही हैं। प्रकाश भोटियाल ने बताया कि वह हर दिन ईंट डालकर दरारों को नाप रहे हैं। शुरू में दरारें हल्की थी, लेकिन अब पूरी ईंट दरार में घुस रही है। उनका कहना है कि मकान में कई जगह पर नई दरारें भी आ गई हैं।
बदरीनाथ हाईवे पर भारतीय स्टेट बैंक शाखा के समीप फिर से हल्की दरारें नजर आने लगी हैं जबकि कुछ दिन पहले बीआरओ (सीमा सड़क संगठन) ने इस जगह पर हाईवे पर आई दरारों को पाट दिया था। यदि हाईवे पर आ रही यह दरारें बढ़ती हैं तो इससे समस्या और विकट हो सकती है।
बदरीनाथ हाईवे पर जनवरी माह में कई जगह पर दरारें आई थीं जिनको बीआरओ ने डामरीकरण और सीमेंट से भर दिया था जिसमें मारवाड़ी में जेपी कंपनी के पास, रेलवे गेस्ट हाउस के पास, जल संस्थान के पास, बीआरओ कार्यालय के पास सहित करीब सात से आठ जगह पर दरारों को पाटा गया है।
अब हाईवे पर फिर दरार दिख रही हैं।इन दिनों चारधाम यात्रा को लेकर भी तैयारी चल रही है जिसके चलते बदरीनाथ हाईवे को चकाचक करने का काम किया जा रहा है। ऐसे में यह नई दरारें बीआरओ के साथ प्रशासन के लिए भी नई मुसीबत खड़ी कर सकती हैं।