Mughal Era Holi: होली (Holi) का त्योहार भारत में सदियों से मनाया जा रहा है. लेकिन जब पहली बार लोगों को होली खेलते मुगलों (Mughals) ने देखा था तो वह चौंक गए थे. मुगल बादशाह बाबर को समझ नहीं आ रहा था कि लोग आखिर एक-दूसरे को रंग क्यों लगा रहे हैं? वे होली पर एक-दूसरे को रंग में भिगो क्यों रहे हैं? जानकारी के मुताबिक, होली को मुगल काल में ईद-ए-गुलाबी और आब-ए-पाशी नाम दिया गया था. होली पर जब बाबर ने देखा कि लोग हौदिया में पानी भर रहे हैं, उसमें रंग घोलकर एक-दूसरे को भिगो रहे हैं तो उसने हौदिया में शराब भरवा दी थी. कहा जाता है कि अकबर भी होली के दिन अपने किले से निकलता था और आम लोगों के साथ रंग खेलता था.