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– फोटो : Amar Ujala/Sonu Kumar

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केंद्रीय अर्धसैनिक बलों से जवानों और कैडर अधिकारियों का मोह भंग क्यों हो रहा है। वे बीच राह में ही नौकरी छोड़ रहे हैं। अगर पिछले पांच वर्ष की बात करें, तो सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी, एसएसबी, सीआईएसएफ और असम राइफल्स में 50,155 कर्मियों ने जॉब को अलविदा कह दिया है। इतना ही नहीं, इन बलों में आत्महत्या के केस भी बढ़ रहे हैं। गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति ने इस बात को बहुत गंभीरता से लिया है। समिति ने अपनी 242वीं रिपोर्ट में साफतौर पर कहा है कि जवानों और अधिकारियों द्वारा जॉब छोड़ना, इसका सीधा असर फोर्स के मनोबल पर पड़ता है। केंद्रीय गृह मंत्रालय को चाहिए कि जो लोग जॉब छोड़कर जा रहे हैं, उनका साक्षात्कार ले, सर्वे रिपोर्ट तैयार करे। इसके जरिए उन कारणों का पता चल सकेगा कि जिसके चलते जवान और अधिकारी, नौकरी छोड़ रहे हैं। इसके बाद सीएपीएफ में वे सभी जरूरी बदलाव किए जाएं, जिससे जॉब छोड़ने वालों की संख्या कम होने लगे।

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संसदीय स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह सिफारिश भी की है कि सीएपीएफ में वर्किंग कंडीशन को बेहतर बनाया जाए। खाली पदों को शीघ्रता से भरा जाए। सीएपीएफ में पैरामेडिकल स्टाफ के लिए 4420 पद स्वीकृत हैं। मौजूदा समय में 25.42 फीसदी पद यानी 1124 पोस्ट खाली पड़ी हैं, इसका असर जवानों के स्वास्थ्य पर पड़ता है। इन पदों को अविलंब भरा जाए। जब तक नियमित भर्ती न हो, तब तक इन पदों को एड हॉक के जरिए भरे जाने की संभावना तलाशी जाएं।





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By attkley

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