तमिलनाडु के पेरमबलूर जिले में जगदीशन ने 1,000 वर्ग फीट में यह घर बनाया है. इस घर का नाम ‘थइमन वीड़ू’ रखा गया है जिसका तमिल में मतलब होता है धरती मां. कच्ची मिट्टी की ईंट, रीसाइकिल्ड लड़की और धातुओं से इस घर का निर्माण किया गया है.
बिजली का बिल आता है 20-30 रुपये
यह घर इतना ठंडा रहता है कि इसमें एसी, कूलर और पंखे की कोई जरूरत नहीं पड़ती है. बिजल का बिल 20-30 रुपये से ज्यादा आती ही नहीं क्योंकि बहुत कम बिजली की जरुरत पड़ती है. फिर तमिलनाडु सरकार शुरुआती 100 यूनिट पर तमिलनाडु सरकार सब्सिडी देती है. इस घर में यह लिमिट कभी पार नहीं हो पाती.
जगदीशन ने यहां सीखी कच्ची ईंट बनाना
सिविल इंजीनियर जगदीशन ने पुडुचेरी स्थित ऑरोविल्ले अर्थ इंस्टीट्यूट में कंप्रेस्ड स्टेबलाइज्ड अर्थ ब्लॉक (CSEB) या बिना पकी ईंट और आर्च वॉल्ट डोम (मेहराबदार गुंबद) को बनाना सीखा था. इस तरह की कच्ची ईंट लाल मिट्टी से बनती है.
जगदीशन के मुताबिक यह एक मिथक कि कच्ची ईंट पानी के संपर्क में आने पर घुल जाती है. उन्होंने बताया कि लाल मिट्टी से बनी इस ईंट को भट्टी में पकाने की जरुरत नहीं पड़ती है और यह लंबे समय तक चलती है. इनसे बनी दीवारों में एयर होती है. इससे गर्मियों में घर ठंडा रहता है.
घर में रहती है ज्यादा से ज्यादा रोशनी
घर की छत घुमावदार गुंबदनाम है. घर को इस तरह बनाया गया है कि इसमें दिन के समय ज्यादा से ज्यादा रोशनी आए. ऐसे में बिजली की जरुरत कम से कम रह जाती है.
आम घरों की तरह इस घर में भी सभी दरवाजे, फ्रेम और खिड़कियां लकड़ी की हैं. लेकिन यह लकड़ियां पुरानी और रीयूज्ड हैं. ग्रिल, रेलिंग और बार से इन्हें जोड़ा गया है.
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