Electricity Rates in Delhi: आम जनता को जल्द बड़ी राहत मिलने वाली है. अब बिजली के लिए कम कीमत चुकानी होगी.बिजली बनाने की लागत में कमी लाने के लिए बिजली मंत्रालय ने डे-अहेड नेशनल लेवेल मेरिट ऑर्डर डिस्पैच मैकेनिज्म के रिवाइज्ड स्ट्रक्चर को अंतिम रूप दे दिया है. इससे ग्राहकों को बिजली के लिए कम कीमत चुकानी होगी. रिवाइज्ड सिस्टम के मुताबिक, देशभर में सबसे सस्ते मैन्युफैक्चरिंग रिसोर्सेज को सबसे पहले सिस्टम की मांग को पूरा करने के लिए डिस्पैच किया जाएगा. बिजली मंत्रालय के मुताबिक, प्रस्तावित डे-अहेड नेशनल लेवेल मेरिट ऑर्डर डिस्पैच मैकेनिज्म से होने वाले फायदों को मैन्युफैक्चरिंग सेंटर्स और उनके ग्राहकों के बीच साझा किया जाएगा.इससे सालाना लोगों को बिजली के बिल में बचत का फायदा मिलेगा.
मंत्रालय का कहना है कि रियल टाइम पर मेरिट ऑर्डर का मौजूदा सिस्टम अप्रैल 2019 में ऑपरेशनल हुआ था. इसने तकनीकी और ग्रिड सिक्योरिटी रुकावटों से उबरते हुए पूरे भारत में मैन्युफैक्चरिंग की टोटल वेरिएबल कॉस्ट को बेस्ट बनाया. मौजूदा सिस्टम के कारण पूरे भारत में वेरिएबल कॉस्ट में 2300 करोड़ रुपये की कमी आई और इसी का फायदा मैन्युफैक्चरर्स और उनके बेनिफिशरीज के साथ शेयर किया जा रहा था, जिससे आखिरकार ग्राहकों के लिए बिजली की लागत में कमी आ गई.
यह रिवाइज्ड सिस्टम सभी रीजनल यूनिट्स, थर्मल पावर प्लांट्स और उसके बाद इंटर स्टेर थर्मल जेनेरेटरों को शामिल करने के जरिए वर्तमान तंत्र के दायरे को भी बढ़ा देगा. इससे राज्यों को निम्न कार्बन फुटप्रिंट के साथ लागत प्रभावी तरीके से रिसोर्सेज की उप्लब्धता बनाए रखने में मदद मिलेगी. डे-अहेड नेशनल लेवेल मेरिट ऑर्डर डिस्पैच मैकेनिज्म का एग्जीक्यूशन सीईआरसी जरूरी रेग्युलेटरी प्रोसेस के जरिए किया जाएगा और इसे ग्रिड-इंडिया की ओर से नेशनल लेवल पर ऑपरेट किया जाएगा.
देश इंटीग्रेटेड पावर सिस्टम में तब्दील
2014 के बाद से, सरकार ने पूरे देश को एक ग्रिड में कनेक्ट करने के लिए 184.6 गीगावॉट एक्स्ट्रा मैन्युफैक्चरिंग कैपेसिटी और 1,78,000 सीकेटी किमी ट्रांसमिशन लाइन जोड़ी है जिसने पूरे देश को एक इंटीग्रेटेड पावर सिस्टम में तब्दील कर दिया है.