कार्टून में एक भीड़भाड़ वाली भारतीय ट्रेन को दिखाया गया है, जिसमें छत के ऊपर बैठे यात्री समानांतर ट्रैक पर चल रही एक आधुनिक चीनी बुलेट ट्रेन को ओवरटेक कर रहे हैं, जिसमें सिर्फ दो ड्राइवर हैं. कार्टून ने यह चित्रित करने का प्रयास किया कि भारत जनसंख्या की गिनती में चीन से आगे निकल गया था, लेकिन चीजों के बारे में उनका रूढ़िवादी दृष्टिकोण ही रहेगा.
जैसे ही कार्टून वायरल हुआ, इंटरनेट यूजर्स ने जर्मन पत्रिका को यह याद दिलाने का प्रयास किया कि पिछले कुछ दशकों में भारत काफी बदल गया है. एक मंत्री ने मैगजीन को यहां तक याद दिलाया कि जब कुछ दिनों में अर्थव्यवस्था के मामले में जर्मनी को पछाड़ देगा, तो इस तरह का कार्टून छापना एक अच्छा फैसला नहीं है.
सूचना और प्रसारण मंत्रालय के वरिष्ठ सलाहकार कंचन गुप्ता ने भी इसी तरह की भावनाएं व्यक्त कीं, जिन्होंने कहा कि कार्टून का वास्तविकता से कोई संबंध नहीं है. उन्होंने लिखा, हाय जर्मनी, यह बेहद नस्लवादी है. डेर स्पीगल द्वारा भारत का इस तरह से चित्रांकन वास्तविकता से कोई समानता नहीं रखता है. इसका मकसद भारत को नीचा दिखाना और चीन के आगे झुकना है.
संयुक्त राष्ट्र की नई ‘स्टेट ऑफ वर्ल्ड पॉपुलेशन’ रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल के मध्य तक भारत की आबादी चीन की 1.4257 अरब की तुलना में 1.4286 अरब हो जाएगी. हालांकि, भारत की लगभग आधी आबादी (650 मिलियन लोग) 25 वर्ष से कम आयु की है.