मीना बाजार आगरा या दिल्ली
मीना बाजार के बारे में एक थ्योरी ये है कि मीना बाजार की शुरुआत हुमायूं के शासनकाल में हुई थी लेकिन सबसे ज्यादा प्रसिद्धि मीना बाजार को अकबर के राजकाज के दौरान मिली थी. कुछ लोग कहते हैं कि मीना बाजार दिल्ली में चांदनी चौक के करीब शुरू हुआ. जिसे आज दिल्ली-6 के नाम से जाना जाता है. वहीं कुछ लोगों का कहना है कि मीना बाजार आगरा के किले में बना हुआ था जो कि सेना के क्षेत्राधिकार में आता था. यहां आकर महिलाएं बाजार लगाया करती थी पर ये कोई आम महिलाएं नहीं होती थीं. मीना बाजार में मुगल शाही परिवार की महिलाएं, राजपूतों की रानियां जैसी बड़ी बड़ी हस्तियां आकर दुकान लगाती थीं.
खास लोगों को थी खरीददारी की इजाजत
कहा जाता है कि यहां बस मुगल घराने से ताल्लुक रखने वाले गिनेचुने लोगों को खरीदारी की इजाजत थी. वहीं इसके अलावा दूसरे राजाओं को यहां पर आकर खरीदारी करने की आजादी थी. मीना बाजार में बिकने वाली चीजों को सामान्य से कहीं ज्यादा कीमत पर खरीदा जाता था और ये भी कहा जाता है कि बाजार में बिकने वाली महंगी चीजों से आने वाले पैसों को गरीबों में बांट दिया जाता था.
शाहजहां और मुमताज पहली बार कहां मिले?
आगरा के किले में जो मीना बाजार बना था वो सेना के अधिकार क्षेत्र में स्थित दिल्ली गेट से मोती मस्जिद की तरफ जाने वाले मार्ग पर स्थित था. तीन कांप्लेक्स में बंटे बाजार में दोनों ओर कोठरियां बनी थीं. मुगल दरबारियों के परिवार की महिलाएं यहां बाजार लगाती थीं. शाही परिवार के सदस्य बाजार में खरीदारी करते थे. शहंशाह शाहजहां और मुमताज की पहली मुलाकात मीना बाजार में ही हुई थी. हाल ही में कई लोगों ने ये आरोप लगाया था कि हरम के बाद मीना बाजार मुगलों की अय्याशी का दूसरा अड्डा हुआ करता था. आइए इस तथ्य की पड़ताल करते हैं.
मीना बाजार का विवादित इतिहास
वहीं कुछ लोगों का कहना है कि मीना बाजार में भले ही महंगे सामान मिलते हों लेकिन असल में यहां रंगरलियां मनाने के लिए बड़े लोग औरतों की खरीद फरोख्त करते थे. कहते हैं कि यहां महिलाएं बिना पर्दे के अपना स्टॉल लगाती थीं तो बड़े घरों की महिलाएं बिना डरे वहां खरीद फरोख्त को जाती थीं. इसके बारे में ये तक कहा गया कि अकबर और उसके खास लोग खुद औरतों का भेष बनाकर मीना बाजार में घूमने थे. ऐसे में हर हफ्ते किसी सेठ या दरबारी की सुंदर महिला पर गाज गिरती. अगर वो बादशाह अकबर की नजरों में चढ़ जाती तो अकबर के इशारे पर काम करने वाली महिलाएं किसी न किसी बहाने उसे अकबर के हरम में पहुंचा देतीं. कहा तो ये भी जाता है कि कुछ लोकलाज का भय, कुछ अपने पति के प्राणों का मोह, लुटी पिटी महिलाएं अपना मुंह बंद रखती थीं.
क्या है मीना बाजार की हकीकत?
कहा जाता है कि इस तरह महिलाओं की अस्मत लुटती रही और मीना बाजार चलता रहा. क्योंकि कभी कोई सुंदर स्त्री अकबर को पसंद आ जाती तो उसके घर संदेश भिजवा देता कि डोला हरम में भिजवा दें. अगर वो विवाहित हुई तो उसके पति को तलाक के लिए मजबूर होना पड़ता था. इस प्रकार कई दरबारियों की महिलाएं भी आगरे के किले में लाई गईं. ऐसी बातें सोशल मीडिया पर भी हमें देखने को मिलती हैं लेकिन जानकार बताते हैं कि ऐसे किसी बात की पुष्टि असल में नहीं मिलती है.