इस तरह बिगड़ा सपा का खेल
नतीजों से गदगद बीजेपी (BJP) ने राज्य के और तेजी से विकास का वादा किया है. बीजेपी ने एक ओर सपा प्रत्याशियों में सेंधमारी की तो बीएसपी ने मुस्लिम कार्ड खेलकर सपा की साइकिल की हवा निकाल दी. नगर निगम में क्लीन स्वीप तो नगर पालिका की 199 सीटों में से बीजेपी 94, सपा 39, बीएसपी 16, कांग्रेस 4 और 46 निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत ली है. वहीं नगर पंचायत की 544 सीटों में 202 पर बीजेपी, 89 सीटों पर सपा, 39 पर बीएसपी, कांग्रेस 16 और 98 सीटों पर निर्दलीयों ने कब्जा जमाया है.
सपा ने दोहराया विधानसभा चुनावों वाली गलती
सपा को 2022 वाली गलती दोहराना निकाय चुनाव में सबसे ज्यादा भारी पड़ गया है. जिसका बीजेपी ने भरपूर फायदा उठाया. दरअसल सपा ने कई ऐसे उम्मीदवारों को खड़ा किया था जो निकाय चुनाव के समीकरण में कहीं से भी फिट नहीं बैठ रहे थे. शाहजहांपुर में पहली बार मेयर का चुनाव हो रहा था. सपा ने यहां से पूर्व मंत्री की बहू अर्चना वर्मा को मेयर का कैंडिडेट बनाया था, लेकिन ऐन वक्त अर्चना पाला बदलकर बीजेपी में चली गईं. बरेली में सपा ने जिसे अपना कैंडिडेट बनाया उसने तो नामांकन ही वापस ले लिया तो सपा को मजबूरी में निर्दलीय प्रत्याशी आईएस तोमर को समर्थन देना पड़ा. रायबरेली में भी कुछ ऐसा ही सीन देखने को मिला. यहां नगर पालिका सीट पर बगावत का खामियाजा सपा ने उठाया. वहीं पश्चिमी यूपी में तो सपा-आरएलडी का गठबंधन होने के बाद भी दोनों दलों ने हर जगह अपने अपने प्रत्याशियों को मैदान में उतार दिया था.
योगी का फॉर्मूला और बीजेपी की जीत का समीकरण
इसमें कोई शक नहीं कि बीजेपी की लैंड स्लाइड विक्ट्री में सीएम योगी की बड़ी भूमिका रही है. योगी आदित्यनाथ ने पूरे प्रदेश में ताबड़तोड़ जनसभाएं कीं. उनके दोनों डिप्टी सीएम और सारे मंत्री और विधायक लगातार जगह-जगह जाकर बीजेपी सरकार की उपलब्धियां गिनाते रहे. बीजेपी को शहरी जनाधार वाली पार्टी माना जाता है. इस माइंड सेट से इतर बीजेपी ने ग्रामीण इलाकों में भी पैठ बनाई है. सीएम योगी ने निकाय चुनाव में सही उम्मीदवारों पर दांव लगाया.
बीजेपी की इस धमाकेदार जीत में अहम भूमिका सवर्ण मतदाताओं की भी रही. शहरी क्षेत्र में ब्राह्मण, वैश्य, कायस्थ, पंजाबी मतदाता निर्णायक भूमिका में है, जिसके चलते बीजेपी ने सवर्णों को मैदान में उतारने का दांव चला तो पूरी तरह कामयाब रहा. मेयर के लिए बीजेपी पांच ब्राह्मण, चार वैश्य प्रत्याशी उतारकर शहरी सीटों के समीकरण को पूरी तरह से अपने पक्ष में कर लिया. दरअसल कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल आरोप लगाते हैं कि बीजेपी सवर्णों की राजनीति करती है और सर्वण वोटर ही बीजेपी के कोर वोटर्स हैं, इससे इतर सीएम योगी ने पूरे चुनाव में सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास की बात की. वहीं सवर्ण वोटरों के एकतरफा समर्थन ने पार्टी को एकतरफा जीत दिला दी.