Gyanvapi Case Latest Updates: वाराणसी के ज्ञानवापी केस मामले में हिंदू-मुस्लिम पक्ष की कानूनी जंग जारी है. इलाहाबाद हाई कोर्ट में अपनी दलील रखते हुए ज्ञानवापी मस्जिद कमेटी ने कहा कि औरंगजेब (Aurangzeb) निर्दयी नहीं महान शासक था. उसके फरमान से वर्ष 1669 में आदि विश्वेश्वर मंदिर को नहीं तोड़ा गया था. कमेटी ने दावा किया कि काशी में नए और पुराने आदि विश्वेश्वर मंदिर की बात भी झूठी है. जिस ज्ञानवापी मस्जिद के मंदिर होने का दावा किया जा रहा है, वह सैकड़ों साल पहले भी मस्जिद थी, आज भी है और आगे भी रहेगी.
मस्जिद कमेटी पूरे ज्ञानवापी परिसर (Gyanvapi Case) की ASI सर्वे करवाने की हिंदू पक्ष की मांग पर हाई कोर्ट में अपनी दलील रख रही थी. कमेटी ने आरोप लगाया कि याचिका दायर करने वाले हिंदू पक्ष ने दोनों समुदायों के बीच नफरत फैलाने के मकसद से देश के महान मुस्लिम शासकों को आक्रमणकारी कहा है. ऐसा करके वह देश में सांप्रदायिक सदभाव बिगाड़ना चाहता है.
‘ज्ञानवापी परिसर में नहीं मिला कोई शिवलिंग’
ज्ञानवापी (Gyanvapi Case) में सर्वे रोकने पर अड़ी मस्जिद कमेटी ने अदालत से कहा कि ज्ञानवापी परिसर में कोई शिवलिंग नहीं मिला है. जिस पत्थर के बारे में शिवलिंग होने का दावा किया जा रहा है, वह असल में एक फव्वारा है. जो वहां सैकड़ों सालों से लगा हुआ है. कमेटी ने कहा कि वह मस्जिद परिसर की मरम्मत कर उसकी रंगाई-पुताई करवाना चाहती है. इसे रोकने के लिए सोच-समझकर ये प्रयास किए जा रहे हैं.
परिसर में वर्षों से निर्बाध हो रही पूजा: हिंदू पक्ष
मुस्लिम पक्ष ने अपनी दलील को आगे बढ़ाते हुए कहा कि प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 की धारा 4 के तहत परिसर का सर्वे नहीं किया जा सकता. वहीं हिंदू पक्ष ने इसका कड़ाई से विरोध करते हुए कहा कि वहां उपस्थित मूर्ति स्वयं भू प्राकृतिक है. वहां पर 15 अगस्त 1947 से पहले और उसके बाद से लगातार पूजा हो रही है. इसलिए प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट (Places of Verses Act) की धारा 4 इस मामले में लागू नहीं होती है.