सप्तऋषि की प्रतिमाओं को पार्किंग में रखकर ढंक दिया गया है
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उज्जैन में तीन दिन पहले मामूली तूफान में महाकाल लोक में स्थापित सप्तऋषियों की मूर्तियों के खंडित होने का मामला गर्म है। कांग्रेस इसे लगातार सुर्खियों में बनाने की कोशिश में लगी है। मामले की शिकायत अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को की गई है। विधायक महेश परमार ने प्रधानमंत्री को पत्र भेजकर भ्रष्टाचार करने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की मांग की है।
प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर परमार ने बताया कि मामूली आंधी में मूर्तियों का टूटना जन भावनाओं के साथ खिलवाड़ है। भूतभावन श्री महाकालेश्वर की नगरी उज्जैन में स्थित महाकाल मंदिर विस्तारीत महाकाल लोक कॉरिडोर का लोकार्पण आपके करकमलों द्वारा हुआ था। उसके पश्चात मात्र सात माह में ही महाकाल लोक कॉरिडोर में स्थापित सप्तऋषि की मूर्तिया छोटी सी आंधी में ही ध्वस्त/खंडित हो गईं। मूर्तियां खंडित होने के बाद मामला सामने आया कि मूर्ति बहुत ही मामूली एफआरपी ( फायबर मटेरियल) की थीं, जबकि धातु/पाषाण की मूर्तिया लगनी थी। उक्त क्षतिग्रस्त मूर्तियों को पेडस्टल भी ठीक से फिक्स नहीं किया गया था, ये लापरवाही की पराकाष्ठा थी।
परमार ने लिखा कि स्थापित मूर्तियों की कीमत 4-5 लाख रुपये का आकलन सामने आया है, जबकि मूर्तियों की खरीद 30-35 लाख प्रत्येक में हुई है। यह उदाहरण मप्र भाजपा सरकार द्वारा स्वयं भगवान को ही धोखा देने जैसा है। यह भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा है। ज्ञातत्व है कि, महाकाल लोक कॉरिडोर में लगभग 350 करोड़ का जनधन खर्च हुआ है, इस घटना से आप भ्रष्टाचार का अंदाजा लगाने में सक्षम हैं। मूर्तियां गुजरात के ही ठेकेदार द्वारा बनाकर लगाई गई थीं। इस मामले को मेरे द्वारा पूर्व में ही विधानसभा में संज्ञान में लाया गया था तथा संबंधित विभागों में शिकायतें की गई थीं, किंतु मप्र की धर्म विरोधी सरकार नहीं जागी। इस घटनाक्रम से देश के अखबार/मीडिया भरे पड़े है।
विधायक परमार ने लिखा कि आपसे लोकार्पण कराने की जल्दी में और श्रेय लेने की होड में, म.प्र. की सरकार एवं शिवराजसिंह चौहान मुख्यमंत्री ही इस घटना के जिम्मेदार हैं। इससे साफ जाहिर है कि देश के प्रधानमंत्री जी को अंधेरे में रखकर जन समुदाय की धार्मिक भावनाओं पर यह कुठाराघात किया गया है। धार्मिक विस्तार के नाम पर करोड़ों का भ्रष्टाचार किया गया। महाकाल लोक कॉरिडोर में लाखों की संख्या में साधु संत/श्रद्धालु/दर्शनार्थी आते हैं। इस घटना में उनकी भी जान को खतरा हो गया था और इन सब बिन्दुओं से ऊपर उक्त लगाई गई मूर्तियों के प्रति लाखों आगन्तुक दर्शनार्थीगण श्रद्धा भाव प्रकट करते हैं, पूजा करते हैं। जैसे ही देश को यह मालूम पड़ा कि आस्था की प्रतीक उक्त मूर्तिया फाइबर प्लास्टिक मटेरियल की है, जन समुदाय की धार्मिक भावनाएं/आस्थाएं आहत हुईं। उज्जैन सहित समूचे प्रदेश में जनआक्रोश फट पड़ा है।
परमार ने लिखा कि आपसे अनुरोध है कि धर्म की, लोगों की धार्मिक भावनाओं की, जनसमुदाय कि चोटिल आस्थाओं की रक्षा करने के लिए आगे आएं और सम्पूर्ण घटनाक्रम, महाकाल लोक में हुए धार्मिक विस्तार में हुए भ्रष्टाचार की जांच कर दोषियों को दंडित कराएं व भ्रष्टाचार रहित व्यवस्था सुनिश्चत करें।