चीता
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
मध्यप्रदेश के श्योपुर में कूनो नेशनल पार्क के बड़े बाड़े में रखे गए दस चीतों में से सात को जंगल में छोड़ने की योजना पर काम चल रहा है। इसकी जानकारी केंद्र की हाईलेवल कमेटी की ओर से दी गई है।
केंद्र की उच्च स्तरीय समिति का कहना है कि जून के तीसरे सप्ताह तक कूनो नेशनल पार्क में सात और चीतों को जंगल में छोड़ दिया जाएगा। सात चीते पहले ही खुले जंगल में छोड़े जा चुके हैं। दो दिन पहले ही मादा चीता निरवा को जंगल में छोड़ा गया था। तब ये जानकारी सामने आई थी शेष 10 चीतों को भी सिलसिलेवार तरीके से जल्दी ही खुले जंगल में छोड़ा जाएगा।
मानसून खत्म होने के बाद होगी समीक्षा
विशेषज्ञ टीम भी कह चुकी है कि सभी चीते अच्छी शारीरिक स्थिति में हैं, वे नियमित अंतराल पर शिकार करते हैं और प्राकृतिक व्यवहार प्रदर्शित करते हैं। निगरानी दलों ने चीतों को उनकी व्यावहारिक विशेषताओं और पहुंच क्षमता के आधार पर मुक्त विचरण के लिए चुना गया है। पार्क से जुड़े विशेषज्ञों के मुताबिक चीतों कों छोड़ने की कवायद जून में मानसून की बारिश शुरू होने से पहले की जाएगी। जिन चीतों को छोड़ा जाना है, उनका चयन उनके व्यक्तिगत परीक्षण के बाद किया गया कि वे किस तरह से नए माहौल में घुल-मिल रहे हैं। इन चीतों की निगरानी भी वैसे ही होगी, जैसे पहले छोड़े गए चीतों की हो रही है। शेष चीते मानसून के दौरान बड़े बाड़ों में ही रहेंगे। इनके बाड़े खोल दिए जाएंगे ताकि इन्हें पर्याप्त जगह मिल सके। मानसून खत्म होने के बाद सितंबर में समीक्षा होगी और उसके बाद अन्य चीतों को खुले जंगल में छोड़ने का फैसला होगा।
चार जन्मे, छह की हुई मौत
उल्लेखनीय है, महत्वाकांक्षी चीता पुनर्वास परियोजना के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 17 सितंबर को अपने 72वें जन्मदिन पर नामीबिया से कूनो में आठ चीतों को छोड़ा था। इसी तरह 18 फरवरी को दक्षिण अफ्रीका से लाए गए 12 चीतों को कूनो में छोड़ा गया था। हालांकि केएनपी में लगभग दो महीने में तीन वयस्क चीते और नामीबिया की मादा चीता, ज्वाला (सियाया) के चार शावकों में से तीन की मौत हो गई है।
वन कर्मी चप्पे-चप्पे पर रखेंगे नज़र
इधर चीतों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए वन विभाग की योजना से कूनो नेशनल पार्क के फील्ड स्टाफ को 10 मोटरसाइकिल वितरण की हैं, जिससे खुले जंगल में विचरण कर रहे चीतों की आसानी से ट्रेकिंग व मॉनिटरिंग हो सके। डीएफओ प्रकाश कुमार वर्मा ने बताया कि फील्ड स्टाफ के पास ज्यादातर या तो पुरानी मोटरसाइकिल होती है या फिर साइकिल, यहां तक कि पैदल भी स्टाफ को गश्त करना पड़ता है। इसी को ध्यान में रखते हुए बाइक वितरण की है। इससे पार्क के चप्पे-चप्पे पर नजर रखी जा सकेगी।