गंगा जमना कॉन्वेंट स्कूल में हिंदू बच्चियों को निशाना बनाया?
गंगा जमना कॉन्वेंट नाम के इस स्कूल को एक इस्लामिक संस्था चलाती है. और इसीलिए ये पोस्टर वायरल होते ही वहां के हिंदू संगठनों ने इसका विरोध शुरू कर दिया. और स्कूल प्रबंधन के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग शुरू कर दी. हालांकि इस मामले में छात्राओं के परिजनों की तरफ से कोई शिकायत दर्ज नहीं की गई है. किन ये पोस्टर वायरल होते ही हंगामा शुरू हो गया. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने भी इस मामले में संज्ञान लिया और कार्रवाई के निर्देश दिए.
सोशल मीडिया पर मामला गर्माते देख दमोह कलेक्टर ने ट्वीट किया और पूरी घटना को सिरे से ख़ारिज कर दिया. न्होने लिखा कि गंगा जमुना स्कूल के एक पोस्टर को लेकर कुछ लोगों द्वारा फैलायी जा रही जानकारी को लेकर थाना प्रभारी कोतवाली और जिला शिक्षा अधिकारी ने जांच की है, जिसमें तथ्य गलत पाये गये है. जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है.
दमोह कलेक्टर के इस ट्वीट पर एसपी दमोह ने भी जवाब दिया और ट्वीट करते हुए लिखा कि इस मामले में कोई आरोप सिद्ध नहीं हुआ है.
लेकिन कलेक्टर और एसपी के इन्ही ट्वीट्स पर लोगों ने उन्हे घेरना शुरू कर दिया और पोस्टर के वीडियो और तस्वीरें पोस्ट करनी शुरू कर दीं. बीजेपी नेताओं और हिंदू सगंठनों के लोगों ने इसे द केरला स्टोरी से जोड़ते हुए धर्मांतरण को बढ़ावा देने का आरोप लगाया, जिसके बाद मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा को भी सामने आना पड़ा.
स्कूल ने दी सफाई
इस पूरे मामले में स्कूल प्रबंधन की तरफ़ से सफ़ाई भी दी गई है और स्कूल प्रबंधन ने तस्वीरों में हिजाब जैसी नज़र आने वाली ड्रेस को स्कॉर्फ बता दिया. स्कूल प्रबंधन की तरफ़ से कहा गया कि ये स्कूल के ड्रेस कोड का हिस्सा है और ये हिजाब नहीं बल्कि स्कॉर्फ़ है जिसे स्कूल की बड़ी बच्चियां सर ढ़कने के लिए पहनती हैं.
स्कूल वालों को हिजाब और स्कार्फ में मतलब नहीं पता?
यानी स्कूल प्रबंधन ने ये तो मान लिया कि ये पोस्टर फर्जी नहीं है और ये उनके स्कूल के द्वारा ही लगवाया गया था. हालांकि अब उनके इस दावे पर भी सवाल पैदा होते हैं. क्योंकि स्कूल प्रबंधन के अनुसार अगर ये वाकई स्कॉर्फ़ है तो फिर हिजाब किस तरह का होता है और हिजाब और स्कूल के इस स्कॉर्फ़ में क्या अंतर रह गया. बहुत से लोगों का कहना है कि क्या ये ड्रेस कोड के बहाने हिंदू छात्राओं पर हिजाब या उसकी तरह मिलती जुलती ड्रेस थोपे जाने की कोशिश नहीं है. प्रशासन ने भले ही आनन फानन में स्कूल को क्लीन चिट दे दी हो लेकिन इस वायरल पोस्टर ने ऐसे कई सवाल खड़े कर दिए हैं, जिसका जवाब प्रशासन अभी तक नहीं दे पाया है.