मध्य प्रदेश के उज्जैन में 28 मई को चले आंधी तूफान ने महाकाल महालोक को नुकसान पहुंचाया। सप्तऋषि की सात में से छह मूर्तियां क्षतिग्रस्त हो गई। इसके अलावा भी कई मूर्तियों को नुकसान पहुंचा है। किसी का रंग उतर गया तो किसी में दरारें पड़ गई। सरकार कह रही है कि 55 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चली हवाओं ने यह कहर बरपाया है। पर सवाल तो यह है कि उसी उज्जैन में महाकाल महालोक के बाहर लगी मूर्तियों को नुकसान क्यों नहीं हुआ? वह तो आज भी जस की तस खड़ी हैं और महाकाल महालोक बनाने वाले ठेकेदारों को मुंह चिढ़ा रही है। 

महाकाल महालोक में 28 मई को सप्तऋषि की छह प्रतिमाएं नीचे गिर गईं। एक प्रतिमा की गर्दन टूट गई। दो प्रतिमाओं के हाथ अलग हो गए। सप्तऋषि की ही अन्य 3 प्रतिमाएं ऐसी भी थी, जिनके नीचे गिरने से उनमें टूट-फूट हुई है। बीते चार दिन से इसे लेकर मध्यप्रदेश की राजनीति में भूचाल आया हुआ है। उज्जैन के प्रभारी मंत्री जगदीश देवड़ा ने इसे तकनीकी त्रुटि बताया। फिर नगरीय प्रशासन और आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने मीडिया के सामने आकर सफाई दी कि यह तो प्राकृतिक आपदा है। कोई नुकसान नहीं हुआ है। मूर्तियां गारंटी पीरियड में है। गुजरात की कंपनी उसका रखरखाव कर रही है। एक-दो हफ्ते में मूर्तियां फिर से स्थापित हो जाएंगी। हालांकि, मूर्तिकारों का आरोप है कि महाकाल की मूर्तियों के गिरने की वजह आंधी-तूफान नहीं है। अगर ऐसा होता तो महालोक के बाहर की मूर्तियों को भी नुकसान होता। वह तो जस की तस खड़ी हैं। सिर्फ महालोक की मूर्तियों को ही नुकसान क्यों हुआ? गुरुवार को उज्जैन जिला कांग्रेस अध्यक्ष रवि भदौरिया कुछ विशेषज्ञों के साथ महालोक पहुंचे। उन्होंने कलाकारों और मूर्तिकारों से ही जाना कि मूर्तियां बनाने में क्या गड़बड़ी हुई है। 

 



उज्जैन की ही इन मूर्तियों का बाल भी बांका न हुआ

देवास रोड पर महानंदानगर की ओर जाने वाले मार्ग पर स्केटिंग बाइक की प्रतिमा 10-15 फीट की है। 22 साल पहले लगी थी। यह प्रतिमा भी एफआरपी से ही बनी है। इसके बाद भी कई आंधी-तूफान झेल चुकी है। इतना ही नहीं देवास रोड पर ही इस्कॉन मंदिर पहुंच मार्ग पर यूनिटी की है। 15 साल पहले उज्जैन विकास प्राधिकरण ने 10 फीट की यह प्रतिमा लगाई थी। आज भी यह जस की तस खड़ी है। हरिफाटक ओवरब्रिज के पास लगी नंदी की भव्य प्रतिमा हो या फिर सिंधी कॉलोनी में हेमू कालानी बगीचे में एक साल पहले लगाई भगवान झूलेलाल की प्रतिमा, किसी को भी नुकसान नहीं पहुंचा है। वहीं, इन प्रतिमाओं से लगभग चार गुना अधिक बजट में बनी महाकाल लोक की प्रतिमाएं पहली आंधी भी सहन नहीं कर सकी।  

 


महाकाल महालोक की यह प्रतिमाएं भी क्षतिग्रस्त 

महाकाल लोक में सिर्फ सप्तऋषि की प्रतिमाओं को नुकसान नहीं हुआ है बल्कि कई प्रतिमाएं क्षतिग्रस्त हुई है। भगवान कार्तिकेय की भाला पकड़े मूर्ति के हाथ का रंग खराब हो गया है। इसमें भी दरार है। कमलासना महालक्ष्मी की तीन मूर्तियां हैं। कमल की पत्तियां जगह छोड़ चुकी हैं। भगवान शिव की प्रतिमा के हाथ में दरार है। गजासुरसंहार की प्रतिमा के बटुकभैरव ने बेस छोड़ दिया है। शिव प्रतिमा में हाथ उठाए शिव की मूर्ति के पैर और शेर की प्रतिमा में दरार आ चुकी है। शेर की प्रतिमा ने भी बेस छोड़ दिया है। मणिभद्र की नीचे लेटी हुई प्रतिमा के पैर में भी दरार आ गई है जबकि शिव बरात में कुछ बरातियों की प्रतिमाओं में दरारें आ चुकी है। शिव जिस नंदी पर विराजमान है, उसमें दरार हैं। एक वहीं एक बाराती के कमर, वस्त्रों में भी दरारे हैं। शिव लीला की प्रतिमा में भगवान शिव की प्रतिमा पर तो सीने में ही दरार है। जिस बेस पर मूर्ति को रखा गया है, उसमें भी बड़ा गड्ढा है। 


मूर्तिकार और विशेषज्ञों ने खोली पोल

इंदौर से आए मूर्तिकार सुंदर गुर्जर ने महाकाल लोक का जायजा लिया। उन्होंने बताया कि एफआरपी की मूर्तियां बनती हैं लेकिन यहां भ्रष्टाचार हुआ है। किसी भी काम की शुरुआत डाई कास्टिंग से होती है। मूर्तियों का मटेरियल इंजीनियर और फिर सरकारी अधिकारी जांचते हैं। 10 फीट से ऊंची प्रतिमाओं में हवा का प्रेशर सहने की क्षमता देखी जाती है। खोखला नहीं छोड़ा जाता। महालोक की मूर्तियों को तो खोखला छोड़ा गया है। मूर्तियों की बाहरी परत आठ एमएम की होती है। यहां तो साफ दिख रहा है कि दो-तीन एमएम से ज्यादा की परत नहीं है। अंदर भी कंक्रीट या मसाला भरना था। वह भी नहीं किया गया। 80 प्रतिशत तक भ्रष्टाचार हुआ है। प्रतिमाओं को फिक्स करना होता है। यहां तो मूर्तियों को बेस पर फिक्स ही नहीं किया। इन पर कोटिंग होनी थी, जिससे धूप, आंधी-बरसात और ठंड का असर नहीं होता। आम तौर पर मूर्तियां तीन से पांच साल बाद ही रिपेयरिंग मांगती है। यहां तो सात महीने में यह हाल हो गए हैं।  


कमलनाथ का आरोप- मंत्री बिना जांच के सरकार को क्लीन चिट देने में लगे

भगवान महाकाल समस्त हिंदू समाज की आस्था का केंद्र हैं। जिस तरह से महाकाल लोक में सप्त ऋषि की मूर्तियां गिरी और अब अन्य देव प्रतिमाओं को नुकसान पहुंचने के समाचार भी सामने आ रहे हैं, वैसे में शिवराज सरकार का रवैया पूरी तरह मामले की लीपापोती करने का नजर आ रहा है। मामले की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच कराने के बजाय शिवराज सरकार के मंत्री बिना जांच के ही अपनी सरकार को क्लीन चिट दे रहे हैं। कांग्रेस पार्टी ने पहले ही अपना रुख स्पष्ट कर दिया है कि महाकाल लोक घोटाले की जांच हाईकोर्ट के किसी वर्तमान न्यायाधीश से कराई जाए। अगर सरकार कांग्रेस की यह मांग स्वीकार नहीं करती तो जनता में स्पष्ट संदेश जाएगा कि शिवराज सरकार की मानसिकता हिंदुओं की आस्था पर चोट करने की और घोटालेबाजों को पूर्ण संरक्षण देने की है।




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By attkley

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