विपक्षी एकता की बैठक 23 जून को पटना में होने वाली है।
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ऐसा देश में पहली बार हो रहा होगा कि केंद्र सरकार के खिलाफ अलग-अलग मोर्चे पर लड़ रही पार्टियां एक जगह जुट रही हों। बिहार इस ऐतिहासिक मौके का गवाह बन रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार को उखाड़ फेंकने का सामूहिक निर्णय लेने के लिए 23 जून को पटना में यह बैठक हो रही है। पहले यह बैठक 12 जून को होने वाली थी, लेकिन कांग्रेस के कदम पीछे खींच लेने के कारण मामला फंस गया था। अब शुक्रवार को बैठक में भी कांग्रेस के साथ किसी का गतिरोध नहीं हो, इसके लिए एजेंडा तैयार हो गया है। बैठक में उसी रोडमैप पर बात होगी। ऐसी बात कि गतिरोध लोकसभा चुनाव 2024 तक टल जाए।
पीएम को लेकर बात होगी या नहीं- पहले यह जानें
बिहार के वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने 23 जून को पटना में हो रही विपक्षी दलों की बैठक के एजेंडे साफ किए। उन्होंने कहा कि भाजपा इस बैठक से डरी हुई है। उसे तनिक भी उम्मीद नहीं थी कि विपक्षी दल इस तरह से एकजुट होंगे। इस एकजुटता के डर के कारण ही भाजपा वाले यह सवाल बार-बार ला रहे हैं कि प्रधानमंत्री का हमारा चेहरा कौन होगा। उन्होंने बताया कि “शुक्रवार को पटना में होने वाली बैठक का पहला एजेंडा यही है कि भाजपा का सामना करने के लिए किसी भी तरह एकजुट होना है। इस एजेंडे में कोई संशय नहीं है। इसलिए, प्रधानमंत्री के चेहरे को लेकर इस बैठक में कोई निर्णय नहीं होगा। एकजुटता प्राथमिक एजेंडा होगा। सभी नेता आ रहे हैं, इससे यह संदेश जाएगा कि हम साथ-साथ हैं और एजेंडे की सफलता यही है। पीएम के चेहरे पर आगे निर्णय लिया जाएगा, इस बैठक में नहीं। जो भी चेहरा होगा, नरेंद्र मोदी से बेहतर होगा।”
क्षेत्रीय गतिरोध के लिए निकाला यह फॉर्मूला
शुक्रवार को पटना में हो रही बैठक के पहले ही बिहार आ रहे नेताओं से स्पष्ट बात की गई है कि क्षेत्रीय गतिरोध के मुद्दे इस बैठक के एजेंडे में नहीं हों। भाजपा को दोबारा सत्ता में आने से रोकना सभी के लिए जरूरी है। ऐसे में एक-दूसरे के खिलाफ अपने राज्यों में लड़ने वाले दल अगर भाजपा के खिलाफ एकजुट होना चाहते हैं तो उन्हें बड़े उद्देश्य के लिए छोटे मुद्दों को किनारे रखकर चलना होगा। बिहार के वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी भी यही बात कह रहे हैं।
नीतीश सरकार के मंत्री ने भी लगाई मुहर
मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा- “आज देश में ऐसा माहौल बन गया हैं कि सभी को एक साथ मिलकर लड़ना ही होगा। भाजपा को सत्ता से दूर करना ही होगा। इसी कारण इसपर क्षेत्रीय मुद्दों को लेकर एजेंडे में यह तय किया गया है कि हर राज्य के अलग-अलग मुद्दों पर एक साथ बाद में मिलकर बात की जाएगी। एकजुटता मजबूत होगी तो क्षेत्रीय मुद्दों पर आसानी से बात हो सकेगी। जैसे, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, डीएमके या किसी क्षेत्रीय दल का दूसरे क्षेत्रीय दल या कांग्रेस से गतिरोध है तो उन बिंदुओं को जुटाकर अलग से बात की जाएगी।”