European Parliament Resolution on Manipur Violence: भारत ने मणिपुर की स्थिति पर गुरुवार को यूरोपीय संघ की संसद में पारित प्रस्ताव पर कड़ी आपत्ति जताई है. भारत ने सोमवार सख्त शब्दों में बयान जारी कर यूरोपीय संसद की हरकत को ‘औपनिवेशिक मानसिकता’ से प्रेरित करार देते हुए खारिज कर दिया. यही नहीं, यूरोपीय संसद को सलाह दी कि वह अपने काम से काम रखे तो बेहतर रहेगा. 

यूरोपीय संसद ने फिर बहाए घड़ियालू आंसू

ब्रुसेल्स स्थित यूरोपीय संघ की संसद ने मणिपुर में हाल में हुई हिंसा (European Parliament Resolution on Manipur Violence) को लेकर भारत में मानवाधिकारों की स्थिति पर गुरुवार को एक प्रस्ताव पारित किया. इस प्रस्ताव में भारतीय अधिकारियों से मणिपुर में हिंसा को तुरंत रोकने और सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए आवश्यक उपाय करने का पुरजोर आग्रह किया था. प्रस्ताव में भारत पर आरोप लगाया गया था कि अल्पसंख्यक समुदायों के प्रति असहिष्णुता के कारण राज्य में मौजूदा स्थिति बनी है. इस प्रस्ताव में प्रस्ताव में ‘राजनीति से प्रेरित’ नीतियों के बारे में चिंताएं व्यक्त की गयी हैं. साथ ही मणिपुर में इंटरनेट सेवा बंद होने का भी उल्लेख किया गया. 

मणिपुर की स्थिति पर पास किया प्रस्ताव

यूरोपीय संघ ने बाद में एक बयान जारी कर प्रस्ताव (European Parliament Resolution on Manipur Violence) के बारे में विस्तार से जानकारी भी दी. बयान में कहा गया कि यूरोपीय संसद के कुछ सदस्यों ने भारतीय अधिकारियों से स्वतंत्र जांच की अनुमति देने का भी आग्रह किया. इसके साथ ही सभी परस्पर विरोधी पक्षों से भड़काऊ बयान बंद करने, आपसी विश्वास बहाल करने और तनाव कम करने के लिए निष्पक्ष भूमिका निभाने का भी आग्रह किया गया. प्रस्ताव में कहा गया कि यूरोपीय संसद ने व्यापार सहित यूरोपीय संघ-भारत साझेदारी के सभी क्षेत्रों में मानवाधिकारों को एकीकृत करने के अपने आह्वान को दोहराया.

भारत ने बताया औपनिवेशिक सोच

यूरोपीय संसद के इस दुस्साहस (European Parliament Resolution on Manipur Violence) पर भारत ने उसे कड़ा जवाब दिया. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारत के आंतरिक मामलों में इस तरह का हस्तक्षेप अस्वीकार्य है. बागची ने कहा, ‘हमने देखा है कि यूरोपीय संघ की संसद में मणिपुर की मौजूदा स्थिति को लेकर चर्चा की गयी और एक तथाकथित तात्कालिक प्रस्ताव पारित किया गया. भारत के आंतरिक मामलों में इस तरह का हस्तक्षेप अस्वीकार्य है और यह औपनिवेशिक मानसिकता को दर्शाता है. ’ 

‘अपने काम से रखे काम’

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि न्यायपालिका सहित सभी स्तरों पर भारतीय अधिकारी मणिपुर (Manipur Violence) की स्थिति से अवगत हैं और शांति, सद्भाव तथा कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए आवश्यक कदम उठा रहे हैं. उन्होंने इस प्रस्ताव को लेकर संवाददाताओं के सवालों का जवाब देते हुए कहा, ‘यूरोपीय संघ की संसद को सलाह दी जाएगी कि वह अपने समय का अपने आंतरिक मुद्दों पर अधिक उत्पादक ढंग से उपयोग करे.’

बदल चुके हैं भारत के तेवर  

बताते चलें कि चीन से निपटने के लिए भारत से मदद की आस कर रहे पश्चिमी देश भारत को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ते. वे एक और तो अपने तैयार माल को भारत में खपाकर मोटा मुनाफा कमाना चाहते हैं, वहीं उन्हें भारत का उभरना भी पसंद नहीं है. यही वजह है कि वे जब-तब विवादित मुद्दे उठाकर भारत को घेरने की कोशिश करते रहते हैं. लेकिन पहले इन मुद्दों पर शांत-संयत प्रतिक्रिया जताने वाले भारत ने अब अपनी नीति बदली है. वह अब राष्ट्रीय स्वाभिमान के मुद्दों पर जैसे को तैसा वाले अंदाज में जवाब देता है और किसी भी तरह की धौंसपट्टी में नहीं आता. 

(एजेंसी भाषा)





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By attkley

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