SC Hand book: सेक्स (Sex) को लेकर महिला की ना को ना ही समझा जाए अगर कोई महिला परंपरागत समझी जानी ड्रेस नहीं पहन रही है तो इसका मतलब ये नहीं निकाला जाना चाहिए कि वो सेक्स संबंध (Physical Relation) बनाना चाहती है. महिलाएं भी पुरूषों  की तरह विभिन्न वजहों से शराब या सिगरेट का सेवन करती हैं. यह उन मर्दो के साथ साथ सेक्सुसल रिलेशनशिप बनाने को लेकर उनकी इच्छा नहीं दिखाता. महिलाओं को लेकर कुछ इस तरह की दकियानूसी अवधारणों और मिथकों को खंडन करने वाली  सुप्रीम कोर्ट ने हैंडबुक लांच की है.

अदालती भाषाओ में महिलाओं के लिये सम्मानजनक शब्दो पर जोर

कलकत्ता हाई कोर्ट की जज मौसमी भट्टाचार्य की अध्यक्षता वाली कमेटी की ओर से तैयार की गई इस हैंडबुक में महिलाओं को लेकर दकियानूसी सोच को दर्शाने वाली तमाम ऐसे अपमाजनक  शब्दों की लिस्ट दी गई है, जिनका इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए. साथ ही उनके बजाए वैकल्पिक बेहतर शब्दों/वाक्यांश  की सूची भी दी गई है.  जिनका इस्तेमाल किया जा सकता है. 

मसलन इस बुक में ‘रखैल’ जैसे शब्दों के बजाए  ‘एक ऐसी महिला जिससे कोई पुरुष अपनी शादी से बाहर संबंध रखता है’, ‘वेश्या’ के बजाए ‘सेक्स वर्कर’ , ‘व्यभिचारिणी’स्त्री के बजाए ‘शादी से बाहर सेक्सुअल रिलेशन बनाने वाली महिला’ के इस्तेमाल की सलाह दी गई है. चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने आज ओपन कोर्ट में इस बुक की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि इस हैंडबुक के जरिए जजों और वकालत के पेशे से जुड़े दूसरे लोगों को क़ानूनी भाषा मेंअभी तक इस्तेमाल हो रहे स्टीरियोटाइप शब्दों को पहचाने और उनके बजाए बेहतर शब्दो/ वाक्यांशों का इस्तेमाल करने में मदद मिलेगा.

महिला को लेकर दकियानूसी सोच का खंडन
इसके अलावा इस हैंडबुक में महिलाओं को लेकर स्टीरियोटाइप पैटर्न का खंडन करते हुए उनके पीछे वास्तविकता को भी दर्शाया गया। इसका मकसद है कि जज अपने फैसल देते हुए इन दकियानूसी अवधारणों से प्रभावित न हो। ऐसे कुछ उदाहरण है:-

• जो महिला परंपरागत मानी जाने वाली ड्रेस नहीं पहनती है, इसका मतलब ये नहीं निकाला जाना चाहिए कि वो  पुरुषों के साथ सेक्स सबंध बनाना चाहती है और  कोई पुरुष बिना उनकी मर्जी के उसे छू सकता है. किसी महिला का पहनावा सेक्स सम्बंधो के प्रति उसकी इच्छा या उसे बिना सहमति के टच करने का आमंत्रण नहीं समझा जा सकता.
 
• महिलाओं का साथ शराब या सिगरेट पीना सेक्स सम्बंधो के लिए उनकी इच्छा को नहीं दर्शाता है. पुरुषों की तरह महिलाओं के लिए भी इनके सेवन की बहुत सी वजह हो सकती है. बिना महिला की मर्जी के टच करने वाला पुरुष अपने बचाव में ये दलील नहीं दे सकता कि महिला ने उसके साथ सिगेरट या शराब का सेवन किया.

• ये सच्चाई नहीं है कि महिलाओं के साथ रेप/यौन हमलों को अंजाम देने वाले लोग अजनबी होते है. अधिकतर मामलों में ये लोग महिला के जानकार ही होते हैं.

• यह धारणा गलत है कि सेक्सुसल असॉल्ट का शिकार सारी महिलाएं ही लगातार रोती रहती हैं या फिर वह डिप्रेशन में आ जाती है और अगर ऐसा नहीं हुआ है तो  ये समझा जाए कोई घटना नहीं हुई है. हकीकत ये है कि दुःखद घटनाओं को लेकर हरेक महिला का रिस्पॉन्स का तरीका अलग अलग होता है, जो उनके व्यक्तिगत गुणों पर निर्भर करता है.

• अगर कोई महिला सेक्सुसल असॉल्ट का शिकार होने पर आरोपी के साथ बातचीत कायम रखती है तो इसका ये मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए  कि ऐसी कोई घटना हुई ही नहीं हुई है. कई बार आरीपी के परिवार का सदस्य होने, ऑफिस में बॉस होने या फिर सामाजिक परिस्थितियों के चलते उससे बात करना उसकी मजबूरी होती है.

• अगर महिला यौन शौषण की शिकायत देर से करती है तो इसका मतलब ये नहीं निकाला जाना चाहिए कि आरोप झूठे हैं. ऐसे आरोपों की रिपोर्ट दर्ज कराने में हिम्मत की ज़रूरत होती है. कई बार परिवार के सहयोग न मिलने और इस अपराध को  समाज के देखने के नजरिए के चलते भी महिलाएं देर से शिकायत दर्ज करा पाती है.



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By attkley

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