सीबीआई (सांकेतिक तस्वीर)।
– फोटो : ANI

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सीबीआई ने 4,000 करोड़ रुपये से अधिक के ऋण-धोखाधड़ी मामले में जीटीएल इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (जीटीआईएल) और बैंकों के अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के बाद मुंबई में उसके दफ्तर में छापा मारा। सीबीआई प्रवक्ता ने बताया कि 13 बैंकों के अधिकारी रडार पर हैं। उन पर कंपनी के 3,224 करोड़ रुपये के बकाया को प्रतिभूतियों को गिरवी रखकर अपने ऋण को सुरक्षित करने का प्रयास किए बिना 1,867 करोड़ रुपये में एक परिसंपत्ति पुनर्निर्माण फर्म को सौंपने का आरोप है। इसमें यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, आईसीआईसीआई बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, आंध्रा बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, एक्सिस बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया और देना बैंक शामिल हैं। 

11,263 करोड़ का बकाया था 2016 में 7200 करोड़ रुपये ऋण इक्विटी शेयरों में बदला

कंपनी का 19 बैंकों के समूह पर 11,263 करोड़ रुपये बकाया है। 2011 में, इसने ऋण सुविधाओं पर ब्याज और किश्तें चुकाने में असमर्थता व्यक्त की। एफआईआर में कहा गया है कि बैंकों ने कॉर्पोरेट ऋण पुनर्गठन का सहारा लिया, जो भी विफल रहा। ऋणदाता बैंकों ने 2016 में रणनीतिक ऋण पुनर्गठन   लागू करने का निर्णय लिया, जिसमें 11,263 करोड़ रुपये के कुल ऋण में से 7,200 करोड़ रुपये का ऋण इक्विटी शेयरों में बदल दिया गया, जिसके बाद जीटीआईएल के लिए 4,063 करोड़ रुपये की बकाया राशि बची।

बैलेंस शीट में दिखीं कई गड़बड़ियां

सीबीआई की एफआईआर के मुताबिक जीटीआईएल की ऑडिटेड बैलेंस शीट में 35 साल में 27,729 टेलीकॉम टावर दिखाए गए हैं। अगर एटीसी टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर और वोडाफोन इंडिया लिमिटेड के बीच इसी तरह के सौदे की तुलना की जाए, तो इन टावरों का मूल्य लगभग 10,330 करोड़ है। बैंकों के 1,867 करोड़ रुपये ईएआरसी को सौंपा गया था, जिससे भारी नुकसान हुआ।



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By attkley

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