Delhi High Court: दिल्ली (Delhi) सरकार के महिला और बाल विकास के अधिकारी प्रेमोदय खाखा द्वारा कथित रूप से एक नाबालिग के यौन शोषण किए जाने के मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने स्वत: संज्ञान लिया है. दिल्ली हाईकोर्ट ने पुलिस से ये सुनिश्चित करने को कहा है कि किसी भी सूरत में नाबालिग पीड़ित की पहचान उजागर न हो. चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस संजीव नरूला की बेंच ने स्वत: संज्ञान लेते हुए दिल्ली पुलिस से ये सुनिश्चित करने को कहा है कि नाबालिग पीड़ित की पहचान सुरक्षित रखी जाए. उसकी पहचान उजागर ना हो. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार के महिला और बाल विकास मंत्रालय से 4 हफ्ते में स्टेटस रिपोर्ट तलब की है. कोर्ट में अगली सुनवाई 14 सितंबर को होगी.

पीड़िता की हालत गंभीर

सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से कोर्ट को बताया गया कि नाबालिग पीड़ित की हालत गंभीर है और वह अस्पताल में भर्ती है. पुलिस की ओर से कोर्ट को यह भी बताया गया कि पीड़ित को कल दौरा भी पड़ा. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की ओर से पेश वकील ने कोर्ट को बताया कि आयोग ने भी इस घटना पर संज्ञान लिया है और वो भी इस मामले में जवाब दाखिल करेगा.

सरकारी अधिकारी पर क्या है आरोप?

बता दें कि बीते 13 अगस्त को आरोपी अधिकारी और उसकी पत्नी दोनों गिरफ्तार हुए थे. दिल्ली सरकार के महिला और बाल विकास मंत्रालय के अधिकारी प्रेमोदय खाखा पर नाबालिग के साथ कई महीनों तक रेप करने और उसे गर्भवती करने का आरोप है. उसकी पत्नी पर आरोप है कि उसने नाबालिग बच्ची को अबॉर्शन पिल खिलाई.

13 अगस्त को हुई थी गिरफ्तारी

जान लें कि पुलिस ने प्रेमोदय खाखा और उनकी पत्नी को 13 अगस्त को गिरफ्तार कर लिया था. दोनों पर आईपीसी की धारा 376(2)(f), 509, 506, 323, 313, 120बी और पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है.



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By attkley

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