Loksabha Election 2024: यूपी में भाजपा का लोकसभा चुनाव का ब्लू प्रिंट तैयार हो चुका है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगले सात महीनों में कई जनसभाएं होगी.पब्लिक मीटिंग को लोकसभा क्षेत्र के हिसाब से बनाया गया है ब्लू प्रिंट के मुताबिक प्रधानमंत्री के अलावा गृह मंत्री,राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की भी रैलियां होंगी. पश्चिम क्षेत्र,बृज क्षेत्र पर सबसे ज्यादा फोकस रहेगा. इसके साथ ही पूर्वांचल के लिए भी बड़ा प्लान बनाया गया है. यूपी में बीएल संतोष,धर्मेंद्र प्रधान लगातार संगठन की बैठक करेंगे. इस बैठक के आधार पर हर महीने लोकसभा क्षेत्रों की वास्तविक स्तिथि की रिपोर्ट होगी. यही नहीं विपक्ष के बड़े चेहरों के सामने भाजपा अपने भी बड़े चेहरों को लोकसभा के मैदान में उतारेगी. रायबरेली,मैनपुरी सीट पर प्रत्याशी का ऐलान भी अन्य सीटों से पहले किया जाएगा. यूपी के कई मंत्रियों को चुनाव लड़ाया जा सकता है. यही नहीं कई सांसदों का टिकट कट सकता है और कई सांसदों की सीट बदली भी जा सकती है.
2019 में ऐसे थे नतीजे
यूपी में अगर 2014 और 2019 के चुनावी नतीजों की बात करें तो बीजेपी की आंकड़ा दूसरे राजनीतिक दलों से बहुत आगे है. 2014 के नतीजों में बीजेपी जहां 70 से अधिक सीटों पर कब्जा करने में कामयाब हुई थी वहीं 2019 के नतीजों में सीटों की संख्या में कमी आई लेकिन स्ट्राइक रेट 80 फीसद के करीब था. 2019 के चुनाव को अहम इसलिए भी माना जाता है कि क्योंकि जातीय आधार पर स्थापित दोनों क्षेत्रीय दल यानी समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजपार्टी मिलकर चुनाव लड़े थे. दोनों के साझा प्रदर्शन को देखें तो बीजेपी के लिए नुकसान के जिस स्तर के कयास लगाए जा रहे थे. नतीजे उतने खराब नहीं रहे. यहां पर सवाल यह है कि बीजेपी सीटों के निर्धारण में बदलाव क्यों करना चाह रही है.
मिशन मोड पर बीजेपी
दरअसल बीजेपी किसी भी चुनाव को चाहे वो छोटा हो या बड़ा मिशन मोड के तौर पर लेती है. बीजेपी के रणनीतिकार हर एक सीट को जीतने की पुख्ता योजना पर काम करते हैं, वैसी सूरत में जमीनी स्तर पर फीडबैक को अधिक महत्व दिया जाता है. बीजेपी सांसदों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने भी स्पष्ट किया था कि जनता से जुड़े रहकर जनता के लिए काम करने के साथ सरकार की योजनाओं के बारे में आम लोगों तक पहुंचाना भी बड़ी जिम्मेदारी है, हम भले ही कितनी बेहतरीन योजना क्यों ना बना लें अगर जमीनी स्तर पर क्रियान्यवन में खामी हो या जनता तक अपनी बात पहुंचाने में कामयाब नहीं हुए तो उसका फायदा नहीं है.