Maharashtra Politics: सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर से कहा है कि वो 1 हफ्ते मे विधायकों की अयोग्यता की कार्रवाई पर फैसला लेने की समय सीमा तय करें. कोर्ट ने स्पीकर से कहा वो अपने पास लम्बित विधायकों की अयोग्यता के मसले पर 1 हफ्ते में सुनवाई करे और उसी दिन सुनवाई की रुपरेखा और समयसीमा तय करें. स्पीकर की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता कोर्ट को समयसीमा के बारे में अवगत कराएंगे. कोर्ट दो हफ्ते बाद आगे सुनवाई करेगा.

स्पीकर के रवैये पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की

सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर के इस मामले को लंबे समय तक पेंडिंग रखने पर नाराजगी जाहिर की. चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि 11 मई को आये हमारे फैसले (जिसमे कोर्ट ने स्पीकर को विधायकों की अयोग्यता पर वाजिब वक़्त में फैसला लेने को कहा था)चार महीने हो चुके है ,लेकिन स्पीकर ने कोई कार्रवाई नहीं की है.उन्हें कोर्ट के आदेश के प्रति सम्मान रखना चाहिए.

उद्धव ठाकरे गुट के सुनील प्रभु की याचिका

सुनील प्रभु की ओर से दायर याचिका में मांग की गई थी कि एकनाथ शिंदे के सहयोगी विधायकों की अयोग्यता का मसला स्पीकर के पास काफी समय से लंबित है. स्पीकर कोई कार्रवाई नहीं कर रहे है, लिहाजा कोर्ट उन्हें जल्द फैसला लेने को कहें. आज उद्दव ठाकरे ग्रुप की ओर से कपिल सिब्बल ने दलील दी कि 11 मई के फैसले के बाद उद्धव ठाकरे ग्रुप की ओर से कई बार स्पीकर को ज्ञापन दिए गए लेकिन स्पीकर ने कोई कार्रवाई नहीं की.मज़बूर होकर हमे सुप्रीम कोर्ट का रुख करना पड़ा. सुप्रीम कोर्ट में जब मामला 18 सितंबर को सुनवाई के लिए लगने वाला था, तब 14 सितंबर को स्पीकर ने मामला अपने पास सुनवाई पर लगाया. उस दिन भी स्पीकर ने यह कहते हुए कि याचिकाकर्ताओं की ओर से अतिरिक्त दस्तावेज जमा नहीं किये गए है, सुनवाई अनिश्चित काल के लिए टाल दी. सिब्बल ने स्पीकर के रवैये को तमाशा करार देते हुए कहा कि उनके इस रवैये के चलते एक गैरकानूनी सरकार सत्ता में बनी हुई है. ये गम्भीर मामला है और कोर्ट को स्पीकर के लिए निर्देश जारी करना चाहिए.

स्पीकर की ओर से SG की दलील

स्पीकर की ओर से पेश हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने सिब्बल की दलीलों को ये कहते हुए विरोध किया कि वो स्पीकर जैसी संवैधानिक संस्था का माखौल बना रहे है.स्पीकर की ओर से एसजी तुषार मेहता ने कहा कि  स्पीकर का पद अपने आप में एक सवैधानिक संस्था है. आप भले ही स्पीकर को पसंद न करे लेकिन किसी दूसरे संवैधानिक संस्था के सामने उसका इस तरह से माखौल नहीं उड़ाया जा सकता. SG तुषार मेहता ने कहा कि जिस तरह से याचिकाकर्ताओं की  तस्वीर पेश की जा रही है, वो तकलीफ देने वाली है. स्पीकर का कोई इरादा देरी करने का नहीं है. सवाल ये है कि क्या एक  संवैधानिक संस्था का इस तरह से माखौल बनाया जाएगा. क्या उन्हें हर दिन की कार्रवाई के बारे में कोर्ट को यूं अवगत कराना होगा?

स्पीकर यूं ही फैसला नहीं टाल सकते

इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि  स्पीकर दसवीं अनुसूची के तहत एक ट्रिब्यूनल की तरह है.उनके फैसलों की न्यायिक समीक्षा हो सकती है. स्पीकर भी सुप्रीम कोर्ट के 11 मई के आदेश से बंधे है, जिसमे कोर्ट ने अयोग्यता पर वाजिब वक़्त में फैसला लेने को कहा था. चार महीने गुजर चुके है. अभी तक स्पीकर की ओर से नोटिस ही जारी हुआ है. स्पीकर अपने फैसले को यूं नहीं टाल सकते.

कोर्ट का आदेश

कोर्ट ने अपने आदेश में दर्ज किया कि अदालत जहां एक और स्पीकर जैसे पद की गरिमा को कायम रखने के लिए संजीदा है, वही हम ये भी उम्मीद करते है कि अदालत के फैसलों को भी सम्मान दिया जाना चाहिए.इसके बाद कोर्ट ने स्पीकर को 1 हफ्ते के अंदर सुनवाई शुरु करने और फैसला लेने की समयसीमा तय करने का निर्देश दिया. स्पीकर के पास शिवसेना के दोनों गुट- उद्धव ठाकरे और शिंदे ग्रुप के कुल 56 विधायकों की अयोग्यता को लेकर 34 याचिकाएं पेंडिंग है.



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By attkley

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