Supreme Court on Same Sex Marriages: क्या पश्चिम के कुछ देशों की तरह भारत में भी गे, लेस्बियन, ट्रांसजेंडर जैसे समलैंगिकों की शादियों  को कानूनी मान्यता दी जा सकती है, इस मुद्दे पर आज ऐतिहासिक फैसला आने वाला है. चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ आज इस मुद्दे पर बड़ा फैसला सुनाएगी. सुप्रीम कोर्ट की इस संविधान पीठ में चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ के साथ जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस एस रविंद्र भट्ट, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पी एस नरसिम्हा शामिल है.

केंद्र सरकार ने किया था विरोध

इससे पहली हुई सुनवाइयों में सरकार ने याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा है कि ये मसला विधायिका के अधिकार क्षेत्र में आता है और कोर्ट को उसमें दखल नहीं देना चाहिए. सरकार का कहना है कि समलैंगिक शादियों (Same Sex Marriage) को मान्यता मिल जाने के बाद तलाक, संतान, गोद लेने और अलगाव की स्थिति में पत्नी और बच्चों के भरण पोषण की जिम्मेदारी से जुड़े तमाम कानूनों को लागू करने में दिक्कतें पेश आएंगी.

इन राज्यों ने भी जताई थी आपत्ति

केंद्र सरकार ने कहा था कि समलैंगिक विवाह (Same Sex Marriage) को कानूनी मान्यता देने का आग्रह वाली याचिकाओं सुप्रीम कोर्ट का फैसला दिया जाना सही तरीका नहीं हो सकता. इसकी वजह ये है कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) इस फैसले के परिणामों का अंदाज लगाने, उसकी परिकल्पना करने और उससे निपटने में सक्षम नहीं होगी. केंद्र ने कोर्ट को यह भी सूचित किया था कि उसे समलैंगिक विवाह के मुद्दे पर 7 राज्यों ने अपनी प्रतिक्रियाएं भेजी हैं. इनमें से असम, आंध्र प्रदेश और राजस्थान की सरकारों ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग का विरोध किया है. 

संविधान पीठ में 10 दिनों तक सुनवाई

बताते चलें कि समलैंगिक अधिकारवादियों (Same Sex Marriage) की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर 18 अप्रैल से सुनवाई शुरू की थी. लगातार 10 दिनों तक चली सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की संविधान पीठ ने 11 मई को अर्जी पर फैसला सुरक्षित रख लिया था. सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी की गई जानकारी के मुताबिक अदालत की ओर से आज फैसला सुनाए जाने के बाद उसे कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया जाएगा. संविधान पीठ के आने वाले फैसले पर पूरे देश की निगाहें लगी हुई हैं. 



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By attkley

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