Assembly elections 2023 News: सियासत का फलसफा इतना भर है कि फायदे वाली बात करते रहो. जब विपक्ष में हो तो आलोचना करो और जब सत्ता में हो तो खूबियां गिनाओ. दरअसल इसके पीछे का मकसद यह है कि भारत की राजनीति में राजनीतिक दलों ने इस सिद्धांत को बखूबी निभाया है. नवंबर के महीने में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. इनमें तीन राज्य हिंदी हॉर्टलैंड से आते हैं जिनमें मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान हैं, जबकि दो राज्य तेलंगाना और मिजोरम हैं. यहां हम बात करेंगे कि बीजेपी ने इन राज्यों के लिए सीएम चेहरे के नाम का ऐलान क्यों नहीं किया. क्या बीजेपी को लगता है कि राज्य स्तर के नेताओं में चुनाव से ठीक पहले गुटबाजी ना पनपे या पार्टी को लगता है कि नरेंद्र मोदी के रूप में वो शख्सियत है जिसके नाम पर मतदाताओं के बीच जाना चाहिए. लेकिन सबसे पहले राज्यों में किसकी सरकार है उस पर एक नजर

इन राज्यों में इनकी सरकार

  • तेलंगाना में बीआरएस की सरकार

  • राजस्थान में कांग्रेस की सरकार

  • छत्तीसगढ़ में कांग्रेस 

  • मध्य प्रदेश में बीजेपी

  • मिजोरम में एमएनएफ

इसका अर्थ यह है कि चार में से बीजेपी की सिर्फ एक ही राज्य मध्य प्रदेश में सरकार है. अब थोड़ा पीछे यानी 2018 के नतीजों को देखने की जरूरत है. 2018 में शिवराज सिंह की अगुवाई में बीजेपी की सीट संख्या बहुमत के करीब थी लेकिन जादुई आंकड़े के ना होने की वजह से सरकार नहीं बनी. कांग्रेस, सरकार बनाने में कामयाब रही. हालांकि कांग्रेस की अंदरुनी कलह का फायदा उठाते हुए शिवराज सिंह चौहान सरकार बनाने में कामयाब हो गए. वहीं छत्तीसगढ़ में रमन सिंह की तीन टर्म वाली सरकार को जनता ने पूरी तरह नकार दिया था. अगर बात राजस्थान की करें तो ट्रेंड को कायम रखते हुए जनता ने बीजेपी की विदाई कर दी. तेलंगाना में बीजेपी सांगठनिक तौर पर इतनी सशक्त नहीं थी कि वो फायदा उठा सके.

आखिर सीएम चेहरे के नाम का ऐलान क्यों नहीं

अब सवाल यह है कि बीजेपी ने सीएम चेहरे का ऐलान क्यों नहीं किया. इसके बारे में जानकारों की राय थोड़ी अलग है. कुछ जानकार कहते हैं कि पार्टी के आलाकमना को लगता है कि किसी एक के नाम के ऐलान का मतलब यह है कि पार्टी में गुटबाजी बढ़ेगी.लिहाजा नतीजों के आने तक बेहतर होगा कि नाम पर सस्पेंस बना रहे और सभी दिग्गजों को यह संदेश दे दिया जाए कि सीएम कौन होगा या नहीं होगा उससे कहीं अधिक जरूरी बात यह है कि आप सभी मिलजुल कर चुनाव लडें.

वहीं इससे इतर दूसरी राय यह है कि आमतौर पर होता है कि सरकार में बने रहने की वजह से मौजूदा सीएम के प्रति मतदाताओं में गुस्सा अधिक रहता है.लिहाजा उससे नुकसान हो सकता है. लोगों के कोपभाजन से बचने के लिए किसी विशेष नाम का जिक्र करना सही नहीं होगा, हालांकि इस संबंध में यूपी को अपवाद माना जा सकता है लेकिन अपवाद कभी नियम नहीं बनते.



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By attkley

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