मोहन भागवत
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हर साल की तरह इस बार भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के मुख्यालय वाले शहर नागपुर में मंगलवार को विजयदशमी के मौके पर दशहरा रैली का आयोजन किया। इस दौरान संघ के सदस्यों ने नागपुर में ‘पथ संचलन’ (रूट मार्च) भी किया। इसमें संघ प्रमुख मोहन भागवत भी शामिल रहे। इस दौरान सभा को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने पश्चिमी सोच रखने वाले लोगों पर तंज कसा। उन्होंने कहा कि इस समाज में कुछ लोग हैं जो स्वयं को बहुत जाग्रत लोग कहते हैं। लेकिन उनका दुनिया की किसी भी व्यवस्था, धर्म, संस्कृति में विश्वास नहीं है। हर स्थान पर वे आधुनिकता के नाम पर परंपरागत मान्य व्यवस्थाओं को ध्वस्त करने का प्रयास करते रहते हैं। 

समाज में भेदभाव और अलगाव पैदा करने का हो रहा प्रयास

अपने संबोधन में मोहन भागवत ने आगे कहा कि खुद को ‘सांस्कृतिक मार्क्सवादी’ कहने वाले ये लोग नहीं चाहते कि भारत अपने दम पर खड़ा हो। ये लोग समाज में भेदभाव और अलगाव पैदा करने का प्रयास करते हैं। वे 1920 के दशक से मार्क्स को भूल गए हैं। आरएसएस प्रमुख ने कहा कि ये लोग हर उस व्यक्ति का विरोध करते हैं, जो निस्वार्थ बुद्धि से काम कर रहे हैं चाहे वे संघी हों या कम्युनिस्ट। 

मार्क्स को भूल गए

वार्षिक आरएसएस विजयदशमी उत्सव को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख ने यह भी कहा कि आज के हालातों में अगर हम अपने मूल्यों पर खड़े होकर बदलाव लाते हैं, तो इससे दुनिया को रास्ता मिलेगा। अब हमने ऐसा करना शुरू कर दिया है, लेकिन दुनिया में और भारत में भी कुछ लोग हैं, जो नहीं चाहते कि भारत अपने दम पर खड़ा रहे। इसलिए वे समाज में भेदभाव पैदा करने की कोशिश करते हैं। वे हमेशा इस कोशिश में रहते हैं कि समाज की निर्मित सामूहिकता को कैसे तोड़ा जाए।  








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By attkley

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