राजकरण बरउ
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जीवन में कोई लक्ष्य असंभव नहीं है, जो हासिल नहीं किया जा सकता है। लक्ष्य को हासिल करने का मूलमंत्र धैर्य के साथ ईमानदारी से प्रयास करना है। यह कहना है राजकरण बरउ का, जिन्हें गणित विषय में एमएससी करने में 25 साल का समय लगा। चौकीदारी तथा बंगले में नौकरी करने के बाबजूद भी विगत 25 साल से एमएससी की परीक्षा में शामिल हो रहे थे।

किसी भी परीक्षा को पास करने के लिए लोग दो चार बार प्रयास करते हैं। सफलता नहीं मिलने पर वे प्रयास करने छोड़ देते हैं। गणित विषय में एमएससी करने के लिए उनके भागीरथी प्रयास को सफल होने में 25 साल का समय लगा। जो धैर्य के साथ प्रयास कर सफलता पाने की एक अलग कहानी है।

56 साल के हैं राजकरण

राजकरण की उम्र वर्तमान में 56 साल है और उन्होंने दो साल पहले गणित विषय में एमएससी पूरी की। एमए करने के बाद उन्होंने साल 1996 में स्कूलों में जाकर बच्चों का मनौवैज्ञानिक परीक्षण किया। इस दौरान कई स्कूलों के शिक्षकों ने उनकी गणित समझाने के तरीके की तारीफ की, जिसके बाद उनके मन में गणित विषय में एमएससी करने का विचार आया। एमए करने के बाद गणित विषय में एमएससी करने के लिए उन्होंने रानी दुर्गावती विश्व विद्यालय के रजिस्टार के समक्ष 1996 में आवेदन किया। गणित को ऐच्छिक विषय मानते हुए विश्व विद्यालय प्रशासन ने उन्हें अनुमति प्रदान कर दी।

पहली बार इस साल फेल हुए

एमएससी प्रथम वर्ष के लिए उन्होंने सबसे पहले 1997 में परीक्षा दी और वह पास नहीं हो पाए। वह विगत दस साल तक पांच में से सिर्फ एक विषय में ही पास होते थे। इसके बाद वह दो विषय में पास होने लगे। कोरोना काल के दौरान साल 2020 में उन्होंने एमएससी प्रथम वर्ष की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके बाद उन्होंने साल 2021 में एमएससी द्वितीय वर्ष की परीक्षा पूरी की। उन्होंने 25 साल के संघर्ष के बाद साल 2021 में गणित विषय में एमएससी की।

परिवार की स्थिति भी ठीक नहीं

उन्होंने बताया कि एमएससी पूरा करने के बावजूद भी वह अपनी खुशी का इजाहर लोगों से नहीं कर पाए। इसका मुख्य कारण यह था कि वह जिस बंगले में नौकरी करते थे, उस परिवार में सिर्फ एक दंत चिकित्सक था। उनके अन्य भाई ज्यादा पढ़े लिखे नहीं थे। घर की महिला अक्सर उन्हें ताना देती थी कि एक नौकरी में आर्थिक अभाव के बावजूद भी एमएससी कर ली। अर्थिक रूप से सक्षम होने के बावजूद भी तुम लोग पढ़ाई नहीं कर पाए।

उन्होंने बताया कि वर्तमान में वह रात के समय सिक्योरिटी गार्ड का काम करते हैं और पांच हजार रुपये मिलता है। इसके अलावा दिन के समय बंगले में काम करते हैं, जिसके एवज में उन्हें भोजन, रहना और 15 सौ रुपये मिलने हैं। आर्थिक अभाव के बावजूद भी उन्होंने एमएससी करने के लिए 25 साल तक प्रयास किए। इस दौरान उन्होंने परीक्षा शुल्क व किताबों के लिए दो लाख रुपये से अधिक व्यय किए।

राजकरण का मानना है कि जीवन की सबसे अधिक शिक्षा प्रयास है और उससे अच्छा सीख धैर्य है। असफल होने के बावजूद भी धैर्य के साथ प्रयास करते रहे और सफलता हासिल की। उन्होंने कहा कि बार-बार विफल होने के बावजूद भी मीडिया ने उनके प्रयासों की सराहा की थी, जो उनका मनोबल बढ़ाता है। एक अंग्रेजी अखबार ने आठ मार्च 2015 को डिग्री ऑफ पेशेंस नाम से एक स्टोरी छापी थी। उस समय तक उन्होंने 18 प्रयास किए थे, परंतु सफलता नहीं मिली थी।



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By attkley

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