लालू पसाद यादव-नीतीश कुमार
– फोटो : अमर उजाला

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यह कहानी दोस्ती-दुश्मनी-दोस्ती की है। पुराने साथी लालू प्रसाद यादव जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अलग हुए तो दुश्मनी में बहुत कुछ बोल गए। बोला भी तो नीतीश और उनके कॉलेज के दिनों के दोस्त उदयकांत मिश्रा के बारे में। वही उदयकांत जो सीएम नीतीश कुमार की अध्यक्षता वाले आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष हैं। जिन्होंने पिछले दिनों दोस्ती के बहाने नीतीश कुमार पर पूरी किताब लिख डाली थी। लालू ने 2017 में एक रैली के दौरान नीतीश-उदयकांत की दोस्ती पर कटाक्ष करते हुए सृजन घोटाले में संलिप्तता की बात कर दी। नीतीश ने तो छोड़ दिया, लेकिन उदयकांत ने मानहानि का केस कर दिया। यह केस पटना के एमपी-एमएलए कोर्ट में तब से चल ही रहा था। इस बीच जब नीतीश कुमार ने एनडीए के साथ जनादेश के बावजूद दोबारा महागठबंधन के साथ आकर सरकार बनाई तो लालू प्रसाद ने इस केस से निकलने का रास्ता चुना। शनिवार 2 दिसंबर को अंतत: समझौते के आधार पर केस से वह बरी हो गए।

जुलाई से बनने लगी बात, दिसंबर में मिला फलाफल

इसी साल तीन जुलाई को “नीतीश कुमार अंतरंग दोस्तों की नजर से” किताब का लोकार्पण हुआ था। उदयकांत मिश्रा की इस किताब में एक शख्स के मुन्ना बाबू, नेताजी, नीतीश जी से माननीय नीतीश कुमार बनने की कहानी है। साथ ही इस किताब में आजादी के बाद के बिहार की राजनीति का लेखा-जोखा भी है। किताब के लोकार्पण में राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव भी थे और उसी मंच पर लेखक उदयकांत मिश्रा और उनके दोस्त नीतीश कुमार भी। लोकार्पण के समय ही यह बात आई कि लेखक ने लालू के प्रति अच्छी दृष्टि नहीं रखी है और नीतीश के प्रति अति-आस्थावान दिखे। जुलाई की उस मुलाकात के बाद लालू-नीतीश का आना-जाना वैसे भी बढ़ गया। देशभर के भाजपा-विरोधी दलों को जुटाने के प्रयास में भी दोनों का मेलजोल बढ़ गया। अब उसका फलाफल इस केस में लालू के बरी होने के रूप में सामने आया है।



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By attkley

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