Lok Sabha Election 2024
– फोटो : Amar Ujala/Sonu Kumar
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प्रधानमंत्री मोदी ने भाजपा के मुख्यालय के मंच से जिन चार नई जातियों का जिक्र किया है, उसे लेकर अब सियासत में नए जातीय समीकरण तलाशे जाने लगे हैं। सियासी गलियारों में चर्चाएं इस बात की हो रही हैं कि बिहार में जातिगत जनगणना के आधार पर लिए गए बड़े फैसले और अखिलेश यादव के पीडीए जैसे फॉर्मूले पर बिसात बिछाने वाली लोकसभा की सियासत में मोदी की ये चार जातियां क्या बड़ा गुल खिलाएंगी। फिलहाल भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की “गरीब, युवा, महिला और किसान” जातियों को साधने के लिए व्यापक तैयारियां शुरू कर दी हैं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह से इन चार वर्गों को साधने की तैयारी की है, इससे न सिर्फ जातीयता के समीकरण सधेंगे, बल्कि इन वर्गों के लोगों को जोड़ने का यह बड़ा फॉर्मूला भी सेट किया गया है।
अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरीके की सियासी बिसात बिछानी शुरू की है, वह एक मास्टर स्ट्रोक के तौर पर राजनीतिक गलियारों में देखी जा रही है। दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते कुछ दिनों में गरीब, युवा, महिला और किसानों को एक बड़ी जाति के तौर पर संबोधित करना शुरू किया है। इन्हीं चार नए वर्गों को जाति के तौर पर संबोधित करके ही लोकसभा के चुनावों के लिए मोदी का बड़ा मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। दिल्ली विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र के प्रवक्ता प्रोफेसर अभिरंजन सहाय कहते हैं, मोदी का इन चार “गरीब युवा महिला और किसानों” का जिक्र करना एक तरह से उन सभी जातियों को साधने के जैसा है, जो अलग-अलग राजनीतिक दलों की सियासत का हिस्सा होते हैं। वह कहते हैं कि जब आप सिर्फ गरीब, युवा, महिला और किसान वर्ग की बात करते हो, तो उसमें जाति, बिरादरी और समुदाय सब पीछे और नीचे रह जाता है। इसमें वह सभी लोग शामिल हो जाते हैं, जो कि हर जाति बिरादरी से ताल्लुक रखते हैं। इसीलिए मोदी का इन चार वर्गों का जातियों के तौर पर जिक्र करना सियासत में मास्टर स्ट्रोक माना जा सकता है।
राजनीतिक विश्लेषक एस प्रभाकर कहते हैं कि भाजपा ने जिस तरीके से चार वर्गों को अपने नजरिए से आगे कर सियासत बढ़ाई है, वह राजनीति में एक तरह से बड़ा गेम चेंजर साबित हो सकती है। उनका कहना है कि जिन चार वर्गों का नाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जातियों के तौर पर उल्लेखित करते हुए कहा है, दरअसल उसमें सभी जातियां शामिल है। उनका कहना है कि दलितों से लेकर आदिवासियों और मुसलमानों से लेकर पिछड़ा समेत सवर्णों तक में युवा, महिला, गरीब और किसान होते हैं। ऐसे में पीएम नरेंद्र मोदी का इन चारों वर्गों को टारगेट करते हुए अपने भाषण में जिक्र करना सभी जातियों को शामिल करने वाला सियासी शॉट है। राजनीतिक विश्लेषक प्रभाकर का मानना है कि प्रधानमंत्री मोदी का इन वर्गों का जिक्र करना तब और महत्वपूर्ण हो जाता है, जब देश में जातिगत जनगणना की बात तेजी से आगे बढ़ रही हो। और तो और बिहार में जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी होने के बाद उसके आधार पर नया आरक्षण भी लागू कर दिया जाना, अन्य पार्टियों के लिए सियासी रूप से बड़ा चैलेंज देने जैसा है।