नीरज चोपड़ा
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एक समय वह था जब हम एथलेटिक्स, खासतौर पर जेवलिन थ्रो के लिए जर्मनी के मॉडल को अपनाते थे, लेकिन नीरज चोपड़ा की स्वर्णिम सफलताओं और विश्व चैंपियनशिप में भारत के तीन जेवलिन थ्रोअरों के फाइनल में पहुंचने ने जर्मनी और यूरोप को हतप्रभ कर दिया है। विश्व में भाला फेंक के पॉवरहाउस रहे जर्मनी और फिनलैंड ने भारतीय एथलेटिक महासंघ की ओर से नियुक्त किए गए नीरज के कोच जर्मनी के क्लॉस बार्तोनिएट्ज को भारतीय सफलता पर प्रस्तुतिकरण देने के लिए बुलाया। क्लॉस ने महासंघ की मंजूरी के बाद प्रस्तुतिकरण दिया और एथलेटिक्स के अलावा भाला फेंक में भारत की सफलता के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रुचि को भी एक बड़ा कारण बताया।

विश्व जेवलिन कॉन्फ्रेंस में भी नीरज पर चर्चा

नीरज के ओलंपिक के बाद बुडापेस्ट में विश्व चैंपियन बनने पर जर्मनी और फिनलैंड जैसे देशों में कॉन्फ्रेंस और सेमिनार कराए जा रहे हैं। जर्मन ट्रैक एंड फील्ड फेडरेशन के थ्रोअर्स ग्रुप ने नीरज के कोच क्लॉस को न सिर्फ आमंत्रित किया बल्कि भारतीयों का ट्रैक एंड फील्ड आगे बढ़ रहा है, विषय पर प्रस्तुति देने को कहा। यही नहीं बीते माह फिनलैंड के कुओर्ताने में आयोजित विश्व जेवलिन कॉन्फ्रेंस में भी इसी विषय पर प्रस्तुति देने के लिए क्लॉस को आमंत्रित किया गया। क्लॉस ने एएफआई की मंजूरी के बाद यहां प्रस्तुतिकरण दिया।

कैसे कर रहे हैं भारतीय जेवलिन थ्रोअर तैयारी

जोनास वेट्टर, जूलियन वेबर जैसे जेवलिन थ्रोअर रखने वाले जर्मनी के थ्रोअर्स ग्रुप ने अपने मुख्य टे्रनिंग सेंटर कीनबॉम में क्लॉस को बुलाया। ग्रुप यह जानना चाहता था नीरज और अन्य जेवलिन थ्रोअरों को भारत में कैसे तैयारी कराई जा रही है। कहां शिविर लग रहे हैं, तैयारी का तरीका क्या है, तकनीकि क्या अपनाई जा रही है। ये सब तब है जब नीरज और जर्मनी के थ्रोअर एक साथ पोचेफ्स्ट्रूम (द. अफ्रीका) और तुर्किए में एक साथ तैयारी करते रहे हैं।

पीएम की रुचि भारत और जर्मनी में बड़ा अंतर

क्लॉस ने देश में विभिन्न आयु वर्गों में जेवलिन थ्रो की इवेंट, शिलारू से लेकर एनआईएस पटियाला की सुविधाओं, साई और एएफआई की ओर से लगाए जा रहे तैयारी शिविर के बारे में तो बताया ही साथ में यह भी बताया कि भारतीयों की सफलता में पीएम मोदी की ओर से निजी तौर पर खेलों में ली जा रही रुचि का बड़ा योगदान है। क्लॉस ने बताया कि पीएम जीतने वाले ही नहीं बल्कि हारने वाले खिलाडिय़ों से मुलाकात कर उनका हौसला बढ़ाते हैं, जो कि जर्मनी और भारत की प्रणाली एक बड़ा अंतर है। भारतीय एथलेटिक महासंघ के अध्यक्ष आदिल सुमारीवाला और तकनीकि निदेशक डॉ. ललित भनोट ने अमृतसर में हुई आमसभा में जेवलिन में भारत की सफलता पर हो रही इस प्रतिक्रिया के बारे में बताया।



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By attkley

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