पीएम मोदी कैबिनेट (फाइल)
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केंद्रीय कैबिनेट ने भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के बीच हुए अंतर-सरकारी फ्रेमवर्क समझौते (आईजीएफए) को भी बुधवार को मंजूरी दी है। दोनों देशों के बीच 13 फरवरी को समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे, जो भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारे (आईएमईसी) को सशक्त बनाने और इसके संचालन के लिए सहयोग पर केंद्रित है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में आईजीएफए को मंजूरी दी गई। आईजीएफए का उद्देश्य द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाना एवं बंदरगाहों, समुद्री तथा लॉजिस्टिक क्षेत्र में दोनों देशों के बीच संबंधों को और मजबूत बनाना है। इस समझौते के दायरे में आईएमईसी के विकास के संबंध में भविष्य में संयुक्त निवेश और सहयोग की संभावनाओं का पता लगाने में पारस्परिक सहयोग शामिल है।

आईएमईसी भारत को पश्चिम एशिया और यूरोप से जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण व्यापार मार्ग है। इसमें आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और विभिन्न क्षेत्रों में वस्तुओं और सेवाओं की आवाजाही को सुविधाजनक बनाने की अपार संभावनाएं हैं। इसका लक्ष्य दोनों देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देकर इस क्षमता का दोहन करना है। यह समझौता पारस्परिक सहयोग की एक व्यापक रुपरेखा पेश करता है।

ई-परिवहन के लिए 500 करोड़ की नई योजना

देश में ई-परिवहन को बढ़ावा देने के लिए भारी उद्योग मंत्रालय ने बुधवार को 500 करोड़ की नई योजना की घोषणा की। अप्रैल से जुलाई तक यानी चार महीने की यह योजना ई-दोपहिया और ई-तिपहिया वाहनों के लिए है। भारी उद्योग मंत्री महेंद्र नाथ पांडे ने कहा, योजना के तहत हर ई-दोपहिया वाहन खरीद पर 10,000 रुपये तक मदद दी जाएगी। इसका मकसद करीब 3.3 लाख दोपहिया वाहनों को मदद देना है। छोटे ई-तिपहिया वाहन (ई-रिक्शा व ई-कार्ट) खरीदने के लिए 25,000 रुपये तक की मदद दी जाएगी। बड़े ई-तिपहिया वाहन खरीदने पर 50,000 रुपये की वित्तीय मदद दी जाएगी।  






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By attkley

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