एक वक्त था… जब पूर्वांचल में ही नहीं, पूरे उत्तर प्रदेश में मुख्तार अंसारी का सिक्का चलता था… एक वक्त था…जब राजनीति में मुख्तार अंसारी की तूती बोलती थी… पूर्वांचल का कोई भी ऐसा सरकारी ठेका नहीं था, जो उसकी मंजूरी के बगैर किसी और को मिल जाए

एक वक्त था… जब प्रत्याशियों के टिकट भी मुख्तार अंसारी की मर्जी से तय होते थे… वो कई सीटों पर न सिर्फ उम्मीदवार तय करता था, बल्कि चुनाव हराने और जिताने में भी अहम भूमिका निभाता था… मुख्तार के सियासी कद का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है, कि वो खुद विधायक बनने के साथ ही, कई दलों के लिए भी चुनाव जिताने का जरिया बना रहा… मुख्तार अंसारी वक्त और सियासी हवा का रुख भांपकर दल बदल लेता था…

एक वक्त था… जब योगी आदित्यनाथ पर हमले में भी मुख्तार का नाम आया था.. यही नहीं माफिया मुख्तार पर AK-47 से BJP विधायक पर सैकड़ों राउंड गोलियां चलवाने के आरोप भी लग चुके हैं…

सियासी हवा बदली…
लेकिन वक्त हमेशा एक जैसा कहां रहता है.. सियासी हवा बदली… और उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार आ गई… और यहीं से माफिया डॉन मुख्तार अंसारी का बुरा वक्त शुरू हो गया.. यूपी में अपराध के खिलाफ ZERO TOLERANCE की नीति के तहत योगी सरकार ने अपराधियों पर कड़ा एक्शन शुरू किया… और एक-एक माफिया डॉन कानून के शिकंजे में आने लगे…. किसी जमाने में जो बाहुबली हुआ करते थे, वो योगी राज में या तो भीगी बिल्ली बन गये, या ढेर कर दिए गये… और जो बचे वो डर के मारे दुनिया छोड़ गये।

एक या दो बार नहीं, 16 बार धोखा
मुख़्तार अंसारी भले ही 2005 से जेल में रहा हो… लेकिन उसका रुतबा और दबदबा कभी कम नहीं हुआ.. जेल में रहकर भी वो अपने अवैध साम्राज्य को चलाता था… और 3 बार विधायक भी बना. मुख्तार अंसारी इतना शातिर था कि मौत को भी एक या दो बार नहीं, 16 बार धोखा देने में सफल हो गया था… मुख्तार को खुली गाड़ी में घूमने का शौक था… एक वक्त था, जब 786 नंबर वाली खुली जीप पर सवार मुख्तार जिस सड़क से गुजरता था, लोग रास्ता बदल लेते थे…

माफिया के काफिले में ड्राइवर भी ऐसे होते थे, जो दूर से ही दुश्मन को पहचान लेते थे… मुख्तार अंसारी जुर्म का ऐसा चेहरा था…जो राजनीतिक चोला पहनकर कानून की आखों में कई सालों तक धूल झोंकता रहा….पूर्वांचल में उसके खौफ का ऐसा दबदबा था कि कोई उसके खिलाफ गवाही देने की हिम्मत तक नहीं जुटा पाता था… जब तक सरकारें उसका साथ देती थीं, तब तक उसका राज चलता रहा, लेकिन जैसे ही सरकार ने नजरें फेरी तो उसके बुरे दिन शुरू हो गए…

– वर्ष 2017 में यूपी में योगी सरकार आने के बाद यूपी की जेलों में उसका रुतबा कम होने लगा था. जिसके बाद उसकी कई संपत्तियों पर बुलडोजर चले और मुख्तार के मुकदमों की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में शुरू हुई.
– 6 अप्रैल 2021 को मुख्तार अंसारी को रोपड़ जेल से कड़ी सुरक्षा में बांदा लाया गया.
– बांदा जेल में आने के बाद उसके बुरे दिन शुरू हुए, और यहां उसे तन्हाई बैरक में रखा गया, इसके बाद कानूनी फंदा कसता चला गया.
– डेढ़ साल के भीतर आठ बार उसे अलग-अलग अदालतों में सजा सुनाई गई… इसमें 2 बार आजीवन कारावास की सजा भी दी गई.

आदमी कितना भी बड़ा हो, कितना भी शक्तिशाली हो, लेकिन जब मौत का डर सताता है, तो ना पावर काम आती है और ना पैसा. मुख्तार के साथ भी ऐसा ही हुआ. उसके पास पावर थी, पैसा था, रूतबा था, जब तक उसे सरकारों का सपोर्ट मिलता रहा वो जेल के अंदर से भी अपनी सरकार चलाता रहा, लेकिन योगी राज के आते ही मुख्तार को मौत का डर सताने लगा…योगी सरकार में उसके साम्राज्य को ढहाने का सिलसिला शुरू हुआ

– पिछले 6 वर्षों में मुख्तार गैंग की 573 करोड़ की संपत्ति जब्त की गई.
– योगी राज में मुख्तार का 200 करोड़ रूपये से ज्यादा का अवैध कारोबार ध्वस्त कर दिया गया.
– 1 नवंबर 2020 को गाजीपुर में मुख्तार की बीवी और बच्चों के होटल पर बुल्डोजर चला.
– 11 नवंबर 2020 को मुख्तार की पत्नी की 22 करोड़ की प्रॉपर्टी सीज हुई.
– 9 जून 2021 को बेटे अब्बास और उमर की जमीन को प्रशासन ने जब्त कर लिया था.
– 28 अक्टूबर 2022 को मुख्तार के भाई अफजाल की 12.5 करोड़ की संपत्ति की कुर्की हुई थी.
– 5 मार्च 2023 को मुहम्मदाबाद में अंसारी परिवार के कॉलेज पर बुल्डोजर चला था.

22 सितंबर 2022, इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने मुख्तार को जेलर एसके अवस्थी को जान से मारने की धमकी देने के मामले में दो साल जेल की सज़ा सुनाई थी.
– 15 दिसंबर, 2022 – गैंगस्टर ऐक्ट के एक केस में 10 साल जेल की सज़ा सुनाई गई.
– 29 अप्रैल, 2023 – 18 साल पहले तत्कालीन बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या से संबंधित एक केस में 10 साल जेल की सज़ा हुई.
– 30 अप्रैल, 2023 – एक दिन बाद ही यूपी की एक अदालत ने गैंगस्टर के मामले में 10 साल की सज़ा सुनाई…. इस मामले में कृष्णानंद राय हत्याकांड के साथ-साथ कोयला व्यापारी नंदकिशोर रूंगटा को अगवा करने और हत्या करने के आरोप भी थे.
– 5 जून, 2023 – अवधेश राय हत्याकांड में वाराणसी की MP MLA कोर्ट ने 33 साल बाद माफिया मुख्तार अंसारी को उम्रकैद की सज़ा सुनाई थी.
– 27 अक्टूबर, 2023 – अध्यापक कपिल देव सिंह की हत्या में 10 साल की सज़ा सुनाई गई थी.
– 15 दिसंबर, 2023 – 26 वर्ष पहले वाराणसी में एक कारोबारी को जानलेवा धमकी के आरोप में मुख्तार को साढ़े 5 साल जेल की सजा हुई.
– 13 मार्च, 2023 – वर्ष1990 में ग़ाज़ीपुर के मुहम्मदाबाद थाने में मुख्तार अंसारी, तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर समेत पांच नामजद और अन्य अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ एक मुक़दमा दर्ज कराया गया था… 34 वर्ष बाद मुख्तार को इस मामले में उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई गई थी.

योगी सरकार आने से पहले तक..
यानी यूपी में योगी सरकार आने से पहले तक जिस मुख्तार अंसारी का सिक्का चलता था..योगी सरकार आने के बाद उस मुख्तार अंसारी की सारी अकड़ निकल गई थी..यही बात यूपी की सत्ता में रहते हुए मुख्तार अंसारी को राजनीतिक संरक्षण देने वाली पार्टियों को हजम नहीं हो रही है. अपराध और राजनीति में मुख्तार अंसारी परिवार का दबदबा रहा है… मुख्तार की पत्नी से लेकर बेटों तक पर गंभीर आरोप लगे हैं… भले ही मुख़्तार अंसारी, उसकी पत्नी, दोनों बेटों और बहू पर दर्जनों केस दर्ज हों, लेकिन मुख्तार का जन्म, बड़े ही सम्मानित और समृद्ध परिवार में हुआ था… उत्तर प्रदेश में उसके परिवार का काफी नाम और रुतबा था…

मफिया मुख़्तार अंसारी जिस परिवार से तालुक रखता था, उसमें स्वतंत्रता सेनानी, वामपंथी नेता, महावीर चक्र से सम्मानित शहीद आर्मी ऑफिसर, राज्यपाल, हाईकोर्ट जज, विधायक, सांसद और पूर्व उपराष्ट्रपति सभी शामिल हैं. मुख्तार अंसारी के दादा, डॉक्टर मुख्तार अहमद अंसारी जाने-माने स्वतंत्रता सेनानी थे… वे 1926 से 1927 तक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और फिर मुस्लिम लीग के भी अध्यक्ष रहे… डॉ. अंसारी गांधीवादी विचारधारा से काफी प्रभावित थे, और महात्मा गांधी के भी काफी करीबी थे…

डॉ. मुख्तार अहमद अंसारी के बेटे सुब्हानउल्लाह अंसारी देश के बड़े वामपंथी नेता थे… सुब्हानउल्लाह ने बेगम राबिया के साथ शादी की और उनके 3 बेटे हुए. सिबकतुल्लाह अंसारी, अफजाल अंसारी और मुख्तार अंसारी… इन तीनों का ही पूर्वांचल की राजनीति में ख़ासा दबदबा रहा. मुख्तार अंसारी के बड़े भाई सिबकतुल्लाह 2 बार विधायक रह चुके हैं… एक बार समाजवादी पार्टी के टिकट पर और एक बार कौमी एकता दल के टिकट पर सिबकतुल्लाह ने मोहम्मदाबाद विधान सभा सीट से चुनाव जीता था. सिब्कतुल्लाह का बेटा सुहेब उर्फ मन्नु अंसारी समाजवादी पार्टी से मोहम्मदाबाद के विधायक हैं

मुख्तार अंसारी के दूसरे भाई अफजाल भी 5 बार विधायक और 2 बार सांसद रह चुके हैं… अफजाल ने पहली बार वर्ष 1985 में कम्युनिष्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया के टिकट पर मुहम्मदाबाद से विधानसभा चुनाव जीता, इसके बाद वर्ष उन्नीस सौ नवासी, 1991, 1993, और 1996 में लगातार मुहम्मदाबाद सीट से विधायक चुने गये… वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में अफजाल अंसारी सपा से पहली बार सांसद बने… हालांकि वर्ष 2009, 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा… लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में अफजाल अंसारी ने बसपा के टिकट पर चुनाव जीता और सांसद बने… 2024 के लोक सभा चुनाव में भी सपा ने उन्हें ग़ाज़ीपुर सीट से अपना प्रत्याशी घोषित किया है…

मुख्तार अंसारी के नाना बिग्रेडियर उस्मान आर्मी में थे… जब भारत आज़ाद हुआ उस समय इंडियन आर्मी में सिर्फ 18 ब्रिगेडियर्स थे, और उस्मान का नाम भी उनमें शामिल था… कहा जाता है कि मुहम्मद अली जिन्नाह ने खुद बिग्रेडियर उस्मान को Pakistan Army Join करने के लिए कहा था… और उन्हें जल्द ही पाकिस्तान Army का Chief of Army Staff नियुक्त करने का वायदा भी किया था… लेकिन इन सब के बावजूद बिग्रेडियर उस्मान ने Indian Army को ही चुना… बिग्रेडियर उस्मान ने 1947 की भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारत को नवशेरा में शानदार विजय दिलाई थी… वो इस युद्ध में लड़ते हुए शहीद हो गए थे, और उनकी शहादत के बाद ही उन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था… अपनी बहादुरी के लिए बिग्रेडियर उस्मान को ‘Lion of Naushera’ के नाम से भी याद किया जाता है.

मुख्तार अंसारी के दूर के रिश्तेदारों की बात करें तो, ओडिशा के पूर्व राज्यपाल Dr. Shaukat-Ullah Shah Ansari और भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी भी उनके दूर के रिश्तेदार हैं….

वर्ष 2021 में जब मुख्तार अंसारी ने खुद को पंजाब जेल से उत्तर प्रदेश की जेल में शिफ्ट करने का विरोध किया… तब सुप्रीम कोर्ट में एक affidavit देकर कहा था कि, मैं ऐसे परिवार का हिस्सा हूं, जिसने देश की स्वतंत्रता आंदोलन में बड़ा योगदान दिया था, देश के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी मेरे परिवार से हैं… ओडिशा के गवर्नर रहे शौकतुल्लाह अंसारी, जस्टिस आसिफ अंसारी भी परिवार के ही सदस्य हैं… मेरे अपने पिता सुब्हानुल्लाह अंसारी भी आंदोलनकारी और सामाजिक कार्यकर्ता रहे हैं… मुझे उत्तर प्रदेश की मौजूदा सरकार से एनकाउंटर का खतरा है, इसलिय मुझे उत्तर प्रदेश ना भेजा जाये.

मुख्तार अंसारी के बेटे का भी राजनीति और अपराध से गहरा रिश्ता रहा है… बड़ा बेटा अब्बास अंसारी 2022 के विधानसभा चुनाव में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के टिकट पर मऊ सीट से विधायक चुना गया…. हलांकि मनीलॉन्ड्रिंग और गैंगस्टर एक्ट के मामले में अब्बास अभी जेल में बंद है… अब्बास अंसारी निशानेबाजी में 3 बार का राष्ट्रीय चैंपियन भी रह चुका है… और कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भारतीय टीम के साथ खेल चुका है…

इसमें कोई शक नहीं कि मुख्तार एक प्रतिष्ठित परिवार से ताल्लुक रखता है, लेकिन बावजूद इसके उसने अपराध का रास्ता चुना… नतीजा ये हुआ कि इतने साल जेल में रहने के बाद उसकी इस तरह मौत हो गई

उत्तर प्रदेश के माफिया डॉन मुख्तार अंसारी की जेल में हार्ट अटैक से मौत हुई… लेकिन मुख्तार अंसारी यूपी का पहला माफिया या गैंगस्टर नहीं है, जिसकी जेल में मौत हुई है… इससे पहले भी कई माफिया और गैंगस्टर्स की जेल में मौत हो चुकी है…

बागपत जेल में चाहे मुन्ना बजरंगी की हत्या हो… या फिर जेल में ही बीमारी की वजह से मुनीर की मौत… मथुरा जेल में गैंगवार में मारा गया गैंगस्टर राजेश टोटा हो, या फिर तिहाड़ जेल में दम तोड़ देने वाले बिहार के बाहबुली शहाबुद्दीन….ऐसे गैंगस्टर्स और अपराधियों की लंबी फेहरिस्त है, जिन्होंने जेल में रहने के दौरान ही दुनिया छोड़ दी…

– जुलाई 2018 में गैंगस्टर मुन्ना बजरंगी की बागपत जेल में ही हत्या कर दी गई थी… उसकी हत्या पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गैंगस्टर सुनील राठी ने की थी….
– 14 मई 2021 को मुख्तार अंसारी के करीबी मेराज, माफिया मुकीम काला और अंशू दीक्षित की चित्रकूट जेल में गैंगवार के दौरान मौत हो गई थी….
– पश्चिमी यूपी के चर्चित गैंगस्टर जीवा की पिछले साल लखनऊ में उस वक्त गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जब वो पेशी के लिए कोर्ट लाया गया था… बीजेपी नेता ब्रह्म दत्त द्विवेदी की हत्या मामले में जीवा आरोपी था.

– जीवा की मौत के बाद मुख्तार अंसारी बेहद डरा-सहमा रहने लगा था. इसके बाद उसे कड़ी सुरक्षा के बीच पंजाब से यूपी की जेल लाया गया था. बांदा जेल में बंद रहने के दौरान भी मुख्तार अंसारी ने कोर्ट में अपनी जान को खतरा बताया था और कहा था कि उसे जेल में धीमा जहर दिया जा रहा है.
-इसी तरह साल 2015 में मथुरा की जेल में बंद गैगस्टर रोजेश टोटा की गैंगवार में हत्या कर दी गई थी. … यूपी के प्रयागराज में बीते साल 15 अप्रैल को माफिया डॉन अतीक अहमद और उसके भाई की उस वक्त गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जब वो मेडिकल जांच के लिए जा रहे थे…

-प्रयागराज के अस्पताल परिसर में ही दोनों को गोलियों से छलनी कर दिया गया था…. उमेश पाल हत्याकांड के मामले में पुलिस दोनों को जेल से ही रिमांड पर लेकर आई थी….

-इसी तरह बिहार के सीवान से पूर्व सांसद और बाहुबली शहाबुद्दीन की भी जेल में रहने के दौरान ही मौत हो गई थी…
-साल 2021 में उन्हें तिहाड़ जेल में कोरोना हो गया था, जिसके बाद शहाबुद्दीन को दिल्ली के दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में भर्ती कराया गया… वहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई …

और अब इसी फेहरिस्त में मुख्तार अंसारी का नाम भी शामिल हो गया है…एक जमाने में जिस डॉन के नाम से पूरा पूर्वांचल कांपता था… जिसकी सियासी पकड़ सत्ता के बड़े बड़े नेताओं से थी… जिसके नाम से ही लोग खौफ खाते थे, वो माफिया डॉन डर डर कर मर गया.



Source link

By attkley

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *