North Delhi : देश का सबसे बड़ा चुनावी सीजन शुरू हो गया है, लेकिन उत्तरी दिल्ली के प्रमुख थोक बाजार- सदर बाजार के व्यापारियों का कहना है कि अब-तक चुनाव प्रचार सामान की मांग काफी कम है. हालांकि, उन्हें उम्मीद है, कि आने वाले हफ्तों में चुनावी प्रचार सामान की मांग रफ्तार पकड़ेगी. 
नारे लिखी टी-शर्ट से लेकर झंडे, स्कार्फ और पार्टी के प्रतीकों और शीर्ष नेताओं की छवियों वाले रिस्टबैंड सभी प्रकार की चुनावी सामग्री बेचने के लिए जाना जाने वाला यह बाजार धुंधली छाया की तरह हो गया है, जो लोकतंत्र के सबसे बड़े पर्व चुनाव के दौरान खरीदारों से भरा रहता था. 

 

किसी भी पार्टी की ओर से कोई मांग नहीं

जेन एंटरप्राइजेज के मोहम्मद फाजिल ने कहा कि वह चार दशक से चुनाव से जुड़ी वस्तुओं के कारोबार में हैं, लेकिन इस बार बिक्री सबसे कम है. खरीद की कमी की वजह से उनके पास लगभग 50 लाख रुपये का चुनावी प्रचार सामान पड़ा हुआ है. फाजिल ने कहा, इस बार किसी भी पार्टी की ओर से कोई मांग नहीं है. ऐसा लगता है, कि कांग्रेस को धन की कमी का सामना करना पड़ रहा है, आप के अरविंद केजरीवाल सलाखों के पीछे हैं और भाजपा, एकमात्र पार्टी जिसकी ओर से कुछ मांग है और वह खुद ही अपने उम्मीदवारों को प्रचार सामग्री उपलब्ध करा रही है.

 

यह उनका सातवां लोकसभा चुनाव है जिसमें चुनावी सामान बेचा जा रहा है, लेकिन 62 वर्षीय इस कारोबारी का कहना है कि वह अगले साल एक अलग व्यवसाय में स्थानांतरित होने की योजना बना रहे हैं. फाजिल के पिंट-आकार के स्टोर से कुछ ही दूरी पर एक बड़े AC शोरूम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दो आदमकद कार्डबोर्ड कटआउट के बगल में अनिल भाई राखीवाला के मालिक सौरभ गुप्ता बैठे हैं.

 

पहले चरण का चुनाव 19 अप्रैल को होगा

गुप्ता का कहना है कि इस बार बिक्री की ‘‘धीमी गति’’ दो महीने की लंबी चुनाव अवधि के कारण हो सकती है. लोकसभा चुनाव सात चरणों में होंगे, पहले चरण का चुनाव 19 अप्रैल और अंतिम चरण का चुनाव एक जून को होगा.

गुप्ता ने कहा, इस बार चुनाव का समय लंबा है, इसलिए मांग थोड़ी धीमी है. अब, पहला चरण नजदीक आ रहा है, इसलिए मुझे लगता है कि मांग बढ़ेगी. गुप्ता, जिनका परिवार 1980 के दशक से चुनावी सामान के कारोबार में है, ने कहा, ऐसा कहा जा सकता है कि अबतक मांग पिछले लोकसभा चुनावों या अन्य चुनावों की तुलना में वास्तव में धीमी रही है.

 

अब की बार 400 पार

गुप्ता कहते हैं, अब की बार 400 पार के नारे वाली बीजेपी की शर्ट और टोपियां सबसे ज्यादा मांग में हैं, कांग्रेस के झंडे दूसरे नंबर पर हैं और ‘आप’ का माल, खासकर केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद, कहीं नहीं है. उन्होंने कहा, ‘‘उन वस्तुओं की मांग अधिक है जिन पर प्रधानमंत्री का चेहरा हो. जैसे, भाजपा के लिए हर सामान पर मोदी का चेहरा होना चाहिए. कांग्रेस के लिए, कुछ लोग राहुल गांधी की तस्वीर की मांग करते हैं और कुछ केवल पार्टी का प्रतीक लेते हैं.

बैज और झंडों की कीमत, पारंपरिक रूप से चुनावी मौसम के दौरान सबसे अधिक बिकने वाली वस्तुएं, गुणवत्ता और आकार के आधार पर 1.50 रुपये से 50 रुपये और यहां तक कि 100 रुपये तक होती हैं. ज्यादातर प्रचार सामग्री मुंबई के साथ-साथ गुजरात के सूरत और अहमदाबाद से मंगाई जाती है. जबकि कुछ लोग चुनावी सामान की कम मांग के लिए फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया मंचों पर ध्यान केंद्रित करने वाले चुनाव अभियान के डिजिटलीकरण को जिम्मेदार मानते हैं.

 

कम बिक्री के पीछे क्या कारण है

 

वहीं अन्य लोगों का मानना है, कि कम बिक्री के पीछे का कारण, विपक्षी दलों द्वारा चुनाव प्रचार में ‘फंड की कमी’ है. गुप्ता ने कहा, भाजपा ने समय पर अभियान शुरू किया, लेकिन कांग्रेस में, धन की समस्या या किसी अन्य कारण से अभियान थोड़ा देर से शुरू हुआ, उन्हें बहुत समय लगा.

चुनावी माल बिक्री के पुराने कारोबारी जीवी ट्रेडर्स के हरप्रीत सिंह का कहना है, कि उन्हें पहले से ही ‘‘खराब प्रदर्शन’’ का अनुमान था और उन्होंने इस लोकसभा चुनाव में कारोबार से दूर रहने का फैसला किया. उन्होंने कहा, ‘‘पांच साल पहले, वर्ष 2019 में, यह हमारे लिए एक तरह का त्योहार था, हम अतिरिक्त पैसे कमा सकते थे, लेकिन इस बार मैंने अपने साथी दोस्तों और दुकानदारों से भी बात की, वे सभी बहुत निराश हैं, और यह केवल दिल्ली में ही नहीं है बल्कि पूरे भारत में है, उन्होंने कहा, ‘‘इस बार किसी प्रचार सामग्री, झंडों की बिल्कुल भी मांग नहीं है.



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By attkley

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