दस बजे इस तरह शांत दिखीं रामपथ की सड़कें।
– फोटो : अमर उजाला

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रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद मनाए गए पहले रामजन्मोत्सव में अयोध्यावासियों को श्रद्धालुओं की कमी अखरी। हालांकि प्रशासन 15 लाख श्रद्धालुओं के आने का दावा कर रहा है। इसके विपरीत अयोध्यावासियों का कहना है कि पिछले कई वर्षों की तुलना में इस बार भीड़ बहुत कम रही। अयोध्यावासियों के इस दावे की पुष्टि यहां की सड़कें करती रहीं। सुबह नौ बजे हमेशा गुलजार रहने वाले रामपथ पर साकेत कॉलेज के सामने सन्नाटा पसरा था। राममंदिर के मुख्य गेट के पास बने 11 नंबर गेट के सामने भी लगभग यही स्थिति थी।

रामजन्मभूमि पथ पर दर्शन के लिए सात कतारें बनाई गईं थीं, जिनमें से पांच कतारें बिल्कुल खाली रहीं। श्रद्धालु सुगमता पूर्वक दर्शन कर रहे थे। रामजन्मोत्सव के दिन अयोध्या के मुख्य मार्ग से लेकर गलियों तक में भक्तों की भारी भीड़ होती थी, लेकिन इस बार भीड़ का दायरा केवल श्रीराम अस्पताल से लेकर नयाघाट के बीच ही रहा। गलियों में श्रद्धालुओं की संख्या नाम मात्र की रही। गली-मोहल्लों में जिन दुकानदारों ने दुकानें लगा रखीं थीं, वे बिक्री न होने से निराश हुए।

ये रही वजह

व्यापारी नेता नंद कुमार गुप्ता ने कहा कि जरूरत से ज्यादा सख्ती, दूर-दूर तक डायवर्जन, सड़कें खाली होने के बावजूद बिना वजह की रोकटोक, सुविधाओं की कमी भी श्रद्धालुओं के कम आने का कारण रहीं। ट्रस्ट की ओर से भी लगातार श्रद्धालुओं से रामनवमी अपने घर पर मनाने की अपील की जाती रही, इससे भी संख्या कम हुई। आखिरकार श्रद्धालुओं ने घर पर ही रामनवमी मना ली।

रामजन्मोत्सव की पूर्व संध्या पर मंगलवार को अयोध्या में एक लाख से भी कम श्रद्धालु रहे। बावजूद इसके चौक-चौराहों से लेकर गलियों तक में बैरीकेडिंग कर दी गई थी। सीमाओं से प्रवेश बिल्कुल नहीं मिल रहा था। व्यापारी विजय यादव ने कहा कि व्यापार बिल्कुल फीका रहा, क्योंकि जिस तरह से उम्मीद थी, वह भीड़ नहीं पहुंची। 



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By attkley

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