अंग प्रत्यारोपण (सांकेतिक)
– फोटो : एएनआई

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भारत आकर अंग प्रत्यारोपण कराने वाले सभी विदेशी मरीजों की जांच होगी। स्वास्थ्य महानिदेशालय ने राज्यों को दिए आदेश में कहा है कि थोटा अधिनियम 1994 के तहत जिम्मेदार एजेंसियों के जरिये उन सभी अस्पतालों में विदेशियों के प्रत्यारोपण की जांच कराई जाए, जिन्होंने भारत आकर अंगदान या फिर प्रत्यारोपण कराया है। आदेश के मुताबिक, अंग प्रत्यारोपण के 48 घंटे के भीतर दाता और अंग लेने वाले दोनों की आईडी केंद्रीय एजेंसी के साथ साझा करनी होगी। अभी तक यह प्रक्रिया मृत दाता से प्राप्त अंगों के मामले में चल रही है, लेकिन अब इसे जीवित अंगदाता के मामले में भी अनिवार्य किया है।

विकसित करनी होगी प्रणाली

स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. अतुल गोयल ने आदेश में साफ तौर पर कहा है कि प्रत्येक राज्य को अपने अस्पतालों में होने वाले अंग प्रत्यारोपण की जानकारी हर माह दिल्ली भेजनी होगी, ताकि सरकार प्रत्येक प्रत्यारोपण की समीक्षा कर सके। उन्होंने प्रत्यारोपण करने वाले अस्पतालों की नियमित निगरानी के लिए एक प्रणाली विकसित करने का आदेश भी दिया है, जिसके जानकारी महानिदेशालय को भी देना जरूरी होगा।

15 दिन में देनी होगी रिपोर्ट

डॉ. अतुल गोयल का कहना है कि सभी राज्यों को अंग प्रत्यारोपण के मामले में जांच शुरू करनी चाहिए। अगले 15 दिन के भीतर इसकी पूरी रिपोर्ट महानिदेशालय को भेजने का आदेश दिया है। रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया जाएगा कि राज्यों ने अंग प्रत्यारोपण में लापरवाही या किसी भी तरह की धोखाधड़ी को रोकने के लिए क्या कदम उठाए हैं?

अंग प्रत्यारोपण से जुड़ा आपराधिक गिरोह

दरअसल, हरियाणा और राजस्थान में अंग प्रत्यारोपण को लेकर एक गिरोह सामने आया है, जिसके तार इन दो राज्यों के अलावा झारखंड और बांग्लादेश से जुड़े हैं। वहीं, कुछ महीने पहले म्यांमार और दिल्ली के एक अस्पताल के बीच भी इसी तरह के आरोप लगाए गए। इसके अलावा साल 2016 में किडनी रैकेट में भी नेपाल और भूटान से भारत आकर अपने अंग दान करने की घटना हुई।






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By attkley

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