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मध्य प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की महत्वाकांक्षी योजना सीखो कमाओ योजना को उनके जाते ही पलीता लगाने की तैयारी कर ली है। दमोह जिले के तेंदूखेड़ा तहसील में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां सामने आई हैं। कलेक्टर के निर्देश पर हुई जांच में यह खुलासा हुआ है। यहां प्रतिष्ठान का मालिक ही युवा आवेदक बनकर योजना का लाभ ले रहा है। 

वर्ष 2023 में उस समय के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह योजना शुरू की थी। इस योजना में शिक्षित बेरोजगार युवाओं को चुनिंदा प्रतिष्ठानों पर जाकर प्रशिक्षण लेकर अपने आप को योग्य बनाना था। इसके लिए युवाओं को आठ से दस हजार रुपये प्रतिमाह स्टाइपेंड देने की व्यवस्था भी की गई है। सितंबर 2023 में यह योजना जमीन पर कार्यान्वित हुई और अक्टूबर से इस योजना के तहत प्रशिक्षण लेने वालों को योग्यता के आधार पर स्टाइपेंड दिया जा रहा है। दमोह में जो हकीकत सामने आई है, वह चौंकाने वाली है। इस योजना के लागू होने के कुछ ही हफ्तों बाद मध्य प्रदेश में सत्ता बदली और डॉ. मोहन यादव मुख्यमंत्री बने। उसके बाद से इस योजना पर गंभीरता भी कम हो गई। 

तेंदूखेड़ा में 83 प्रतिष्ठान पंजीकृत

मुख्यमंत्री सीखो कमाओ योजना में तेंदूखेड़ा नगर के 83 प्रतिष्ठान पंजीकृत हैं। 40 ऐसे प्रतिष्ठान हैं, जिनमें 19-19 कर्मचारी काम कर रहे है। जब राजस्व और नगर परिषद की टीमों ने जांच शुरू की तो कुछ प्रतिष्ठान नगर में मिले ही नहीं। जो प्रतिष्ठान मिले उनमें एक या दो लोग ही काम करते मिले। वह भी स्वयं दुकान का मालिक और एक अन्य कर्मचारी। यही प्रतिष्ठान यह दावा कर रहे थे कि उनकी दुकान पर 19-19 युवा प्रशिक्षण ले रहे हैं। जांच के दौरान किसी भी प्रतिष्ठान में कोई नहीं मिला। जिन कर्मचारियों ने जांच की है, उनका कहना है कि हकीकत में सीखो कमाओ योजना कागजों में चल रही है। जमीनी स्तर पर अस्तित्व में है ही नहीं। 

कभी नहीं दिया प्रशिक्षण 

सीखो कमाओ योजना में किए गए फर्जीवाड़े की जांच तेंदूखेड़ा में शुरू हो गई है। अब वह प्रतिष्ठान वाले खुद कहने लगे हं कि हमारी दुकानों पर किसी ने प्रशिक्षण नहीं लिया। हमें तो जानकारी मिली थी कि ऑनलाइन पंजीयन हो रहे हैं, उसमें संख्या भरनी है। हम लोगों ने ऑनलाइन पंजीयन किए हैं। प्रशिक्षण किसी को नहीं दिया है। जांच करने गई टीम में रहे नगर परिषद के कर्मचारी ने बताया कि 11 प्रतिष्ठानों की जांच करने का पत्र आया था। राजस्व विभाग से भी कर्मचारी साथ थे। हम लोगों ने प्रतिष्ठानों पर जाकर निरीक्षण किया तो 11 में से आधे प्रतिष्ठान तेंदूखेड़ा में है ही नहीं। जो मिले वहां काम करने या सीखने वाले लडके नहीं थे। जांच रिपोर्ट तेंदूखेड़ा एसडीएम अविनाश रावत के पास भेजी गई है। रावत का कहना है अभी जांच चल रही है। जांच पूरी होने के बाद जो भी तथ्य सामने आएंगे, उनके आधार पर कार्रवाई की जाएगी। 



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By attkley

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