सियाचिन में तैनात सैनिकों के जूते खरीद प्रक्रिया पर उठे सवाल
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रक्षा मंत्रालय में जूतों की खरीद प्रक्रिया में कथित अनिमियतताओं का मामला सामने आया है। इस संबंध में एक व्हिसलब्लोअर ने एक शिकायती ई-मेल प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री, चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ, रक्षा सचिव और एडीजीपीआई को भेजा है, जिसमें उन्होंने टेंडर प्रक्रिया में एक खास कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए तय नियमों की अनदेखी करने का आरोप लगाया है। आरोप लगाने वाले सेना के रिटायर्ड कर्नल हैं, जो भ्रष्टाचार के मामलों पर हमेशा मुखर रहते हैं। उनका आरोप है कि रक्षा मंत्रालय की एमजीएस ब्रांच (मास्टर जनरल ऑफ सस्टेनेंस ब्रांच, प्रोक्योरमेंट) ने सितंबर, 2023 में मल्टीपर्पज बूट की सप्लाई के लिए रिक्वेस्ट ऑफ पर्पोजल (आरएफपी) जारी किया था। एमजीएस ब्रांच ने इस प्रक्रिया में आरएफपी नीतियों का उल्लंघन किया है। उन्होंने इस मामले में खरीद प्रक्रिया पर रोक लगाने और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री से की शिकायत
इस मामले में शिकायतकर्ता सेना के रिटायर्ड कर्नल अमित कुमार ने अमर उजाला को खास बातचीत में बताया कि उन्होंने जूतों की खरीद प्रक्रिया में एमजीएस ब्रांच द्वारा किए गए गंभीर भ्रष्टाचार के मामले को रक्षा मंत्रालय के समक्ष रखा है। उन्होंने इस मामले की शिकायत प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री, चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ, रक्षा मंत्रालय और रक्षा सचिव से की है और मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग करते हुए टेंडर प्रक्रिया को रद्द करने और दोषी अफसरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। अमर उजाला के पास उनका शिकायती पत्र है। जिसमें उन्होंने लिखा है, “यह एक औपचारिक शिकायत और कानूनी नोटिस है। देश से ऊपर कुछ भी नहीं है और भ्रष्टाचार या भ्रष्ट आचरण पर कोई माफी नहीं मिलनी चाहिए। प्रथम दृष्टया यह मामला आरएफपी नीतियों के उल्लंघन का है, जो एक गंभीर अपराध है। वह भी खास तौर से तब, जब बल्क में खरीद हो रही हो, क्योंकि यह आम जनता का पैसा है, इसलिए इस मामले की जांच होनी चाहिए।”
23,582 जोड़ी जूतों की होनी है खरीद
कर्नल अमित कुमार के मुताबिक रक्षा मंत्रालय की एमजीएस ब्रांच (मास्टर जनरल ऑफ सस्टेनेंस ब्रांच, प्रोक्योरमेंट) ने 14 सितंबर, 2023 में मल्टीपर्पज शूज की खरीद के लिए टेंडर जारी किया था। इसमें ऑरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स से जूतों की सप्लाई के लिए टेंडर मांगे गए थे। इस बल्क खरीद प्रक्रिया के तहत 23,582 जोड़ी जूते खरीदे जाने हैं, जिनकी कीमत लगभग 20 करोड़ रुपये के आसपास थी। अमर उजाला के पास उस रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (आरएफपी) की कॉपी है। इस टेंडर में हिस्सा लेने वाली कंपनियों को 21 जोड़ी जूते सैंपल के तौर पर यूजर ट्रायल के लिए उपलब्ध कराना जरूरी था। इस टेंडर में वे ही कंपनियां हिस्सा ले सकती थीं, जिनका तीन साल का औसत टर्नओवर 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा का रहा हो। उनके लिए इंडियन फर्म या पीएसयू होना जरूरी है। ऐसी विदेशी फर्म जिनकी भारत में मैन्युफैक्चरिंग है। वे ओईएम तो उत्पादों को अपने नाम/ब्रांड में आउटसोर्सिंग करता है। ओईएम के पास पूर्ण स्वामित्व वाली भारतीय सहायक कंपनी हो जिसके पास मैन्युफैक्चरिंग सुविधा हो। ये कंपनियां ही इस टेंडर में हिस्सा लेने के योग्य हैं।