सीजेआई
– फोटो : Amar Ujala

विस्तार


देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने ऑक्सफोर्ड यूनियन सोसाइटी में दिए अपने भाषण में कहा कि देश के संवैधानिक लोकतंत्र के मूल में चुनाव हैं, लेकिन जज संवैधानिक मूल्यों की निरंतरता को दर्शाते हैं, जो इस व्यवस्था की रक्षा करते हैं। मंगलवार को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में समाज में निर्णायकों की मानवीय भूमिका विषय पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि न्यायपालिका में पारदर्शिता लाने में तकनीक की अहम भूमिका है।  

लोकतंत्र में न्यायपालिका की भूमिका अहम

सोशल मीडिया पर न्यायाधीशों की आलोचना की बात को स्वीकार करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि प्रौद्योगिकी का समग्र प्रभाव न्यायपालिका को समाज के हर वर्ग तक पहुंचाने में मदद करना है। दरअसल मुख्य न्यायाधीश से भारतीय चुनाव को लेकर सवाल किया गया। इसके जवाब में मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि ‘चुनाव संवैधानिक लोकतंत्र के मूल में हैं, लेकिन भारत में न्यायाधीशों का चुनाव नहीं किया जाता। न्यायाधीश संवैधानिक मूल्यों की निरंतरता की भावना को दर्शाते हैं। लोकतंत्र में न्यायपालिका की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, जिसमें हम परंपरा की भावना को दर्शाते हैं और ये भी दर्शाते हैं कि एक अच्छे समाज का भविष्य कैसा होना चाहिए।’

विशेष विवाह अधिनियम पर बोले

बतौर जज फैसले सुनाते समय राजनीतिक और सामाजिक दबावों के बारे में पूछे जाने पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अपने 24 साल के अपने करियर में उन्हें कभी भी सत्ता की तरफ से राजनीतिक दबाव का सामना नहीं करना पड़ा है। विशेष विवाह अधिनियम के फैसले पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि मैं यहां फैसले का बचाव करने के लिए नहीं आया हूं क्योंकि मेरा मानना है कि एक बार जो फैसला सुना दिया गया, वह वैश्विक मानवता की संपत्ति बन जाता है। विशेष विवाह अधिनियम संसद द्वारा पारित एक कानून था। उस मामले में मैं अल्पमत में था, लेकिन मेरे तीन सहकर्मी सहमत नहीं थे क्योंकि उनका मानना था कि समलैंगिक विवाह को मान्यता देना न्यायालय के अधिकार क्षेत्र के बाहर है। 

उन्होंने कहा कि ‘न्यायालय निरंतर संवाद की प्रक्रिया में शामिल है और कोर्ट न केवल मुकदमा करने वाले पक्षों के साथ बल्कि नागरिकों और समाज के साथ भी संवाद करता है। अहम संवैधानिक मामलों को लाइवस्ट्रीम करने के उनके फैसले पर डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा हमें न्याय की प्रक्रिया और कानून के प्रशासन को लोगों के घरों और दिलों तक ले जाने की जरूरत है।’






Source link

By attkley

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *