मोहन भागवत
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आम चुनाव के नतीजे के बाद भाजपा से टकराव या मतभेद की खबरों के बीच राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) मामले को संभालने में जुट गया है। संघ ने किसी भी मतभेद को सिरे से खारिज कर दिया है। उसका कहना है कि संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान को गलत संदर्भ में समझा गया। संगठन ने स्पष्ट कहा कि चुनाव के नतीजे के संदर्भ में भाजपा अपना आकलन खुद करेगी और अगर कुछ गलत हुआ है, तो खुद ही इसमें सुधार भी करेगी।

संघ के अति विशिष्ट सूत्र ने कहा कि भागवत के जिस बयान को आधार बनाकर भाजपा से मतभेद की बातें प्रचारित की गई, उसमें कोई सच्चाई नहीं है। मणिपुर हिंसा पर भागवत शुरू से चिंता जताते रहे हैं। उन्होंने स्वयं सेवकों से खुद को अहंकार से दूर रहने का आह्वान किया था, जिसे सरकार से जोड़ दिया गया। उक्त सूत्र ने बताया कि भागवत ने 2019 और 2014 के आम चुनाव के बाद भी ऐसी ही बातें कही थी। चूंकि तब दोनों ही समय भाजपा को अपने दम पर बहुमत मिला था, इसलिए इसे दूसरे संदर्भ से नहीं जोड़ा जा सका।

आरक्षण-संविधान पर फैले भ्रम को दूर नहीं कर पाए

संघ सूत्र ने माना कि विपक्ष की ओर से संविधान और आरक्षण खत्म करने का फैलाया गया भ्रम भाजपा दूर नहीं कर पाई। ऐसी धारणा बनाने के लिए एआई और सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल किया गया। अब भाजपा इस धारणा को क्यों नहीं तोड़ पाई, इसकी समीक्षा पार्टी को करनी है।

नतीजों पर भाजपा खुद लेगी निर्णय

सूत्र ने कहा कि आम चुनाव में क्या सही और क्या गलत हुआ, इसका आकलन करने का काम भाजपा का है। संघ अपने से संबद्ध किसी संगठन की प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं करता। हमारी भूमिका सुझाव देने तक सीमित है। इस चुनाव में भी संघ ने अपनी भूमिका निभाई। स्वयंसेवकों के माध्यम से जो फीडबैक आ रहे थे, उससे हमेशा की तरह भाजपा को अवगत कराया। अब यह भाजपा को तय करना है कि ऐसे नतीजे क्यों आए। अगर कुछ कमियां है तो इसे भाजपा को खुद ही दूर करना होगा।







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By attkley

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