ध्रुव हेलीकॉप्टर
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हाल ही में रक्षा मंत्रालय ने भारतीय थल सेना के लिए 90 और भारतीय वायुसेना के लिए 66 लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर (एलसीएच) प्रचंड के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (आरएफपी) जारी किया है। माना जा रहा है कि 156 प्रचंड हेलिकॉप्टर्स की तैनाती चीन और पाकिस्तान की सीमा पर की जाएगी। मल्टी मिशन एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर (एएलएच) ध्रुव के मुकाबले रक्षा मंत्रालय तीनों सेनाओं के लिए मल्टी रोल कॉम्बैट हेलीकॉप्टर्स को प्राथमिकता दे रहा है। कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी ने इससे पहले सात मार्च को 35 एएलएच ध्रुव हेलीकॉप्टर्स के लिए एचएएल को आरएफपी जारी किया था, जिनमें से 25 भारतीय सेना को और 9 भारतीय तटरक्षक बल को मिलने थे। सैन्य सूत्रों का कहना है एएलएच में डिजाइन संबंधी कुछ खामियां हैं, जिन्हें इस महीने के आखिर तक दुरुस्त कर लिया जाएगा। 

हादसों के चलते रोकनी पड़ीं उड़ानें

रक्षा सूत्रों के मुताबिक पिछले पांच वर्षों के दौरान मल्टी-मिशन हेलीकॉप्टर के तकरीबन 12 हादसे हो चुके हैं। पिछले साल भी एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर्स (एएलएच) ध्रुव के एक के बाद एक हादसे हुए थे। जिसके चलते कई बार ध्रुव की उड़ानें रोकनी पड़ीं। इन खामियों को दूर किया जा रहा है। पिछले साल हुईं दुर्घटनाओं की जांच में यह बात सामने आई है कि उसके डिजाइन में कुछ दिक्कतें पाई गई हैं। 2022 से लेकर अब तक एचएएल 326 ध्रुव हेलीकॉप्टर्स को निर्माण कर चुका है। इनमें से भारतीय वायुसेना के पास 107, भारतीय सेना के पास 191 और भारतीय नेवी के पास 14 हेलिकॉप्टर्स हैं। कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी ने इससे पहले इसी साल सात मार्च को अतिरिक्त 35 एएलएच ध्रुव हेलीकॉप्टर्स के लिए एचएएल को आरएफपी जारी किया था, जिनमें से 25 भारतीय सेना को और 9 भारतीय तटरक्षक बल को मिलने थे।

जून के अंत तक पूरा हो जाएगा अपग्रेडेशन का काम

रक्षा सूत्रों के मुताबिक एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर्स ध्रुव बेड़े के जरूरी सेफ्टी अपग्रेड का काम पूरी होने वाला है। वहीं उनमें अपग्रेडेड नियंत्रण प्रणाली लगाई है, जिससे उनकी उड़ने की क्षमता में सुधार होगा। डिजाइन संबंधी समस्या के चलते ध्रुव फ्लीट को पिछले वर्ष कई बार उड़ान से रोकना पड़ा था, क्योंकि लगातार हो रहे हादसों की वजह से उसकी उड़ानों के सुरक्षा रिकॉर्ड पर सवाल उठने लगे थे। सूत्र बताते हैं कि हेलीकॉप्टर के बूस्टर कंट्रोल रॉड्स के डिजाइन का रिव्यू किया गया, जिसके बाद प्रत्येक ध्रूव में नई रॉड्स लगाई गईं। सभी हेलीकॉप्टरों में कंट्रोल रॉड्स बदलने का काम पूरा हो चुका है। वहीं अन्य दो रॉड्स (लेटरल और लॉन्गिट्यूडनल) को बदलने का काम चल रहा है, जिसके जून के अंत तक पूरा हो जाने की उम्मीद है। इन रॉड्स के पूरी तरह से बदले जाने के बाद फ्लाइट सेफ्टी में सुधार होगा। सूत्र बताते हैं कि हेलिकॉप्टर के कंट्रोल असेंबली में खराबी, जिसमें कलेक्टिव, पिच और रोल कंट्रोल रॉड शामिल हैं, इसके चलते कुछ दुर्घटनाएं हुईं। 

सूत्रों ने बताया कि ये रॉड्स पायलट को हेलीकॉप्टर की स्पीड को नियंत्रित करने में मदद मिलती है और कोई भी गड़बड़ी रोटर ब्लेड के पावर इनपुट में दिक्कत पैदा कर सकती है, जिससे हादसा हो सकता है। जो नई रॉड्स लगाई गई हैं, वे स्टील से बनी हैं, जबकि पहले की रॉड्स की एल्यूमीनियम से बनी थीं।  

एएलएच-ध्रुव का इस्तेमाल निगरानी और परिवहन में 

एएलएच-ध्रुव को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने बनाया है। इसमें 330 ट्विन-इंजन लगे हैं। इसके विकास की कहानी 1984 से शुरू होती है, लेकिन इसका मिलिट्री वर्जन को 2002 में सर्टिफिकेशन मिला, जिसके बाद 2004 में इसके सिविल वर्जन को सर्टिफिकेशन दिया गया। साल 2022 तक एचएएल की ओर से 336 ध्रुव हेलीकॉप्टर का उत्पादन किया जा चुका है। शुरुआत में इसे जर्मनी की मेसर्सचमिट-बोल्को-ब्लोहम कंपनी के साथ डिजाइन किया गया था। इसके प्रमुख वेरिएंट को ध्रुव MK-I, MK-II, MK -III और MK-IV हैं। एएलएच-ध्रुव को परिवहन, टोही और चिकित्सा निकासी जैसी कार्यों के लिए तैयार किया गया है। 

ये हैं एएलएच-ध्रुव की खासियतें

एएलएच-ध्रुव में 12 सैनिकों के बैठने की जगह होती है। इसे दो पायलट उड़ाते हैं। इसकी लंबाई 52.1 फीट और ऊंचाई 16.4 फीट है। यह एक बार में 630 किमी की उड़ान भर सकता है और इसकी अधिकतम गति 291 किमी प्रतिघंटा है। यह एक प्रकार का यूटिलिटी हेलीकॉप्टर है, जो आमतौर पर जवानों और कार्गो को लाने और ले जाने का काम करता है। इसे किसी भी मौसम में इस्तेमाल किया जा सकता है। इस हेलिकॉप्टर ने सियाचिन ग्लेशियर और लद्दाख जैसे ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भी बेहतर प्रदर्शन किया है। इस हेलीकॉप्टर की खासियत यह है कि ये रात में भी मिलिट्री ऑपरेशन को अंजाम दे सकता है। इसे ग्लॉस कॉकपिट और एडवांस एवियोनिक्स से लैस किया गया है। 

एएलएच-रुद्र है मिलिट्री वर्जन

इस हेलीकॉप्टर का एडवांस वर्जन एएलएच-रुद्र है, जिसमें हेलमेट पॉइंटिंग सिस्टम (HPS), इलेक्ट्रो ऑप्टिक पॉड और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट से जुड़े सेल्फ-प्रोटेक्शन सिस्टम जैसे मिशन सिस्टम फिट किए गए हैं। रुद्र में 20 मिमी बुर्ज गन, 70 मिमी रॉकेट, हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल और एंटी टैंक गाइडेड मिसाइलें लगाई गई हैं। 

इसके साथ ही ध्रुव को कई देशों ने भी पसंद किया है। लैटिन अमेरिका से लेकर अफ्रीका, पश्चिम और दक्षिण पूर्व एशिया के करीब 35 देशों ने इसे खरीदने की इच्छा भी जाहिर की है। वहीं फिलीपींस के साथ इसके सौदे को लेकर बातचीत भी चल रही है।







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By attkley

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