NEET-UG Paper Leak: NEET का क्लीन होना और परीक्षाओं को पेपर लीक से बचाना सिर्फ़ इसलिये ज़रूरी नहीं है कि छात्रों के भविष्य का सवाल है. इसलिये भी नहीं, क्योंकि भविष्य के भगवानों यानी डॉक्टरों की विश्वसनीयता का सवाल है. बल्कि इससे भारत की इज्ज़त और पूरी दुनिया की सेहत भी जुड़ी हुई है. ऐसा हम क्यों कह रहे हैं, वो आपको इस रिपोर्ट में समझ में आएगा. 

अक्सर आप कमला हैरिस, ऋषि सुनक, सुनीता विलियम्स, सुंदर पिचाई और सत्या नडेला जैसे चेहरों को देखते हैं तो आपको गर्व होता है कि भारतीय लोग दुनिया को लीड कर रहे हैं. लेकिन भारत की ब्रांडिंग में भारतीय मूल के वो प्रोफेसर और डॉक्टर भी हैं जो दुनिया भर में फैले हुए हैं. अमेरिका में बसे भारतवंशियों पर एक रिसर्च हुई है.

अमेरिका के बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप की ये रिपोर्ट बताती है कि अमेरिका के टॉप 50 कॉलेजों में से 35 के प्रिंसिपल भारतीय हैं. पहली बार स्टेनफर्ड, पेन्सिलवेनिया और टफ्स जैसे बड़े कॉलेजों के लीडर भारतीय हैं. अमेरिकी हायर एजुकेशन में 25 हज़ार भारतीय हैं जो प्रवासियों में सबसे ज़्यादा है. अमेरिका में 80% भारतीय ग्रेजुएट हैं, जबकि राष्ट्रीय औसत 36% है. अमेरिकी शिक्षा व्यवस्था में भारतीयों का कितना सम्मान है, ये आपने इन आंकड़ों में देखा.

बोस्टन ग्रुप की रिपोर्ट के मुताबिक़ अमेरिका में 1 लाख 20 हज़ार भारतीय डॉक्टर हैं, जो कुल डॉक्टरों की संख्या का 10% है. अमेरिका की 30% जनसंख्या उपचार के मामले में भारतीय डॉक्टरों के भरोसे है. भारतीय मूल के 25% डॉक्टर अमेरिका के ग्रामीण क्षेत्रों में काम कर रहे हैं. कई बार आम धारणा बन जाती है कि विदेश में जाकर भारतीय डॉलरों में कमाते हैं, खूब खर्च करते हैं. लेकिन बोस्टन रिपोर्ट में भारतीयों को परोपकार में भी आगे बताया गया है.

रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका में भारतीय परिवार साढ़े 16 हज़ार करोड़ रुपये सालाना दान करते हैं. भारतीयों के दान का सबसे बड़ा हिस्सा अमेरिकी शिक्षा व्यवस्था में जाता है. भारतवंशी अमेरिका की 12 यूनिवर्सिटी को 8 साल में 25 हज़ार करोड़ रुपये चंदा दे चुके हैं. इसीलिये जब पेपरलीक की घटनाएं होती हैं, तो भविष्य के भारतीय प्रोफेसरों और डॉक्टरों की प्रतिष्ठा को लेकर आपको चिंता हो सकती है.



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By attkley

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